दिल्ली चुनाव मुद्दे

दिल्ली चुनाव में जनता का क्या है सोचना, कौन से मुद्दे रहेंगे अहम?

दिल्ली के चुनावों में जाति, जेंडर और क्षेत्र (जोन) की चर्चा ज़ोरों पर है। तीनों बड़ी पार्टियां इन्हीं मुद्दों पर अपनी रणनीति बना रही हैं। उम्मीदवारों के चयन से लेकर घोषणापत्र तक, हर जगह इन फैक्टर्स को ध्यान में रखा जा रहा है।

लेकिन क्या आपको पता है कि हर चुनाव में दिल्ली के वोटर्स के लिए 5 बड़े मुद्दे हमेशा सबसे अहम होते हैं? ये मुद्दे हैं:

•  महंगाई – हर परिवार इससे जूझ रहा है।

•  बेरोजगारी – युवाओं के लिए नौकरी सबसे बड़ी चिंता है।

•  साफ पानी – पानी की कमी और गुणवत्ता एक बड़ा सवाल है।

•  महिला सुरक्षा – महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हर कोई चिंतित है।

•  विकास – लोग चाहते हैं कि उनके इलाके में बुनियादी सुविधाएं बेहतर हों।

दिल्ली जैसे शहर में, जहां हर जाति, धर्म और क्षेत्र के लोग रहते हैं, यही 5 मुद्दे सरकार की किस्मत तय करते हैं। चाहे नेता जो भी वादे करें, जनता के लिए यही सवाल सबसे बड़े हैं।

महंगाई रहेगा दिल्ली का सबसे बड़ा मुद्दा

दिल्ली में चुनाव के दौरान महंगाई अक्सर बड़ा मुद्दा बनती है। पिछले तीन चुनावों में इसे सरकार बदलने का कारण भी माना गया है। सीएसडीएस के आंकड़ों के अनुसार:

•  2013 में, 39.4% लोगों ने कहा था कि वे महंगाई को ध्यान में रखकर ही वोट कर रहे हैं।

•  2015 में, यह आंकड़ा घटकर 17.3% हो गया, जब अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने भारी जीत दर्ज की।

•  2020 में, महंगाई का मुद्दा रहा, लेकिन इसे सिर्फ 3.5% लोगों ने अहम बताया।

इस बार भी महंगाई चुनावी बहस में है। लेकिन तीनों पार्टियां फ्री सुविधाएं (फ्रीबीज) देकर इस मुद्दे को हल्का करने की कोशिश कर रही हैं।

युवाओं में बेरोजगारी को लेकर नाराजगी

दिल्ली के चुनावी दंगल में महंगाई के बाद नौकरी एक बड़ा मुद्दा बन गया है। सीएसडीएस के आंकड़ों के मुताबिक

•  साल 2013 में सिर्फ 2.5% लोगों ने कहा था कि रोजगार उनकी प्राथमिकता है और वे इसी मुद्दे पर वोट करेंगे।

•  2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 4.1% हो गया। इस दौरान और ज्यादा लोगों ने नौकरी को अहम मुद्दा माना और कहा कि वे रोजगार के नाम पर वोट करेंगे।

•  2020 में इस मुद्दे ने और जोर पकड़ा। अब 10% लोगों ने नौकरी को अपनी सबसे बड़ी चिंता बताया, जो 2015 के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा है।

दिल्ली की राजनीति में रोजगार का मुद्दा लगातार बढ़ता जा रहा है और लोगों के वोटिंग फैसलों पर इसका असर साफ दिखता है।

दिल्ली को विकास की जरुरत 

दिल्ली, देश की राष्ट्रीय राजधानी, हमेशा विकास की चर्चा में रहती है। 2013 के विधानसभा चुनाव में करीब 10% लोग विकास के आधार पर वोट करने की बात कर रहे थे। 2015 में यह संख्या थोड़ी बढ़कर 11.3% हो गई, जहां लोगों के लिए विकास सबसे अहम मुद्दा बन गया।

2020 के विधानसभा चुनाव में सीएसडीएस की रिपोर्ट के मुताबिक, 20% लोगों ने माना कि उनके लिए दिल्ली का विकास सबसे बड़ा मुद्दा है, और उन्होंने विकास के नाम पर ही वोट देने की बात कही।

इस बार के चुनाव में भी विकास का मुद्दा जोर-शोर से छाया हुआ है। सभी पार्टियां अपने मेनिफेस्टो में सामाजिक विकास से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के कई वादे कर रही हैं। लेकिन, दिल्ली की खराब सड़कें भी अब एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गई हैं। सरल भाषा में कहें, तो दिल्ली के लोगों की प्राथमिकता हमेशा से बेहतर विकास और बुनियादी सुविधाओं पर रही है।

साफ पीने का पानी भी मुद्दा 

दिल्ली चुनाव में साफ पानी का मुद्दा इस बार फिर से उठ रहा है। यह हमेशा से दिल्ली के लिए एक बड़ा मुद्दा रहा है। 2013 में दिल्ली के 3.8 प्रतिशत मतदाताओं ने इसे मुख्य मुद्दा बताया था, क्योंकि उन्हें टैंकर से पानी लाना पड़ता था।

2015 में आम आदमी पार्टी के फ्री पानी के वादे ने इस मुद्दे को और जोर पकड़ने में मदद की, और तब 4.1 प्रतिशत लोगों ने इसे अहम माना। 2020 में यह आंकड़ा घटकर 2.5 प्रतिशत हो गया। अब इस बार फिर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के हर घर में साफ पानी देने का वादा किया है।

दिल्ली में महिला सुरक्षा होगा बड़ा मुद्दा 

2012 में निर्भया गैंगरेप के बाद दिल्ली में महिला सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। 2013 के चुनावों में 2.3 प्रतिशत लोगों ने महिला सुरक्षा को अपने लिए अहम मुद्दा बताया था। 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 8.1 प्रतिशत हो गया, जहां लोगों ने महिला सुरक्षा को देखकर वोट दिया। 2020 के चुनावों में 3.5 प्रतिशत वोटरों ने कहा कि महिला सुरक्षा उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। इस बार भी दिल्ली के चुनावों में महिला सुरक्षा फिर से एक बड़ा मुद्दा बनता हुआ दिखाई दे रहा है।

 

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