justin trudeau and donald trump

जानिए जस्टिन ट्रूडो ने डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका-कनाडा विलय की बात पर क्या कहा?

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस सुझाव को सख्ती से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने “आर्थिक दबाव” का उपयोग कर कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात कही थी। ट्रूडो ने जोर देकर कहा कि ऐसी स्थिति असंभव है।

ट्रूडो ने क्या कहा?

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “यह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है कि कनाडा अमेरिका का हिस्सा बने।” उन्होंने साफ शब्दों में कह कि कनाडा के अमेरिका में विलय की कोई संभावना ही नहीं है। उन्होंने कहा कि कनाडा एक स्वतंत्र और संप्रभु देश है। वह अमेरिका द्वारा दिए जा रहे ऐेसे किसी भी प्रस्ताव को कभी भी स्वीकार नहीं करेगा।

पियरे पोइलीवरे ने भी दी प्रतिक्रिया

कंजरवेटिव नेता पियरे पोइलीवरे ने कहा, “कनाडा कभी 51वां राज्य नहीं बनेगा। कनाडा एक महान और स्वतंत्र देश है।”

क्या चाहते है डोनाल्ड ट्रंप

बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप कई बार यह दोहराते रहे हैं कि वह कनाडा को अमेरिका का 51वां देश बनाना चाहते हैं। नवंबर 2024 में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ एक बैठक के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने का सुझाव दिया। यह तब हुआ जब ट्रूडो ने चिंता जताई कि ट्रंप द्वारा कनाडा पर लगाए गए संभावित टैरिफ से उनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा।

बीते मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में भी जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह कनाडा को हासिल करने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल करेंगे, तो उन्होंने जवाब दिया, “नहीं, आर्थिक बल, क्योंकि कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका, यह वास्तव में कुछ खास होगा।”

Donald Trump

गौरतलब है कि ड्रोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से अमेरिका के साथ कनाडा के व्यापार की आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने पहले अमेरिका और कनाडा के बीच खींची गई रेखा को “कृत्रिम रूप से खींची गई रेखा” कहा था। इसके अलावा ट्रंप ने कनाडा से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी है, जिसका प्रभाव कनाडा पर पड़ेगा जो अपने 75 प्रतिशत निर्यात अमेरिका को भेजता है।

ट्रूडो ने इस्तीफे का किया ऐलान

वहीं , कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को घोषणा की कि वह आने वाले महीनों में इस्तीफा देंगे। यह फैसला उन्होंने पार्टी के विधायकों के बढ़ते दबाव के बाद लिया, जो लिबरल पार्टी की गिरती लोकप्रियता को लेकर चिंतित थे। अगले संघीय चुनाव 20 अक्टूबर तक होने हैं और सर्वेक्षण कंजरवेटिव पार्टी की बड़ी जीत का संकेत दे रहे हैं।

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