भारत से 26 साल बाद परमाणु बैन हटाएगा US, इन देशों के पास सबसे अधिक परमाणु भंडार

अमेरिकी सरकार जल्द ही भारतीय परमाणु संस्थानों पर लगे पुराने प्रतिबंध हटा सकती है। बता दें कि बाइडन प्रशासन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन बीते सोमवार को भारत के दौरे पर आए हैं। इस दौरान सुलिवन ने आईआईटी दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ”अमेरिकी सरकार भारतीय संस्थानों पर लगे पुराने प्रतिबंध को हटाएगी।”

दुनियाभर में इन देशों के पास है ‘परमाणु शक्ति’

बता दें कि दुनिया के 9 देशों के पास परमाणु हथियार है। जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजरायल का नाम शामिल हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे अधिक परमाणु भंडार किस देश के पास है? बता दें कि रूस के पास 5,580 वॉरहेड के साथ परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा भंडार है। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका का नाम आता है, अमेरिका के पास 5,044 परमाणु हथियार हैं। वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक दुनियाभर में 12,121 परमाणु हथियार हैं, जिसमें रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास ही इसका 90 प्रतिशत हिस्सा है।

‘परमाणु हथियार’ को लेकर हुई थी कौन सी संधि ?

क्या आपके दिमाग में भी ये सवाल आता है कि दुनिया के बाकी देशों के पास परमाणु हथियार क्यों नहीं है? दरअसल इसके पीछे की वजह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) है। इस संधि को 1968 में अपनाया गया था और 1970 में लागू किया गया था। बता दें कि इस संधि का उद्देश्य दुनिया को परमाणु हथियारों के खतरे से बचाना था। आज तक 190 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किया है। इस संधि के कारण ही आज के वक्त कई शक्तिशाली देश भी परमाणु परीक्षण नहीं करते हैं। इस संधि के मुताबिक सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, चीन और फ्रांस को परमाणु हथियार रखने की अनुमति है। इन सभी देशों ने संधि के लागू होने से पहले परमाणु परीक्षण किया था।

भारत ने कैसे किया था ‘परमाणु परीक्षण’ ?

भारत ने कभी भी परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया था। हालांकि परमाणु परीक्षण करने के लिए भारत को अमेरिकी सरकार की नजर से बचना जरूरी था। इसीलिए भारत ने राजस्थान के पोखरण में गुप्त तरीके से 1998 में भारत का दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया था। भारत के इस सफल परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने 200 से ज्यादा भारतीय परमाणु संस्थानों पर बैन लगाया था। हालांकि अमेरिका ने कई सालों बाद कुछ संस्थानों के ऊपर से बैन हटाया था, लेकिन कई संस्थान आज भी ब्लैक लिस्ट में हैं।

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