9 साल का बच्चा बना नागा संन्यासी, भीषण ठंड में भस्म लगाकर करता है तपस्या!

प्रयागराज: महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू होने जा रहा है और इस बार एक बालक ने सबका ध्यान खींच लिया है। इस बार महाकुंभ में एक 9 साल का बालक गोपाल गिरी जी महाराज चर्चाओं का हिस्सा बन चुका है। वह महाकुंभ के सबसे कम उम्र के नागा संन्यासी हैं। इस बालक की विशेषता है कि वह कड़ाके की सर्दी में बिना कपड़ों के और भस्म लगाए तपस्या करता है। आइए जानते हैं इस अद्भुत बच्चे के बारे में कुछ और खास बातें, जो उसे इस महाकुंभ का आकर्षण बना रही हैं।

कैसे गोपाल गिरी जी महाराज ने लिया सन्यास?

गोपाल गिरी जी महाराज का जीवन एक अलग ही कहानी है। उनका जन्म हिमाचल प्रदेश के चांपा गांव में हुआ था। महज 3 साल की उम्र में उन्हें उनके माता-पिता ने गुरु के पास भेज दिया था। इसी कारण वह अब तक सन्यास जीवन में पूरी तरह रच-बस चुके हैं। गोपाल गिरी जी महाराज श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के बाहर कड़ाके की ठंड में बिना कपड़े पहने भस्म लगाए तपस्या और ध्यान करते हैं। यह दृश्य बहुत ही अद्भुत है, क्योंकि कोई 9 साल का बच्चा इस उम्र में ऐसा साधना कर रहा है।

पहले आती थी घर की याद 

गोपाल गिरी जी ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब वह सन्यास लेने के बाद अपने घर से दूर अपने गुरु के पास आए थे, तो उन्हें बहुत घर की याद आती थी। लेकिन जैसे-जैसे उन्होंने गुरु का मार्गदर्शन और ज्ञान प्राप्त किया, वह घर की मोह-माया से मुक्त हो गए। अब उनका जीवन केवल आध्यात्मिक साधना और ध्यान में रमा हुआ है। गोपाल गिरी जी कहते हैं कि गुरु के आशीर्वाद से वह हर मुश्किल को पार कर पाए हैं।

इस वजह से नहीं लगती ठंड

छोटे महाराज जी से जब एक रिपोर्टर ने पूछा कि तुम्हें ठंड नहीं लगती, तुम बिना कपड़ों के क्यों तपस्या करते हो? तो उन्होंने जो जवाब दिया, वह सबको हैरान कर गया।

गोपाल गिरी जी महाराज ने कहा, “तुम सर्दी से बचने के लिए जैकेट पहनते हो, लेकिन हम सिर्फ भगवान को पहनते हैं। भगवान हमारे मन में रहते हैं, फिर ठंड किस बात की? ध्यान लगाओ, ‘ओम नमः शिवाय’ जपो। भगवान खुद आपके सामने आएंगे।”

उन्होंने आगे कहा, “अगर आपको यकीन नहीं हो रहा है तो किसी वन में जाकर तपस्या करके देखो। मैं भी शेर-चीता वाले किसी वन में जाकर तपस्या करूंगा। ये जंगली जानवर हमें खाएंगे नहीं, क्योंकि भगवान हमारे साथ हैं।”

गोपाल गिरी जी महाराज ने यह भी बताया, “मैं तो चाहता हूं, मुझे हमेशा के लिए शमशान में भेज दो, ताकि मैं वहां भगवान का मंदिर बना सकूं और अपनी जिंदगीभर की तपस्या वहीं कर सकूं। मुझे भगवान से प्यारा कुछ नहीं लगता।”

कैसा है गोपाल गिरी की दिनचर्या ?

गोपाल गिरी जी महाराज का दिन बहुत ही व्यवस्थित और अनुशासित है। वह हर दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं, यानी सुबह के सबसे शुभ समय पर। इसके बाद नित्य क्रियाओं से लेकर भजन, मंत्र जाप, और ध्यान करते हैं। वह हवन का मंत्र भी सीख चुके हैं और अपने आध्यात्मिक अभ्यास को और आगे बढ़ा रहे हैं। तपस्या के साथ-साथ उनका जीवन अनुशासन और ध्यान का सही संतुलन है।

महाकुंभ में वह अपनी तलवार कला का भी प्रदर्शन कर रहे हैं। यह कला एक अलग ही आकर्षण का केंद्र बन चुकी है। उनका यह प्रदर्शन सिर्फ दिखावा नहीं है, बल्कि यह भी उनकी साधना का हिस्सा है, जो श्रद्धालुओं के बीच विशेष ध्यान आकर्षित कर रहा है।

पढ़ाई का भी ध्यान, भविष्य में क्या करेंगे गोपाल गिरी?

इतना आध्यात्मिक जीवन जीने के बावजूद गोपाल गिरी जी महाराज ने अपने भविष्य को लेकर भी योजना बनाई है। उन्होंने हाल ही में कहा कि महाकुंभ के बाद वह अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करेंगे। संन्यास लेने के बाद उनकी शिक्षा में रुकावट आ गई थी, लेकिन अब वह गुरुकुल के माध्यम से अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे। गोपाल गिरी जी महाराज का मानना है कि जीवन में ज्ञान प्राप्त करना बहुत ज़रूरी है, चाहे वह आध्यात्मिक हो या फिर सामान्य शिक्षा।

महाकुंभ में गोपाल गिरी जी महाराज की साधना और तपस्या को देखकर श्रद्धालु बहुत प्रभावित हो रहे हैं। उनका ये रूप उनके बीच एक नई उम्मीद और प्रेरणा का संदेश दे रहा है। लोग दूर-दूर से आकर उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं और उनकी साधना को देखकर खुद भी आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं।