दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब बस कुछ ही महीने बाकी हैं, और राजनीतिक पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में लगी हुई हैं। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने एक ऐसा बड़ा कदम उठाया है, जिसे दिल्ली चुनाव पर गहरा असर डालने वाला माना जा रहा है। गुरुवार को मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी। इस फैसले को चुनावी संदर्भ में मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है, क्योंकि दिल्ली में सरकारी कर्मचारियों की एक बड़ी संख्या है, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है।
आठवें वेतन आयोग का क्या है मतलब?
भारत में हर दस साल बाद केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन का ढांचा और भत्ते बढ़ाने के लिए एक वेतन आयोग गठित किया जाता है। पिछले वेतन आयोग यानी सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, जिसका कार्यकाल 2026 में समाप्त होगा। अब आठवें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया गया है, जिससे केंद्रीय कर्मचारियों को सीधा फायदा होने वाला है। इस आयोग के गठन से कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि हो सकती है, जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर होगा।
क्या होगा वेतन आयोग से?
आठवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में कर्मचारियों के बेसिक सैलरी, भत्तों और पेंशन में बड़ा इजाफा हो सकता है। अगर मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो न्यूनतम बेसिक सैलरी को 18,000 रुपये से बढ़ाकर 34,650 रुपये किया जा सकता है। वहीं, पेंशनधारकों की पेंशन भी दोगुनी हो सकती है। इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को होगा, जो दिल्ली में बड़े वोट बैंक के रूप में हैं।
बीजेपी का चुनावी मास्टरस्ट्रोक?
आठवें वेतन आयोग का गठन मोदी सरकार के लिए एक बड़ा सियासी दांव साबित हो सकता है। दिल्ली में सरकारी कर्मचारियों की तादाद काफी ज्यादा है, और इनका वोट बैंक चुनावी नतीजों पर असर डाल सकता है। पीएम मोदी ने इस ऐलान को केंद्रीय कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर करने के तौर पर पेश किया है। इसके साथ ही, मोदी ने यह भी कहा कि इस फैसले से खपत बढ़ेगी, जिससे देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।
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अब सवाल ये है कि क्या मोदी सरकार का यह फैसला दिल्ली में बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है? दिल्ली में केंद्र सरकार के कर्मचारी, पेंशनधारी और दिल्ली सरकार के तहत काम करने वाले कर्मचारी चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए, बीजेपी का यह फैसला चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।
दिल्ली की सियासत पर क्या होगा असर?
दिल्ली में करीब 9 लाख सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारी हैं। इनमें से लगभग 5 लाख सरकारी कर्मचारी हैं, और बाकी पेंशनधारी। इन कर्मचारियों का सीधा संबंध केंद्र सरकार से है, और ये चुनाव में काफी अहम भूमिका निभाते हैं। दिल्ली की कुछ प्रमुख सीटों जैसे नई दिल्ली, दिल्ली कैंट, आरके पुरम, साकेत, कालकाजी, वजीरपुर, और पटपड़गंज में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों की संख्या अधिक है। ऐसे में इस फैसले से बीजेपी को इन क्षेत्रों में फायदा हो सकता है।
कितनी सीटों पर असर पड़ सकता है?
दिल्ली में कुल 70 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से लगभग 20 सीटों पर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों का प्रभाव ज्यादा है। ये वो सीटें हैं, जहां सरकारी कर्मचारियों का बड़ा वोट बैंक है। इन सीटों पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलती है। जैसे, नई दिल्ली, दिल्ली कैंट, आरके पुरम जैसी सीटों पर सरकारी कर्मचारियों की संख्या अधिक है, और इन सीटों पर बीजेपी को इस फैसले से फायदा हो सकता है।
क्या बीजेपी दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो पाएगी?
दिल्ली में बीजेपी ने 1993 में सत्ता जीती थी, लेकिन उसके बाद कभी भी पार्टी को वापसी नहीं मिल पाई। 2015 और 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, अब बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति बदल ली है। आठवें वेतन आयोग का ऐलान उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। बीजेपी ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों को लुभाने के लिए इस कदम को उठाया है। अब ये देखना होगा कि क्या यह फैसला दिल्ली चुनाव में बीजेपी की स्थिति बदलने में मदद कर पाता है।
क्या यह मास्टरस्ट्रोक साबित होगा?
दिल्ली में बीजेपी के लिए चुनावी मैदान में उतरना एक चुनौती बन चुका है। मोदी और शाह की जोड़ी के नेतृत्व में बीजेपी ने पूरे देश में अपनी धाक जमाई है, लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल के खिलाफ यह जोड़ी अपना असर नहीं दिखा सकी है। अब आठवें वेतन आयोग का गठन बीजेपी के लिए एक नई उम्मीद बन सकता है, और यह देखना होगा कि क्या यह मास्टरस्ट्रोक दिल्ली में सत्ता वापसी का रास्ता खोलता है।