गणतंत्र दिवस 2025 पर देश भर में जश्न का माहौल था, लेकिन जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल में हुआ एक ऐतिहासिक घटनाक्रम पूरे देश का ध्यान खींच रहा है। 26 जनवरी के इस खास दिन पर त्राल चौक पर पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज – तिरंगा – फहराया गया। यह पल त्राल के लिए एक नई शुरुआत और बदलाव का प्रतीक बन गया। यह घटना वहां की बदलती हुई तस्वीर को दिखाती है, जो पहले अशांति और हिंसा का गढ़ हुआ करता था।
तिरंगा फहराने की नई परंपरा की शुरुआत
गणतंत्र दिवस के मौके पर त्राल के इस कार्यक्रम ने एक नई दिशा की ओर इशारा किया। यह तिरंगा बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों की एकजुटता का प्रतीक बन गया। इस तिरंगे को फहराने का काम एक बुजुर्ग, एक युवा और एक बच्चे ने मिलकर किया। यह दृश्य त्राल में भाईचारे और बदलाव की उम्मीद को दिखाता है।आमतौर पर ऐसे कार्यक्रमों की तस्वीर कश्मीर के अशांत इलाकों से जुड़ी रहती है, लेकिन त्राल ने इस दिन इसे बदलकर दिखा दिया। यहां लोगों ने तिरंगे को सलामी दी, भारत माता की जय के नारे लगाए, और एकजुट होकर गणतंत्र दिवस की खुशी मनाई।
सुरक्षा और शांति का वातावरण
जम्मू-कश्मीर पुलिस, राष्ट्रीय राइफल्स और सीआरपीएफ के जवानों ने इस कार्यक्रम की सुरक्षा व्यवस्था संभाली, जो कि इस कार्यक्रम की सफलता के लिए बेहद अहम थी। पूरी कार्यक्रम के दौरान इलाके में शांति का माहौल था, और सुरक्षा बलों ने मिलकर स्थानीय समुदाय के साथ काम किया। यही सुरक्षा और स्थानीय लोगों का सहयोग इस बदलाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं।इसके साथ ही, समारोह के दौरान लोग दिखा रहे थे कि त्राल अब अपनी पहचान बदलने की ओर बढ़ रहा है। इस कार्यक्रम के जरिए यह संदेश भी दिया गया कि कश्मीर के लोग अब शांति और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।
युवाओं की बढ़ी भागीदारी
गणतंत्र दिवस के इस समारोह में सबसे बड़ी बात यह थी कि युवा पीढ़ी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। लगभग 1,000 लोग इस आयोजन में शामिल हुए, जिनमें से अधिकांश युवा थे। इन युवाओं ने अपनी देशभक्ति और राष्ट्र के प्रति अपने समर्पण को खुले तौर पर दिखाया। कार्यक्रम के दौरान उत्साहित युवा भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे और देशभक्ति के गीत गा रहे थे। यह युवाओं का जोश और उनका राष्ट्रप्रेम त्राल के लिए एक नई पहचान लेकर आया। बर्फ से ढके पहाड़ों की पृष्ठभूमि में तिरंगा लहराता हुआ न केवल एक प्रतीक था, बल्कि यह उस बदलाव का प्रतीक बन गया था, जिसे त्राल देख रहा था।
नया कश्मीर: एक आशा की किरण
त्राल का यह गणतंत्र दिवस समारोह न केवल इस इलाके के लिए बल्कि जम्मू-कश्मीर के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम था। यहां अब शांति, प्रगति और विकास की बातें होने लगी हैं। त्राल ने खुद को एक नए रूप में प्रस्तुत किया, जहां तिरंगा गर्व से लहराया और एकता का प्रतीक बनकर सामने आया। यह दिन त्राल में ‘नया कश्मीर’ दिखाने का था, जहां हर कोई एकजुट होकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था। कश्मीर की पहचान अब केवल संघर्ष और हिंसा से नहीं बल्कि शांति, प्रेम और भाईचारे से जुड़ी होगी। त्राल ने यह दिखा दिया कि कश्मीर अब बदलाव के रास्ते पर चल चुका है।
ये भी पढ़ें:कर्तव्य पथ पर निकली उत्तरप्रदेश, दिल्ली, गुजरात समेत तमान राज्यों की झांकियां, देखें वीडियो