प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मची भगदड़ ने देशभर में हलचल मचा दी। मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान के लिए उमड़ी लाखों की भीड़ के बीच इस भगदड़ में 30 लोगों की जान चली गई और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए। अब इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है, जिसमें घटना की जांच की मांग की गई है और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है।
महाकुंभ में मची भगदड़ ?
महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है और इस दौरान लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने आते हैं। इस बार भी महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा था, लेकिन मौनी अमावस्या के दिन यह सब कुछ बदल गया। जब भारी संख्या में लोग त्रिवेणी संगम पर स्नान करने के लिए पहुंचे, तो यहां मची भगदड़ ने एक दर्दनाक हादसे को जन्म दिया। बताया जा रहा है कि इस भगदड़ के दौरान कुछ बैरिकेट्स टूट गए थे, जिसके बाद भीड़ अनियंत्रित होकर स्नान घाट की तरफ बढ़ने लगी। इस दौड़ में कई लोग गिर गए और दूसरों के पैरों तले कुचल गए, जिससे कई लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। पुलिस के मुताबिक हादसे के वक्त कोई वीआईपी मूवमेंट नहीं था, लेकिन फिर भी स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। इसके बाद प्रशासन ने स्थिति को संभालते हुए मेला क्षेत्र में कुछ बदलाव किए। संगम क्षेत्र को नो व्हीकल जोन घोषित किया गया और वीआईपी पास भी रद्द कर दिए गए, ताकि आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। लेकिन सवाल ये उठता है कि इतनी बड़ी भीड़ के बीच सुरक्षा इंतजामों में चूक क्यों हुई और क्या ऐसे हादसों से बचने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं?
जनहित याचिका में क्या है मांग?
महाकुंभ की इस भगदड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में कई अहम बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित किया गया है। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील विशाल तिवारी ने दायर किया है। याचिका में मांग की गई है कि घटना की रिपोर्ट मांगी जाए। इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से पूरी रिपोर्ट तलब की जाए, ताकि यह पता चल सके कि घटना किस प्रकार हुई और इसके लिए जिम्मेदार कौन था।
जिम्मेदार अधिकारियों पर होगी कार्रवाई?
याचिका में यह भी कहा गया है कि जिन अधिकारियों की लापरवाही से यह हादसा हुआ, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। सुरक्षा इंतजामों को लेकर गाइडलाइंस जारी की जाएं: भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए महाकुंभ और अन्य बड़े आयोजनों के लिए सुरक्षा गाइडलाइंस बनाई जाएं, ताकि इस तरह की घटनाएं न हो सकें। श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा उपाय: याचिका में यह भी मांग की गई है कि सभी राज्य सरकारें अपने-अपने श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित करें और आपातकालीन स्थिति में मदद के लिए केंद्र स्थापित करें। इसके अलावा, सुरक्षा से संबंधित दिशा-निर्देशों को सभी भाषाओं में प्रकाशित किया जाए, ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के जानकारी प्राप्त कर सकें।
इलेक्ट्रॉनिक मोड से संदेश भेजने की व्यवस्था
संदेशों के जरिए श्रद्धालुओं को सुरक्षा संबंधी जानकारी दी जाए। एसएमएस या व्हाट्सएप जैसी सेवा के जरिए दिशा-निर्देश भेजे जाएं, ताकि लोग घबराए नहीं और उन्हें सही समय पर सही सूचना मिल सके।
क्या चाहते हैं याचिकाकर्ता?
विशाल तिवारी, जो इस याचिका के याचिकाकर्ता हैं, उनका कहना है कि महाकुंभ जैसी घटनाओं में सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की जानी चाहिए और भविष्य में किसी भी श्रद्धालु की जान को खतरा न हो, इसके लिए प्रशासन को अधिक जिम्मेदार बनाया जाए। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार मिलकर एक ऐसी योजना तैयार करें, जिसमें हर किसी को प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा, सुरक्षा व्यवस्था, और आपातकालीन स्थिति में सहायता मिल सके।
महाकुंभ में हुई मौतों और घायल हुए लोगों की संख्या
मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में त्रिवेणी संगम पर स्नान करने आए श्रद्धालुओं के बीच मची भगदड़ ने 30 लोगों की जान ले ली और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। घटना के बाद प्रशासन ने सुरक्षा इंतजामों को सख्त किया है और मेला क्षेत्र को नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया है। अब किसी भी वाहन को संगम क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा, ताकि श्रद्धालुओं को परेशानी न हो और उनका मार्गदर्शन सही तरीके से हो सके।
क्या सब कुछ पहले से बेहतर किया जा सकता था?
महाकुंभ जैसे आयोजनों में लाखों लोग आते हैं और यही कारण है कि सुरक्षा इंतजाम बेहद अहम हो जाते हैं। हर बार जब भी बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं, तो कुछ सुरक्षा चूक हो ही जाती है। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि प्रशासन को समय रहते इस पर ध्यान देना चाहिए था। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों को मिलकर ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एक विस्तृत योजना बनानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट से क्या उम्मीदें हैं?
अब जब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है, तो उम्मीद की जा रही है कि कोर्ट इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाएगा और प्रशासन को जवाबदेह बनाएगा। कोर्ट इस मामले की जल्द सुनवाई कर सकता है और भविष्य में होने वाले आयोजनों में सुरक्षा इंतजामों को लेकर गाइडलाइंस भी जारी कर सकता है।
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