Donald Trump WHO exit

अमेरिका ने किया WHO से हटने का फैसला, समझें क्या होगा इसका दुनिया पर असर?

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद कई बड़े फैसले लिए, जिनमें अमेरिका को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) से बाहर करना भी शामिल था। ट्रंप का कहना था कि WHO ने COVID-19 महामारी को सही तरीके से संभालने में नाकामी दिखाई है।

अगर अमेरिका WHO की फंडिंग बंद कर देता है, तो इसका असर खासतौर पर विकासशील देशों पर पड़ेगा, जिनकी स्वास्थ्य सेवाएं WHO की मदद पर निर्भर करती हैं। अमेरिका WHO का सबसे बड़ा दानदाता है, जो इसे कुल फंड का लगभग 22.5% अनिवार्य फंड और 13% स्वैच्छिक फंड के रूप में देता है।

साल 2022-23 में, अमेरिका ने WHO को करीब 1,284 मिलियन डॉलर का योगदान दिया। अगर यह सहयोग बंद हो जाता है, तो वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर किसी आपदा के समय।

Donald Trump WHO exit

अमेरिका के जानें से चीन लेगा जगह?

सोमवार को CNN को दिए इंटरव्यू में व्हाइट हाउस के पूर्व COVID-19 रेस्पॉन्स कोऑर्डिनेटर, डॉक्टर आशीष झा ने ट्रंप प्रशासन के फैसले को ‘रणनीतिक गलती’ बताया। उन्होंने कहा, “WHO एक बेहद जरूरी संगठन है। अगर अमेरिका इससे हटता है, तो एक राजनीतिक खालीपन पैदा होगा, जिसे केवल चीन ही भर सकता है।”

फंड में कटौती का समर्थन करने वालों का कहना है कि चीन, अपनी बड़ी आबादी के बावजूद, WHO को अमेरिका के मुकाबले बहुत कम फंड देता है। कार्यकारी आदेश में यह भी कहा गया कि WHO, अमेरिका से जरूरत से ज्यादा फंड की मांग करता है, जो दूसरे देशों के फंड के अनुपात से काफी अधिक है।

अमेरिका, WHO को सबसे ज्यादा फंड देने के साथ यह भी सुनिश्चित करता था कि इस फंड का सही इस्तेमाल हो। अगर अमेरिका हट जाता है और बाकी देश इस कमी को पूरा करते हैं, तो WHO अपने मिशन को और तेजी से पूरा कर सकता है।

WHO ने ट्रम्प के फैसले पर क्या कहा 

डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले के बाद WHO ने खेद जताते हुए बयान जारी किया है। WHO ने कहा, “हम दुनिया भर के लोगों, खासकर अमेरिकियों की सेहत और सुरक्षा के लिए अहम भूमिका निभाते हैं। हमारा काम मजबूत हेल्थ सिस्टम बनाना, बीमारियों और हेल्थ इमरजेंसी की वजहों का पता लगाना और उन्हें संभालना है। साथ ही, हम उन जगहों पर भी काम करते हैं जहां बाकी लोग नहीं जा पाते।” WHO ने अमेरिका से अपील की है कि वह अपने फैसले पर दोबारा विचार करे।

अमेरिका का हटना WHO पर कैसे करेगा असर?

अगर अमेरिका, WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) से हट जाता है, तो शुरुआत में यह एक बड़ा झटका लग सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की जगह कोई और देश आराम से ले सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व सचिव सीके मिश्रा ने एक इंटरव्यू में कहा, “अमेरिका के हटने से WHO पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन ऐसे बहुपक्षीय संगठनों का कमजोर होना वैश्विक सहयोग के लिए अच्छा संकेत नहीं है। हालांकि, यह भी सच है कि अमेरिका के हटने के बाद अगला बड़ा डोनर इस कमी को पूरा कर देगा।”

ब्रिक्स देशों के लिए WHO में अपना योगदान बढ़ाना मुश्किल नहीं होगा, अगर वे इसके काम को महत्व देते हैं। लेकिन फिलहाल WHO के सबसे बड़े डोनरों में जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया और UK जैसे पश्चिमी देश ही शामिल हैं।

WHO के टॉप डोनर

• संयुक्त राज्य अमेरिका – 1284 मिलियन डॉलर

• जर्मनी – 856 मिलियन डॉलर

• बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन – 830 मिलियन डॉलर

• GAVI (गावी) – 481 मिलियन डॉलर

• यूरोपीय आयोग – 468 मिलियन डॉलर

• यूनाइटेड किंगडम (यूके) – 396 मिलियन डॉलर

• कनाडा – 204 मिलियन डॉलर

• रोटरी इंटरनेशनल – 177 मिलियन डॉलर

• जापान – 167 मिलियन डॉलर

भारत पर भी होगा असर

अगर WHO की फंडिंग में बड़ी कटौती होती है, तो इसका असर भारत जैसे देशों में स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ सकता है। WHO भारत सरकार को मलेरिया, टीबी, HIV जैसी बीमारियों से लड़ने और एंटीबायोटिक प्रतिरोध जैसी समस्याओं को हल करने में मदद करता है। इसके साथ ही, यह भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में भी अहम भूमिका निभाता है।

WHO यह सुनिश्चित करता है कि लोगों को सही तरीके से टीके मिल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अगर फंडिंग कम हुई, तो WHO के लिए इन ज़रूरी स्वास्थ्य कार्यक्रमों को ठीक से चलाना मुश्किल हो जाएगा।

 

यह भी पढ़े: