Mahakumbh 2025

साध्वी करुणागिरी जी का महाकुंभ से महिलाओं के लिए बड़ा संदेश, गुरु कृपा से सब कुछ संभव!

इस बार महाकुंभ मेले में अलग-अलग अखाड़ों से तमान साधु संतों का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। हमारे साथ महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 बाल योगिनी साधवी करुणागिरी जी महाराज भी मौजूद हैं। वे एक महिला योगी हैं और इस महाकुंभ में अपनी उपस्थिति से यह संदेश दे रही हैं कि गुरु कृपा से सब कुछ संभव है अगर गुरु का आशीर्वाद है तो महिलाओं के लिए भी सन्यास का रास्ता भी कठिन नहीं है।

महिलाओं के लिए सन्यास का रास्ता अपनाना नहीं होगा कठिन   

साधवी करुणागिरी जी ने कहा कि महाकुंभ में आकर उन्हें बहुत खुशी होती है। उनका मानना है कि यह समय संतों के दर्शन करने और सेवा करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है। वे बताती हैं कि समाज में महिलाओं के लिए सन्यास का रास्ता अपनाना बहुत कम स्वीकार किया जाता है। कुछ महिलाएं इसे कठिन समझती हैं, लेकिन उनके अनुभव से यह साबित हुआ है कि यदि गुरु की कृपा हो, तो यह मार्ग उतना कठिन नहीं होता।

साधवी जी ने बताया कि उनके गुरु, श्री श्री 108 श्रीमन पृथ्वी गिरी जी महाराज की कृपा से उनका यह रास्ता आसान हो गया है। उनका मानना है कि अगर गुरु का आशीर्वाद हो, तो जीवन में कोई भी मुश्किल काम भी संभव हो सकता है। वे यह भी कहती हैं कि सन्यास लेने का फैसला केवल गुरु के आशीर्वाद और सही परख के बाद ही लिया जाता है।

अचानक महात्मा बनने की सोच ठीक नहीं है  

इस महाकुंभ में कई महिलाएं, जो पहले अच्छी नौकरी करती थीं, अब सन्यास लेने के लिए आ रही हैं। साध्वी जी ने बताया कि अचानक नौकरी छोड़कर महात्मा बनने की सोच ठीक नहीं है। गुरु पहले व्यक्ति के मन में वैराग्य की असल भावना को समझते हैं और तभी उन्हें सन्यास की दीक्षा देते हैं।

संत बनने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं  

साधवी जी ने कहा कि संत बनने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं होती। संत बनने की प्रक्रिया अंदर से शुरू होती है। वे बताती हैं कि संत पहले से ही अपने पिछले जन्मों में तैयार होते हैं, और साधना करने से उनका संतत्व बाहर आता है। संत बनने के लिए किसी व्यक्ति में बहुत से लोगों को मार्गदर्शन देने और उन्हें सही रास्ते पर चलने का नेतृत्व करने की क्षमता होनी चाहिए।

महामंडलेश्वर बनने का ये है रास्ता  

साधवी जी ने बताया कि महामंडलेश्वर बनने के लिए कोई खास डिग्री की जरूरत नहीं होती। यह एक आंतरिक योग्यता है, जिसमें व्यक्ति को बहुत सारे लोगों को साथ लेकर उन्हें सही दिशा दिखाने की क्षमता होनी चाहिए। उनका कहना है कि महामंडलेश्वर का मुख्य काम ही दूसरों का मार्गदर्शन करना और उन्हें सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करना होता है।

 

 

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