अबू धाबी में BAPS हिंदू मंदिर ने 2025 के नए साल का स्वागत एक खास कार्यक्रम के साथ किया। इस आयोजन में 20 से ज्यादा देशों के रक्षा अधिकारियों और उनके परिवारों ने भाग लिया। यह कार्यक्रम “विविधता में एकता” और “वैश्विक सौहार्द” को बढ़ावा देने के लिए रखा गया था। मंदिर के शांत और पवित्र माहौल में हुए इस आयोजन ने सभी मेहमानों के दिलों को छू लिया।
BAPS मंदिर बना आस्था का केंद्र
अबू धाबी में बना बीएपीएस हिंदू मंदिर, बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था और वहां की सरकार के सहयोग से तैयार हुआ है। इस मंदिर ने केवल एक साल में 20 लाख से ज्यादा लोगों को अपनी ओर खींचा है। इसका मुख्य उद्देश्य अलग-अलग संस्कृतियों और देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देना है।
मंदिर की शानदार वास्तुकला, इसका सांस्कृतिक महत्व और आध्यात्मिक शांति इसे दुनिया भर के पर्यटकों के लिए खास बनाते हैं। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थान है, बल्कि लोगों को जोड़ने और शांति का संदेश फैलाने का केंद्र भी है।
इन देशों से आये मेहमान
कार्यक्रम में बेल्जियम, कनाडा, जापान, भारत, कोरिया, स्विट्जरलैंड और कई अन्य देशों के रक्षा अधिकारी शामिल हुए। मेहमानों का स्वागत भारतीय परंपरा के अनुसार माला पहनाकर और गुलाब के फूल देकर किया गया। इस आत्मीय स्वागत ने भारतीय संस्कृति की गर्मजोशी और दोस्ताना माहौल को बखूबी दर्शाया।
“वासुदेव कुटुंबकम” का दिया गया संदेश
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य “वासुदेव कुटुंबकम” यानी “सारा विश्व एक परिवार है” का संदेश देना था। मेहमानों ने “प्रेयर ड्यून” की यात्रा की, जो 1997 में परम पूज्य प्रामुख स्वामी महाराज द्वारा की गई ऐतिहासिक प्रार्थना का प्रतीक है। यहां उन्होंने विश्व शांति और मानवता के लिए प्रार्थना की। यह स्थान मंदिर की आध्यात्मिकता और शांति को दर्शाता है।
‘द फेयरी टेल’ शो बना आकर्षण का केंद्र
मंदिर में ‘द फेयरी टेल’ शो का आयोजन किया गया, जो मंदिर की ऐतिहासिक यात्रा को नई तकनीक के जरिए पेश करता है। इस शो में 20 प्रोजेक्टर और सराउंड साउंड का इस्तेमाल किया गया, जिससे दर्शकों को एक शानदार अनुभव मिला। इसके साथ ही, मेहमानों ने चेक गणराज्य के 6500 साल पुराने ओक के पेड़ और मंदिर की बारीक व सुंदर नक्काशी को करीब से देखा। यह नक्काशी भारतीय सभ्यता की पुरानी कहानियों को जीवंत रूप में दिखाती है।
“द ऑर्चर्ड” मंदिर में हुआ कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम का समापन “द ऑर्चर्ड” नामक मंदिर में हुआ, जो अपने स्थायी और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यहां ब्रह्मविहारिदास स्वामी ने मानवता, सकारात्मकता और सौहार्द का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि युद्ध जीतने से कहीं बेहतर है लोगों का दिल जीतना। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि हमें हमेशा दिल से बोलना चाहिए और अपने वादों को निभाना चाहिए। स्वामी जी ने सकारात्मक सोच रखने पर जोर दिया, क्योंकि उनका मानना था कि यह दुनिया को अद्भुत बना सकती है। उन्होंने जीवन की पवित्रता और मानवता के महत्व को भी समझाया, जो हमें अपने जीवन में अपनानी चाहिए।
महमानों ने साझा किया अपना अनुभव
रक्षा अधिकारियों ने इस आयोजन और मंदिर के माहौल की बहुत सराहना की। कोरिया के ताइक यो ने इसे एक “आध्यात्मिक यात्रा” बताया। तो वहीं स्विट्जरलैंड की सुसान स्टेनर ने कहा, “यह मंदिर सौहार्द और शांति का प्रतीक है।” और जापान के टकायुकी कुबो ने मंदिर के गर्मजोशी से स्वागत को एक अद्भुत अनुभव बताया।
BAPS बना भारत-यूएई के बीच सांस्कृतिक सेतु
यह आयोजन भारत और यूएई के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को और भी मजबूत करने का प्रतीक बना है। कैप्टन हरप्रीत सिंह लूथरा ने इस मंदिर की तारीफ करते हुए कहा कि यह सिर्फ भारत-यूएई की दोस्ती का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह विभिन्न संस्कृतियों को एक साथ जोड़ने का एक जरिया भी है। उन्होंने इसे वैश्विक सौहार्द का प्रतीक बताया।
क्या है BAPS हिंदू मंदिर?
बीएपीएस हिंदू मंदिर एक अद्भुत जगह है, जहां पारंपरिक भारतीय वास्तुकला और आधुनिक स्थिरता का बेहतरीन संगम देखने को मिलता है। यह मंदिर सिर्फ पूजा का स्थल नहीं है, बल्कि यहां शिक्षा और सामुदायिक सेवा भी होती है। मंदिर का मुख्य उद्देश्य है हर किसी तक शांति, एकता और मानवता का संदेश पहुंचाना।