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दिल्ली चुनाव: कांग्रेस क्यों बन गई AAP की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी? जानिए 5 बड़ी वजहें

दिल्ली विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। चुनाव आयोग ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करते हुए बताया कि दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान 5 फरवरी 2025 को एक चरण में होगा। चुनाव परिणाम 8 फरवरी 2025 को घोषित किए जाएंगे। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ अपनी पूरी ताकत झोंकने का फैसला लिया है।

पहले कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने का विचार किया था, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि वह किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। इसके बाद कांग्रेस ने दिल्ली, पंजाब और गुजरात से जुड़े अपने नेताओं की एक अहम बैठक बुलाकर यह तय किया कि अब आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा। तो चलिए जानते हैं वो पांच अहम वजहें, जिनकी वजह से कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है।

1. दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस से सत्ता छिनने का इतिहास

आम आदमी पार्टी ने 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से सत्ता छीन ली थी। 2013 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 8 सीटें मिलीं, जबकि आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिलीं। वहीं, बीजेपी को 32 सीटें मिलीं। इस हार के बाद आम आदमी पार्टी ने शीला दीक्षित की सरकार को चुनौती दी और जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत की।

पंजाब में भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली। 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को हराकर अपनी सरकार बनाई। कांग्रेस के लिए यह बहुत बड़ा झटका था, क्योंकि यह दिखाता है कि आम आदमी पार्टी अब उनकी सियासी जमीन पर भी घुस चुकी है। अगर कांग्रेस अब भी नहीं जागी और लड़ाई नहीं लड़ी, तो आने वाले चुनावों में उनका नुकसान और बढ़ सकता है।

2. गुजरात और गोवा में कांग्रेस को मिली हार

गुजरात और गोवा जैसे राज्यों में भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। गुजरात में 2017 के चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटें मिलीं थीं, लेकिन 2022 में यही आंकड़ा घटकर सिर्फ 17 रह गया। इसका एक बड़ा कारण आम आदमी पार्टी का गुजरात में आना और अपनी जड़ें फैलाना था। आम आदमी पार्टी ने 2022 में गुजरात चुनाव में 12.9 प्रतिशत वोट हासिल किए, जिससे कांग्रेस का वोट बैंक सीधे तौर पर प्रभावित हुआ।

गोवा में भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई और उसकी स्थिति कमजोर की। इस बढ़ते प्रभाव के कारण कांग्रेस को अब इन राज्यों में भी अपनी सियासी ताकत बचाने की चिंता है।

3. असम और अन्य राज्यों में आम आदमी पार्टी की बढ़ती पकड़

कांग्रेस को अब असम जैसे राज्यों में भी आम आदमी पार्टी की बढ़ती ताकत का डर सताने लगा है। असम में आम आदमी पार्टी ने 2022 के गुवाहाटी निकाय चुनाव में 10 प्रतिशत वोट हासिल किए। इससे पार्टी का संगठन और वोट बैंक वहां मजबूत हुआ है। कांग्रेस को डर है कि आने वाले असम विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का असर बढ़ सकता है, जिससे कांग्रेस को परेशानी हो सकती है।

इसके अलावा, आम आदमी पार्टी धीरे-धीरे देश के दूसरे राज्यों में भी अपनी जगह बना रही है, जिनमें कांग्रेस की स्थिति पहले से कमजोर है। इस बढ़ते प्रभाव के कारण कांग्रेस अब पूरी तरह से आम आदमी पार्टी के खिलाफ अपना मोर्चा खोलने का सोच रही है।

4. कांग्रेस के पुराने गठबंधन और सियासी खामियां

कांग्रेस का इतिहास भी आम आदमी पार्टी के खिलाफ लड़ने की वजहों में से एक है। उदाहरण के लिए, बिहार में 2000 तक कांग्रेस ने आरजेडी के खिलाफ मोर्चा खोला था, लेकिन बाद में कांग्रेस ने आरजेडी को समर्थन दे दिया, जिससे उसकी सियासत कमजोर हो गई। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ गठबंधन करने के बाद कांग्रेस को अपनी स्थिति और भी कमजोर होती हुई दिखाई दी। ममता बनर्जी के साथ गठबंधन के बाद भी कांग्रेस की स्थिति बंगाल में पूरी तरह से खराब हो गई।

यह इतिहास कांग्रेस को सिखाता है कि अगर उन्होंने अब आम आदमी पार्टी के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए, तो भविष्य में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। खासकर उन राज्यों में, जहां कांग्रेस की स्थिति पहले से ही कमजोर है।

5. समाजवादी पार्टी और सहयोगियों को संदेश देने का मौका

कांग्रेस का एक और मकसद यह है कि अगर दिल्ली में वह अच्छा प्रदर्शन करती है, तो इससे समाजवादी पार्टी (SP), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और अन्य सहयोगियों को एक संदेश मिलेगा। कांग्रेस लंबे समय से यूपी और बिहार जैसे राज्यों में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही है। अगर दिल्ली में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर होता है, तो इससे पार्टी को सहयोगियों से मदद मिल सकती है और इन राज्यों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो सकती है।

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