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आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम, भारत ने लांच किया मिशन ‘NCMM’? जानें पूरी डिटेल

भारत सरकार ने “नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन” (NCMM) की शुरुआत की है, जिसके तहत आने वाले वर्षों में देश को इस क्षेत्र में बड़ा खिलाड़ी बनाने की योजना बनाई गई है। इस मिशन के लिए सरकार 34,300 करोड़ रुपये का खर्च करने वाली है। इसका मुख्य उद्देश्य नई तकनीकों का उपयोग बढ़ाना और खनिजों के संसाधनों और आपूर्ति पर जोर देना है, ताकि भविष्य में इनकी जरूरतें पूरी की जा सकें। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16,300 करोड़ रुपये की लागत से इस मिशन को मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इस मिशन का लक्ष्य महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर निर्भरता को कम करना और देश में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है।

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सरकार का यह नया मिशन एक बड़ा बदलाव लाने वाला माना जा रहा है। इस मिशन के तहत, अगले सात सालों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से 18,000 करोड़ रुपये का निवेश मिलने की उम्मीद है। सरकार अब ऐसी जगहों की खोज पर ध्यान देगी, जहां खनिज संपदा मिलने की संभावना अधिक हो। खासकर तांबा, लिथियम, निकेल, कोबाल्ट और दुर्लभ खनिज जैसे महत्वपूर्ण खनिज जो ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी के विकास में बेहद जरूरी हैं। इन खनिजों का इस्तेमाल पवन टर्बाइन, बिजली नेटवर्क, इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी निर्माण में तेजी से बढ़ रहा है।

आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एक नया मिशन शुरू करने का फैसला लिया गया। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद इस फैसले की जानकारी मीडिया को दी। उन्होंने बताया कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य देश की खनिजों के आयात पर निर्भरता को कम करना और इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।

सरकार ने एक नया मिशन शुरू किया है, जिसके तहत 24 महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान की गई है। इस मिशन के लिए 16,300 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। इसमें खनिजों के अन्वेषण, खनन, प्रसंस्करण और पुराने उत्पादों से खनिजों की पुनः प्राप्ति जैसी पूरी वैल्यू चेन को शामिल किया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि इस मिशन से देश में और समुद्र तटीय इलाकों में महत्वपूर्ण खनिजों की खोज तेज हो। इसके अलावा, खनन मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस मिशन के लिए जो 16,300 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, उसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से अगले सात सालों में 18,000 करोड़ रुपये और निवेश होने की संभावना है। इस तरह, कुल मिलाकर 34,300 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट है।

NCMM का क्या है उद्देश्य?

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इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों की खनन परियोजनाओं के लिए मंजूरी की प्रक्रिया को तेज करना है। इसके साथ ही, मिशन खनिजों के अन्वेषण के लिए वित्तीय मदद भी देगा और ‘ओवरबर्डन’ और ‘टेलिंग्स’ से खनिजों को फिर से निकालने की गतिविधियों को बढ़ावा देगा। ‘ओवरबर्डन’ उस मिट्टी और चट्टान की परत को कहते हैं, जिसे खनिजों तक पहुंचने के लिए हटाया जाता है। ‘टेलिंग्स’ वह पदार्थ होते हैं जो खनिज निकालने के बाद बच जाते हैं। वैष्णव ने कहा कि एनसीएमएम (NCMM) का उद्देश्य भारतीय सार्वजनिक और निजी कंपनियों को विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपत्तियों का अधिग्रहण करने और खनिज संपन्न देशों से व्यापार बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है।

गेमचेंजर साबित होगा यह मिशन 

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भारत सरकार का यह मिशन आने वाले समय में भारत के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आ सकता है। इससे भारत को क्रिटिकल मिनरल्स के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अगर भारत में इन मिनरल्स का बड़ा भंडार मिलता है, तो हम इन्हें दूसरे देशों को निर्यात भी कर सकते हैं। यह मिशन भारत को बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी बना सकता है। ग्रीन एनर्जी तकनीक का इस्तेमाल करके भारत न सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि दूसरों देशों से भी तेज़ी से विकास कर पाएगा। क्रिटिकल मिनरल्स भारत के आर्थिक और राजनीतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस मिशन के माध्यम से ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन, रक्षा और हाई टेक उद्योगों को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिलेगी।

क्या होते है क्रिटिकल मिनिरल्स?

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क्रिटिकल मिनिरल्स वे खनिज होते हैं जिनकी आवश्यकता तो बहुत अधिक है, लेकिन इनकी आपूर्ति बहुत सीमित है। भविष्य में ऊर्जा की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इन खनिजों की अहमियत और बढ़ जाती है। भारत इन खनिजों के लिए ज्यादातर आयात पर निर्भर है, यानी भारत इन मिनरल्स को दूसरे देशों से मंगवाता है। ऐसे खनिजों की संख्या लगभग 50 है। इनमें से कुछ मुख्य और महत्वपूर्ण मिनरल्स हैं – एल्यूमीनियम, एंटीमनी, आर्सेनिक, बैराइट, बेरिलियम, बिस्मथ, सेरियम, सीजियम, क्रोमियम, कोबाल्ट, डिस्प्रोसियम, एर्बियम, यूरोपियम, फ्लोरस्पार, गैडोलीनियम, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, होल्मियम और लैंटानम। इन मिनरल्स का इस्तेमाल विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे ऊर्जा उत्पादन, इलेक्ट्रॉनिक्स, और ऑटोमोबाइल्स आदि।

कहां-कहां होता है इनका उपयोग?

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भारत के लिए कुछ मिनरल्स बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनका उपयोग देश की विकास में किया जा सकता है। इनमें लिथियम, कोबाल्ट, निकल, ग्रेफाइट, टाइटेनियम, और रेयर अर्थ एलिमेंट्स शामिल हैं। लिथियम का इस्तेमाल बैटरियों और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में किया जा सकता है, जिससे इनका उत्पादन बढ़ सकता है। कोबाल्ट का उपयोग इलेक्ट्रिक बैटरियों और रक्षा क्षेत्र में किया जाएगा। निकल का इस्तेमाल स्टेनलेस स्टील बनाने और ऊर्जा को संग्रहित करने में किया जाएगा। ग्रेफाइट का उपयोग बैटरियों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जा सकता है। इसके अलावा, रेयर अर्थ एलिमेंट्स से हम मैग्नेट, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरण बना सकते हैं। इन मिनरल्स के उपयोग से भारत की प्रगति में काफी मदद मिल सकती है।

दूसरे देशों पर निर्भरता होगी कम 

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भारत सरकार के इस मिशन से देश को काफी फायदा होगा। इससे भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी, खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ऊर्जा और हाई-टेक उद्योगों के लिए। इस मिशन के चलते भारत अपनी खुद की सप्लाई चेन तैयार कर सकेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी। अभी हम चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से कई खनिजों का आयात करते हैं, लेकिन इस मिशन के बाद यह निर्भरता घटेगी। साथ ही, ग्रीन एनर्जी को भी बढ़ावा मिलेगा। भारत सरकार का यह मिशन सोलर, विंड और ईवी सेक्टर के लिए जरूरी खनिजों की आपूर्ति को सुनिश्चित करेगा, जिससे भारत इस क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकेगा।

अमित शाह ने दी इस मिशन को मंजूरी

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को मंजूरी दी है, जिससे देश एक स्वावलंबी और तेजी से विकास करने वाली ताकत बन जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस मिशन को 16,300 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है। इस योजना का उद्देश्य भारत को हरित ऊर्जा की दिशा में आत्मनिर्भर बनाना है और इसके लिए 7 साल में 34,300 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान है।

अमित शाह ने इस पर सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट भी किया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह पीएम मोदी का ऐतिहासिक फैसला है, जो देश को उद्योगों के लिए जरूरी खनिजों में आत्मनिर्भर बनाएगा और भारत को एक शक्तिशाली विकास इंजन में बदल देगा।

शाह ने यह भी बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों के लिए इथेनॉल खरीद मूल्य में बदलाव को मंजूरी दी है। इसका फायदा यह होगा कि तेल आयात बिल कम होंगे, वायु प्रदूषण घटेगा, और इससे चीनी मिलों और गन्ना किसानों की आय में भी वृद्धि होगी, जो अंत में देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देगा।

 

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