Sankaracharya in Mahakumbh: ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के बारे में कहा है कि हमें अपने पूर्वजों द्वारा शुरू की गई इस महाकुंभ प्रथा (Sankaracharya in Mahakumbh) को समझना चाहिए और इस समय का उपयोग करना चाहिए। हिंदू धर्म में इससे बड़ा कोई समय नहीं है। यहां एक सेकंड भी हजारों वर्षों की तपस्या के बराबर है।
हिन्द फर्स्ट (Hind First) के कार्यक्रम ‘महाकुंभ से सनातन संवाद’ में ग्रुप एडिटर विवेक भट्ट (Hind First Editor Vivek Bhatt) से बात करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (swami avimukteshwaranand) ने कहा कि अधिकतर लोग जब मौका होता है तो उसका लाभ नहीं ले पाते हैं और बाद में पछताते हैं। उन्होंने कहा कि यह बड़ा मौका आया है। हिन्दू धर्म में महाकुंभ से बड़ा कोई और अवसर नहीं है। एक महीने की त्याग तपस्या में यहां एक कल्प का पुण्य-फल मिलता है। यहां का एक सेकंड भी हज़ारों वर्षों की तपस्या के बराबर है। उन्होंने कहा कि बाद में पछताने का मौका मत दीजिये और इस महाकुंभ का लाभ उठाइए।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया महाकुंभ में आयोजित होने वाले यज्ञ का महत्व
महाकुंभ में होने वाले यज्ञों के बारे में शंकराचार्य (Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand) ने कहा कि इस जगह का नाम प्रयाग इसलिए पड़ा क्योंकि यहां बड़े-बड़े यज्ञ होते थे। यहां एक विशेष प्रकार के यज्ञ का आयोजन किया गया था। इसीलिए इस स्थान को प्रयाग कहा जाता है। उन्होंने बताया कि प्रयाग नाम दो शब्दों ‘प्र’ और ‘याग’ से मिलकर बना है। प्र माने प्रकृष्ट और याग का अर्थ है यज्ञ। यहां बहुत बड़े-बड़े यज्ञ होते रहे हैं इसलिए इस जगह का नाम प्रयाग है। अभी हम लोग कुंभ में आये हैं और यहां सबसे बड़ा कार्य यज्ञ ही होता है। इसलिए यहां यज्ञ कराया जा रहा है।
क्या है ज्योतिष पीठ में होने वाले विशाल यज्ञ का उद्देश्य?
हिन्द फर्स्ट (Hind First) से बातचीत में शंकराचार्य ने कहा कि ज्योतिष पीठ (Jyotish Peeth) में होने वाले विशाल यज्ञ का उद्देश्य गो हत्या को रोकना है। गो हत्या अपने देश में रुकने का नाम नहीं ले रही है। शंकराचार्य ने कहा कि अब गोरक्षा के लिए योजना बनानी होगी क्योंकि गोहत्या बढ़ रही है। इसीलिए यहां गौरक्षा के लिए यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित किया जाए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Sankaracharya in Mahakumbh) ने कहा कि गौरक्षा के उद्देश्य से 324 कुंड का विशाल यज्ञ मंडप बना कर 1100 पंडितों के माध्यम से यज्ञ हो रहा है। उन्होंने कहा कि गौ माता को राष्ट्र माता घोषित किया जाए और गौ हत्या पूरी तरह से बंद की जाए।
यह पूछे जाने पर कि क्या यहां चल रहे धर्म संसद में यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता कि गौमाता को सर्वोपरि माना जाये पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना था कि हर संसद गौमाता को राष्ट्र माता माने जाने का प्रस्ताव पारित कर रहे हैं। हर हिन्दू गौरक्षा चाहता है।
क्या कर रही है सरकार?
सरकार पर हमला करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि सरकार को गौमाता को पूजने वाले और खाने वाले, दोनों का वोट चाहिए। सरकार एक तरफ गाय का फोटो बटवाती है और दूसरी तरफ अन्य लोगों से यह कहती है कि हमने तो सबको खुली छूट दे रखी है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि वो गौरक्षा चाहती है या गौहत्या चाहती है।
सच्चा शंकराचार्य कौन है, उसकी पहचान कैसे हो सकती है?
शंकराचार्य ने कहा कि वर्तमान समय में हर जगह नकली पाए जाते हैं, असली की नकल करके नकली असली बन जाते हैं। इसलिए नकली साधु-संतों से सावधान रहना चाहिए और असली शंकराचार्य को पहचानकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। नकली शंकराचार्य बन जाने से असली का महत्व काम नहीं हो जाएगा। नकली शंकराचार्य कभी भी असली की जगह नहीं ले सकता।
अभिनेत्री ममता कुलकर्णी बनीं महामंडलेश्वर, क्या यह सही है?
अभिनेत्री ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) के किन्नर अखाड़े (Kinnar Akhada) का महामंडलेश्वर बनने पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि एक अभिनेत्री अध्यात्म का मार्ग अपना सकती है, लेकिन मेरा सवाल यह है कि अगर कोई व्यक्ति संन्यास नहीं लेगा तो वह सीधे महामंडलेश्वर कैसे बन सकता है? कोई आध्यात्मिक दुनिया में कैसे प्रवेश कर सकता है और सीधे महामंडलेश्वर बन सकता है? एक ही दिन में बिना सन्यासी बने कोई सीधे महामंडलेश्वर कैसे बन सकता है। पहले ममता कुलकर्णी को दीक्षा लेकर सन्यास लेना चाहिए। उसके बाद पूरी प्रक्रिया पालन करना चाहिए। ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाना मजाक नहीं तो और क्या है?