Amit Shah new criminal laws

भगौड़े अपराधियों की अब खैर नहीं, देश छोड़ने पर भी चलेगा मुकदमा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में, जो भगोड़े लंबे समय से देश से बाहर हैं, उनके खिलाफ उनकी गैरहाजिरी में मुकदमा चलाया जाना चाहिए। यह बयान उन्होंने दिल्ली में मध्य प्रदेश द्वारा लागू किए गए 3 नए आपराधिक कानूनों पर चर्चा करते हुए दिया।

अमित शाह ने इस दौरान मध्य प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और वंचित लोगों को न्याय दिलाने के लिए एक मजबूत कानूनी सहायता प्रणाली की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने इस काम के लिए सही प्रशिक्षण देने की महत्वता पर भी बात की। उनका कहना था कि गरीबों को सही कानूनी मदद मिलना सरकार की जिम्मेदारी है।

देश से फरार भगोड़ों के खिलाफ भी चलाना चाहिए मुकदमा – शाह

गृह मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में लंबे समय से देश से फरार भगोड़ों के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS) में ऐसे भगोड़े अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अनुपस्थिति में मुकदमे का प्रावधान है। इसके साथ ही उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से अपील की कि अंतर-संचालनीय आपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएस) के तहत मिले पैसे का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए।

गृह मंत्री ने यह भी कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य है कि प्राथमिकी दर्ज होने से लेकर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने तक तीन साल के भीतर न्याय प्रदान किया जाए। यह तीन कानून—भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम—पिछले औपनिवेशिक भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लाए गए थे, जो पिछले साल एक जुलाई से लागू हुए थे।

नए आपराधिक कानूनों की करी सराहना 

गृह मंत्री ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में किए गए प्रयासों की सराहना की और कहा कि इनका 100 प्रतिशत कार्यान्वयन जल्द से जल्द होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और संगठित अपराध से जुड़ी धाराओं के तहत मामलों को दर्ज करने से पहले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह धारा लागू हो सकती है या नहीं।

गृह मंत्री ने यह भी चेतावनी दी कि इन कानूनी प्रावधानों का कोई भी गलत इस्तेमाल इन नए कानूनों की शुचिता को कमजोर कर सकता है। इसके अलावा, उन्होंने ‘जीरो एफआईआर’ को सामान्य प्राथमिकी में बदलने की प्रक्रिया पर लगातार निगरानी रखने की जरूरत की बात कही। इसके साथ ही, अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम के जरिए दो राज्यों के बीच प्राथमिकियों के हस्तांतरण के लिए एक प्रणाली स्थापित करने का सुझाव भी दिया।

 

 

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