Mahakumbh Snan: महाकुंभ में होते हैं 'पर्व स्नान' और 'अमृत स्नान', जानिए दोनों की तिथियां और अंतर

Mahakumbh Snan: महाकुंभ में होते हैं ‘पर्व स्नान’ और ‘अमृत स्नान’, जानिए दोनों की तिथियां और अंतर

Mahakumbh Snan: प्रयागराज में संगम तट पर 13 जनवरी से दिव्य और भव्य महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। इस महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा। महाकुंभ (Mahakumbh Snan) में स्नान करने के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग आ रहे हैं। अनुमान के अनुसार, अब तक महाकुंभ के 18 दिनों में 20 करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम में डुबकी लगाई है।

वैसे तो महाकुंभ में किसी भी दिन स्नान (Mahakumbh Snan) का अपना अलग ही महत्व होता है। लेकिन अमृत स्नान वो तिथियां होती हैं जब सामान्य जनों के अलावा कुंभ में शामिल हो रहे सभी 13 अखाड़ों के साधु-संत भी संगम में पवित्र डुबकी लगाते हैं। इसलिए कुंभ में अमृत स्नान का महत्व बहुत ज्यादा होता है। अमृत स्नान के अलावा कुंभ में ‘पर्व स्नान’ की तिथियां भी स्नान के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

महाकुंभ में अमृत स्नान और सामान्य स्नान या पर्व स्नान को लेकर लोगों के मन असमंजस की स्थिति हो जाती है। मीडिया भी सही तस्वीर सामने नहीं रख पाती है। इस महाकुंभ में कोई 6 अमृत स्नान की बात कर रहा है, तो कोई पांच, तो कोई तीन ही बता रहा है। इंटरनेट पर सर्च करने पर इस मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं होती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको महाकुंभ में अमृत स्नान और पर्व स्नान की तिथियां और दोनों के बीच अंतर को पूरी तरह से स्पष्ट करेंगे।

अमृत स्नान और पर्व स्नान में क्या है अंतर?

‘पर्व स्नान’ हिन्दू धर्म में किसी एक त्योहार के दौरान एक महत्वपूर्ण स्नान को संदर्भित करता है। यह अक्सर ज्योतिषीय रूप से शुभ तिथियों से जुड़ा होता है। वहीं अमृत स्नान, जिसे पहले ‘शाही स्नान’ के रूप में जाना जाता था, विशेष स्नान होता है और यह कुंभ मेले के दौरान प्रमुख संतों और तपस्वियों के नेतृत्व में भव्य स्नान जुलूस के साथ संपन्न होता है।

पर्व स्नान (Parv Snan) एक त्योहार के दिन पवित्र स्नान के लिए एक व्यापक शब्द है, जबकि अमृत स्नान (Amrit Snan) भव्य जुलूसों से जुड़े कुंभ मेले के भीतर एक विशिष्ट, अत्यधिक पूजनीय स्नान अनुष्ठान है। पर्व स्नान में कभी भी कोई स्नान कर सकता है, लेकिन अमृत स्नान में संगम में 13 अखाड़ों के साधु-संतों और तपस्वियों के संगम में स्नान के बाद ही कोई और स्नान कर सकता है। दोनों स्नानों को आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन ‘अमृत स्नान’ को कुंभ मेले के भीतर सबसे महत्वपूर्ण स्नान दिवस के रूप में माना जाता है।

इस महाकुंभ कब-कब हैं पर्व स्नान?

इस महाकुंभ में तीन पर्व स्नान (Mahakumbh 2025 Parv Snan) निर्धारित हैं। पहला पर्व स्नान महाकुंभ के पहले दिन पौष पूर्णिमा को 13 जनवरी को ही था। इसमें लाखों श्रद्धालुओं ने संगम, गंगा और यमुना में डुबकी लगायी। बाद के दो पर्व स्नान, क्रमशः 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा। बता दें कि महाशिवरात्रि के दिन ही कुंभ का समापन भी होगा।

इस महाकुंभ कब-कब हैं अमृत स्नान?

प्रयागराज में चल रहे इस महाकुम्भ में तीन अमृत स्नान (Mahakumbh 2025 Amrit Snan) की तिथियां निर्धारित की गयी हैं। पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन आयोजित हुआ था। इस दिन महाकुंभ में 1.50 करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई थी। वहीं महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन हुआ था, जिसमे 7.60 करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किया था। दुर्भाग्य से इसी दिन एक भगदड़ (Mahakumbh 2025 Stampede) में 30 लोगों की जान चली गई और 60 से ज्यादा घायल हो गए, जिनका इलाज चल रहा है।

इस महाकुंभ का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन होगा। इसको लेकर तैयारियां पूरी की जा रही है। बुधवार को हुई भगदड़ के बाद, प्रशासन बसंत पंचमी के दिन होने वाले अमृत स्नान को लेकर व्यवस्था पूरी तरह से चाक-चौबंद कर रहा है। अनुमान है कि बसंत पंचमी वाले अमृत स्नान के दिन 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे।

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