उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) 27 जनवरी से लागू हो चुका है। इस फैसले के बाद पूरे राज्य में हलचल मच गई है। जहां कुछ संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, वहीं मुरादाबाद के मुस्लिम धर्मगुरु इंतेसाब कादरी ने यूसीसी के बारे में एक अलग ही राय दी है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि यूसीसी लागू होने से मुसलमानों की धार्मिक परंपराओं में कोई बदलाव नहीं आएगा। वह यह मानते हैं कि इस कानून के लागू होने के बावजूद, मुसलमान अपनी परंपराओं का पालन करेंगे और हिंदू भाई भी अपनी कस्टम के हिसाब से चलेंगे।
इंतेसाब कादरी का यूसीसी पर बयान
मौलाना इंतेसाब कादरी का कहना था कि यूसीसी लागू होने के बावजूद, मुसलमान जैसे हज और उमरा करते हैं, वैसे ही करते रहेंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर मैं कहूं हिंदू भाई निकाह करें और मुसलमान भाई फेर ले तो यह संभव नहीं है।” उनका यह कहना था कि भले ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो, लेकिन धार्मिक परंपराओं को कोई भी बदल नहीं सकता। कादरी ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर अब तक कोई मुस्लिम धर्मगुरु खुलकर बयान नहीं दे रहे हैं। उनके अनुसार, यह केवल राजनीतिक नेताओं का मुद्दा बन चुका है, और धर्मगुरु इस पर चुप हैं। उनका कहना था कि मुसलमान अपनी परंपराओं को इस तरह से फॉलो करेंगे, जैसे वे पहले करते आए हैं, और हिंदू भाई भी अपनी कस्टम्स को निभाएंगे।
राजनीतिक बयान या धार्मिक स्वतंत्रता का सवाल?
कादरी ने यह भी आरोप लगाया कि इस पूरे यूसीसी मामले में केवल राजनीतिक व्यक्ति बयान दे रहे हैं, जबकि मुस्लिम धर्मगुरु इस पर कुछ नहीं बोल रहे। उनकी यह बात दरअसल इस बात को उजागर करती है कि यूसीसी का विरोध धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर भी किया जा रहा है, लेकिन कादरी का मानना है कि यह एक कानूनी बदलाव है,जिसका कोई धार्मिक असर नहीं पड़ेगा।वहीं, कई मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है, और वे इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। ऐसे में कादरी का यह बयान उन अन्य नेताओं और संगठनों से बिल्कुल अलग है जो इस बदलाव को धार्मिक परिप्रेक्ष्य से देख रहे हैं।
वक्फ बोर्ड और मस्जिदों पर कादरी के बयान
इंतेसाब कादरी ने हाल ही में वक्फ बोर्ड में हुए संशोधन को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उनका कहना था कि वक्फ की जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है और कब्रिस्तान की जमीनों पर अवैध इमारतें बनाई जा रही हैं। कादरी ने इन कब्जों के खिलाफ आवाज उठाई और प्रशासन से इस पर कड़ी कार्रवाई करने की अपील की। उनका कहना था कि ये धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से गलत है और इस पर कड़ा कदम उठाया जाना चाहिए।
कादरी का विवादों से परहेज नहीं
मौलाना इंतेसाब कादरी का यह पहला बयान नहीं है, जब उन्होंने कुछ विवादित मुद्दों पर अपनी राय रखी हो। इससे पहले भी उन्होंने मस्जिदों को लेकर कई बार बयान दिए थे। उनका मानना है कि अगर कोई मस्जिद विवादित है, तो उसे तोड़ देना चाहिए। उनका उदाहरण था कि नबी के जमाने में भी एक मस्जिद को विवादित मानते हुए पैगंबर मोहम्मद साहब ने उसे तोड़ने का आदेश दिया था। कादरी का यह बयान समाज में और धार्मिक समुदाय में कुछ सवाल उठाता है, लेकिन उनका हमेशा यही कहना रहा है कि अगर कोई मस्जिद विवादित साबित होती है तो उसे तोड़ देना चाहिए, क्योंकि धार्मिक शांति के लिए यह जरूरी है।
क्या यूसीसी का असर मुस्लिम समाज पर पड़ेगा?
इस सवाल का जवाब अलग-अलग लोग अलग-अलग तरीके से दे रहे हैं। कादरी का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से मुस्लिम समाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वे अपनी धार्मिक परंपराओं को वैसे ही निभाएंगे जैसे पहले करते आए हैं। दूसरी तरफ, कई मुस्लिम संगठन और धर्मगुरु इस कानून के लागू होने को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं। यूसीसी को लेकर राजनीतिक बयानबाजी और विवाद अब बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन कादरी का साफ कहना है कि यह एक कानूनी मसला है और इसका कोई धार्मिक असर नहीं पड़ेगा।
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