Naga Sadhu Facts: प्रयागराज की पवित्र भूमि पर महाकुंभ 2025 (mahakumbh 2025) का शुभारंभ हो चुका है। देश और दुनिया के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं। आज महाकुंभ का दूसरा दिन है और सबसे ज्यादा चर्चा नागा साधुओं की हो रही है।
नागा साधु अपनी कठोर तपस्या और जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं। कड़ाके की ठंड में भी बिना कपड़ों के गंगा में स्नान करते देख लोग हैरान हैं। श्रद्धालु दूर-दूर से आकर इन साधुओं का आशीर्वाद ले रहे हैं और उनकी तपस्या को नमन कर रहे हैं। महाकुंभ का यह नजारा आस्था, श्रद्धा और परंपराओं का अनोखा संगम पेश कर रहा है।
महाकुंभ (Mahakumbh) के दौरान जहां लोग ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं, वहीं नागा साधु ठिठुरती सर्दी में बिना कपड़ों के नजर आते हैं। नागा साधु परंपरागत रूप से वस्त्र नहीं पहनते और अपने शरीर पर सिर्फ भस्म लगाते हैं।
अब सवाल उठता है कि आखिर इतनी ठंड में उन्हें ठंड क्यों नहीं लगती?
नागा साधुओं (Naga Sadhu) का कहना है कि वे योग और साधना के जरिए खुद को इतना मजबूत बना लेते हैं कि उन्हें ठंड या गर्मी का असर नहीं होता। वे शरीर को गर्म रखने के लिए खास योगाभ्यास करते हैं, जैसे अग्नि साधना और नाड़ी शोधन, जो उन्हें सर्दी से बचने में मदद करते हैं।
ठंडी हवाओं से बचाती है भस्म
नागा साधु अपने शरीर पर भस्म का लेप लगाते हैं, जो उनके लिए इंसुलेटर का काम करता है। यह भस्म, जो अग्नि से बनाई जाती है, उन्हें ठंडी हवाओं के असर से बचाती है। इसके अलावा, वे अपने खान-पान का भी ध्यान रखते हैं ताकि उनके शरीर में गर्माहट बनी रहे।
शस्त्र विद्या में होते हैं निपूर्ण
कहते हैं कि जब जगद्गुरु शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की, तो उनकी सुरक्षा के लिए एक खास समूह बनाया। इस समूह में ऐसे साधु शामिल किए गए जो बहादुर, निडर और सांसारिक मोह-माया से मुक्त हों। यही साधुओं का समूह बाद में “नागा” कहलाया।
निर्वस्त्र होने के पीछे की वजह
नागा साधु मानते हैं कि जब इंसान का जन्म होता है, तो वह बिना कपड़ों के आता है। उनके अनुसार, ईश्वर ने इंसान को प्राकृतिक रूप में बनाया है, इसलिए वे भी कपड़े नहीं पहनते। नागा साधु का कहना है कि इंसान की असली अवस्था वही है जो प्रकृति ने दी है, और वे इसे ही जीवन का सत्य मानते हैं।
कैसे बनते है नागा साधु
नागा साधु बनने के लिए कठिन साधना करनी पड़ती है। इसे हासिल करने के लिए 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है। इस दौरान व्यक्ति को अपने गुरु को यह विश्वास दिलाना होता है कि वह इस मार्ग पर चलने के योग्य है और पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित हो चुका है। नागा साधु बनने के लिए सभी रिश्ते-नाते छोड़कर खुद को भगवान के प्रति अर्पित करना पड़ता है। जब कोई अखाड़े में शामिल होता है, तो वहां उसकी ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है।