कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय अब 24 अकबर रोड से बदलकर कोटला मार्ग पर स्थित इंदिरा गांधी भवन में शिफ्ट होने जा रहा है। यह बदलाव पार्टी के लिए एक नया अध्याय है, लेकिन इस नई शुरुआत के साथ ही 24 अकबर रोड की पुरानी यादें भी ताजा हो गई हैं। आज यानी बुधवार को सोनिया गांधी पार्टी के नए मुख्यालय का उद्घाटन करेंगी, लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया है कि 24 अकबर रोड को पूरी तरह से छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। तो चलिए, हम आपको बताते हैं कि इस इमारत का कांग्रेस के इतिहास में क्या महत्व है और क्यों यह जगह इतनी खास रही है।
24 अकबर रोड का इतिहास, जहां हुआ था कांग्रेस का हर बड़ा फैसला
कांग्रेस के लिए 24 अकबर रोड हमेशा एक ऐतिहासिक जगह रही है। यह वही इमारत है जहां से पार्टी ने कई बड़े फैसले लिए और जहां भारतीय राजनीति के अहम मोड़ आए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस इमारत का इतिहास कांग्रेस पार्टी से कहीं ज्यादा पुराना है? जी हां, 24 अकबर रोड पर स्थित यह बंगला पहले किसी और का घर हुआ करता था।
कभी कहलाता था ‘बर्मा हाउस’
इस इमारत का नाम ‘बर्मा हाउस’ तब पड़ा था, जब म्यांमार (बर्मा) की राजदूत दाव खिन की यहां रहीं। पं. नेहरू ने इसे बर्मा हाउस का नाम दिया था, क्योंकि उस समय भारत और म्यांमार के रिश्ते बहुत अच्छे थे। यह नाम भारतीय राजनीति में काफी अहम था। बाद में यह इमारत कांग्रेस के मुख्यालय के तौर पर इस्तेमाल होने लगी और यहां पार्टी ने कई महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसले लिए।
24 अकबर रोड से मिली थी कांग्रेस को नई दिशा
अगर 24 अकबर रोड के इतिहास में एक नाम सबसे ज्यादा जुड़ा है, तो वह है इंदिरा गांधी का। 1978 में जब कांग्रेस विपक्ष में थी और पार्टी के सामने कई मुश्किलें थीं, तब इंदिरा गांधी ने 24 अकबर रोड को कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय बना दिया। इंदिरा गांधी और उनके वफादार साथियों ने इस इमारत को अपने राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बनाया और यहां से कांग्रेस को नई दिशा दी।इसी ऑफिस से इंदिरा गांधी ने 1980 में जबरदस्त वापसी की थी और कांग्रेस को सत्ता में फिर से लाया। इसके बाद से यह इमारत भारतीय राजनीति का अहम हिस्सा बन गई। पार्टी के अंदर कई बदलाव, उठापटक, जीत-हार की घटनाएं इसी ऑफिस के अंदर घटित हुईं।
10 जनपथ और 24 अकबर रोड का रिश्ता
कांग्रेस पार्टी के दो अहम ऑफिस – 10 जनपथ और 24 अकबर रोड, हमेशा एक-दूसरे से जुड़े रहे हैं। 10 जनपथ जहां गांधी परिवार का घर था, वहीं 24 अकबर रोड पार्टी के मुख्यालय के रूप में काम करता था। ये दोनों स्थान एक-दूसरे के नजदीक थे और कांग्रेस पार्टी की राजनीति का केंद्र बने रहे। यहां पार्टी की रणनीतियों, बैठकें और चुनावी निर्णय लिए जाते थे।आज भी 24 अकबर रोड और 10 जनपथ का आपस में गहरा संबंध है। चाहे वह 1980 में इंदिरा गांधी की वापसी हो या फिर सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने की घटना, ये सभी फैसले यहीं पर लिए गए थे।
नया कांग्रेस मुख्यालय अब इंदिरा गांधी भवन
अब कांग्रेस पार्टी ने अपने मुख्यालय को कोटला मार्ग पर शिफ्ट करने का फैसला किया है। इस नए ऑफिस का नाम इंदिरा गांधी भवन रखा गया है। सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ इस ऑफिस का उद्घाटन करने जा रही हैं। यह बदलाव कांग्रेस के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है, लेकिन 24 अकबर रोड की यादें कभी मिट नहीं पाएंगी।
कांग्रेस का इतिहास भी है दिलचस्प
क्या आप जानते हैं कि 1947 से पहले कांग्रेस का मुख्यालय इलाहाबाद में था? हां, आजादी से पहले मोतीलाल नेहरू का आनंद भवन कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय था। लेकिन 1947 के बाद जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो कांग्रेस का मुख्यालय दिल्ली में शिफ्ट हो गया। इसके बाद 1969 में जब कांग्रेस का विभाजन हुआ, तो पार्टी को अपना मुख्यालय बदलना पड़ा। शुरुआत में, कांग्रेस का अस्थायी मुख्यालय 7 जंतर मंतर में था। बाद में, इंदिरा गांधी ने कांग्रेस के वफादार एम.वी. कृष्णप्पा के घर, विंडसर प्लेस को अस्थायी ऑफिस के तौर पर इस्तेमाल किया। फिर 1978 में 24 अकबर रोड पर पार्टी का स्थायी ऑफिस बना और यही इमारत कांग्रेस की राजनीति का केंद्र बन गई।
कांग्रेस के लिए 24 अकबर रोड की अहमियत
24 अकबर रोड पर कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय होने के बाद से यहां कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए। चाहे वह 1980 में इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हो या 2004 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी की जीत, ये सभी महत्वपूर्ण घटनाएं यहीं पर घटित हुईं। इस इमारत ने न केवल कांग्रेस, बल्कि भारतीय राजनीति को भी कई दिशा-निर्देश दिए।अब जब कांग्रेस पार्टी नया मुख्यालय खोल रही है, तो 24 अकबर रोड की यादें हमेशा जिंदा रहेंगी। पार्टी भले ही नए ऑफिस में जाए, लेकिन इस इमारत का महत्व कभी खत्म नहीं होगा।
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