Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025 : कौन हैं ‘मस्कुलर बाबा’ ? महाकुंभ में क्यों हो रही है इनकी चर्चा, जानिए इनसे जुडी खास बातें

Mahakumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा महाकुंभ मेला चल रहा है। इस मेले में दुनिया भर से श्रद्धालु आ रहे हैं। इसके भाग लेने के लिए देश विदेश से लोग आ रहें हैं। गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों का पवित्र संगम पर कई संतों ने अपने शिविर लगाए हुए हैं। इन्ही संतो में से आत्म प्रेम गिरी महाराज सुर्ख़ियों में बने हुए हैं। आपको बता दें, अपनी फिजिकल फिटनेस के चलते वे काफी लोकप्रिय हो गए हैं। इतना ही नहीं उन्हें उनकी अच्छी फिटनेस के चलते “मस्कुलर बाबा” का टैग दिया गया है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें

सादे भगवा रंग के कपड़े पहने, बगल में बड़ा सा झोला और गले में रुद्राक्ष की माला पहने साधु को धार्मिक समागम में जाते हुए देखा गया। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने उनके वीडियो और तस्वीरें शेयर कीं, जो तेजी से इंटरनेट पर वायरल हो रहीं हैं। सात फीट लंबे, भगवा वस्त्र पहने और ‘रुद्राक्ष माला’ से सजे, महाकुंभ मेले में उनकी मौजूदगी ने लोगों में जिज्ञासा पैदा कर दी है, कई लोग उन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में पूज्य भगवान परशुराम का आधुनिक अवतार बता रहे हैं। भगवान परशुराम, जो अपनी ताकत और योद्धा जैसी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं।

 

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30 साल पहले अपनाया सनातन धर्म

आपको बता दें, श्री गिरि जी मूलतः रूस के रहने वाले हैं। उन्होंने आज से करीब 30 साल पहले सनातन धर्म अपनाने के बाद हिंदू धर्म को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। पेशे से शिक्षक रहे गिरी जी ने साधु बनने के लिए अपनी जॉब छोड़ दी। जिसके बाद उन्होंने खुद के लिए अध्यात्म का रास्ता चुना। फिलहाल वे नेपाल में रहते हैं और अपना जीवन हिंदू धर्म को बढ़ावा देने में बिता रहे हैं। वे जूना अखाड़े के सदस्य भी हैं, जो प्रमुख हिंदू मठों में से एक है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहें हैं कई साधु

इंस्टाग्राम पर एक यूजर ने 7 फीट लंबे ‘मस्कुलर बाबा’ की एक तस्वीर शेयर की, जिसमें उनकी ताकतवर छवि दिखाई दे रही है। इस पोस्ट ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। आत्म प्रेम गिरि के अलावा, भी कई साधु इंस्टाग्राम पर वायरल हो रहें हैं, इन्ही में से एक हैं, अभय सिंह हैं जो एक पूर्व एयरोस्पेस इंजीनियर हैं, जिन्हें अब “आईआईटी बाबा” के नाम से जाना जाता है। हरियाणा से आने वाले श्री सिंह ने अपने वैज्ञानिक करियर को पीछे छोड़कर खुद को आध्यात्मिक यात्रा के लिए समर्पित करने का फैसला किया।

इसके अलावा महंत राजपुरी जी महाराज भी लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, जिन्हें “कबूतर वाले बाबा” (कबूतर संत) के नाम से जाना जाता है। बताया जा रहा है, इन्होने हरि पुरी नामक कबूतर के साथ लगभग एक दशक बिताया है, जो उनके सिर पर शांति से बैठता है। महंत राजपुरी जी के लिए, कबूतर सभी जीवित प्राणियों के प्रति सद्भाव और दया के उनके मूल दर्शन का प्रतिनिधित्व करता है।

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