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प्रयागराज महाकुंभ भगदड़: मुआवजे से लेकर जांच तक, हादसे के बाद क्या-क्या हुआ?

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 के दौरान बुधवार तड़के मची भगदड़ ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस दर्दनाक घटना में अब तक 30 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 60 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। हालात ऐसे थे कि लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम नोज की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन अचानक से बैरिकेड टूटे और हर तरफ अफरातफरी मच गई। अब सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर ये भगदड़ हुई क्यों? क्या प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से सारी तैयारियां ठीक से की थीं? और सबसे अहम, क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है?

कैसे हुआ हादसा ?

महाकुंभ में लाखों लोग गंगा स्नान के लिए उमड़े थे, और यह हादसा रात 1 से 2 बजे के बीच हुआ। जैसे ही श्रद्धालु संगम नोज की तरफ बढ़े, अचानक से भीड़ बेकाबू हो गई। पुलिस के मुताबिक, बैरिकेड टूटने से लोग एक-दूसरे पर गिर गए, जिससे भगदड़ मच गई। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि कई लोग सो रहे थे और उन पर भीड़ चढ़ गई। यह घटना इतनी अचानक और दर्दनाक थी कि कोई भी इसकी कल्पना नहीं कर सकता था।

अब तक 25 मृतकों की पहचान हो चुकी है, जबकि 36 घायलों का इलाज चल रहा है। बाकी घायल जल्दी ठीक हो जाएंगे। यह स्थिति देखकर यह सवाल भी उठता है कि क्या प्रशासन ने मेला स्थल पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की थी? क्या बैरिकेड की जगह या दिशा सही थी? क्या ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे? इन सवालों का जवाब तो अब तक नहीं मिला, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे बेहद दुखद बताया है और इसकी न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

महाकुंभ भगदड़ में मरने वालों के परिवार को मिलेंगे 25-25 लाख, CM योगी का ऐलान

मुख्यमंत्री का मुआवजे का ऐलान

सीएम योगी ने घटना के तुरंत बाद मुआवजे का ऐलान किया। मृतकों के परिवारों को 25 लाख रुपये देने की घोषणा की गई है। इसके अलावा, घायलों का इलाज सरकारी खर्च पर किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह घटना न केवल दिल दहला देने वाली है, बल्कि यह हम सब के लिए एक बड़ा सबक भी है।” उन्होंने यह भी कहा कि न्यायिक जांच के जरिए यह पता लगाया जाएगा कि आखिर यह घटना क्यों घटी, और भविष्य में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है।

सीएम योगी ने दिए न्यायिक जांच के आदेश

घटना की गंभीरता को देखते हुए सीएम योगी ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस हर्ष कुमार करेंगे। इस आयोग में पूर्व डीजीपी वीके गुप्ता और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डीके सिंह भी शामिल हैं। सीएम योगी ने कहा, “इस आयोग को घटना के कारणों की जांच करने के साथ-साथ भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों की सिफारिश करने का काम सौंपा गया है।” इसके साथ ही पुलिस भी अपनी जांच कर रही है ताकि यह पता चल सके कि सुरक्षा व्यवस्थाओं में कहां कमी रही और क्या प्रशासन ने इस घटना को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए थे या नहीं।

 

क्या बोले श्रद्धालु?

घटना के बाद घटनास्थल पर मौजूद श्रद्धालुओं ने जो कहा, वह और भी दर्दनाक था।

सरोजिनी नाम की एक श्रद्धालु ने बताया, “हम लोग संगम की तरफ बढ़ रहे थे, तभी अचानक भीड़ में धक्का-मुक्की मच गई। हम गिर गए और फिर कोई रास्ता नहीं बचा था भागने का। हर तरफ धक्का-मुक्की हो रही थी और कोई मदद नहीं मिल रही थी।” एक अन्य श्रद्धालु ने कहा, “अगर रास्ते रोके न जाते, तो शायद यह हादसा न होता।”

इन बातों से साफ है कि श्रद्धालुओं को सुरक्षा और सही दिशा-निर्देश की बेहद जरूरत थी, जो इस घटना में पूरी तरह से गायब थे। इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि मेला जैसे विशाल आयोजन में प्रशासन की तैयारियां कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। सुरक्षा, निगरानी और व्यवस्था का हर पहलू इस तरह के आयोजनों में बड़े पैमाने पर होना चाहिए।

आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?

हादसे के बाद प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया था। घायलों को अस्पताल ले जाया गया और गंभीर रूप से घायल श्रद्धालुओं का इलाज किया जा रहा है। इसके साथ ही सीएम योगी ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं, और एक महीने के भीतर रिपोर्ट मिलने की उम्मीद जताई है।

इसके अलावा, उत्तर प्रदेश पुलिस ने यह भी घोषणा की है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। यदि जरूरत पड़ी, तो महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में सुरक्षा की नई रणनीतियां लागू की जाएंगी। इसके अलावा, प्रशासन भी यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में भीड़ की संख्या और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखा जाए।

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