2025 budget

बजट में चुनावी चाल, दिल्ली को टैक्स छूट से साधा तो बिहार के लिए खोला खजाना

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आम बजट पेश किया, जिसमें कई अहम घोषणाएं की गईं। इस बजट को दिल्ली और बिहार के विधानसभा चुनावों से भी जोड़ा जा रहा है। दिल्ली में सिर्फ चार दिन बाद मतदान होना है, जबकि बिहार में भी चुनाव होने वाले हैं। हालांकि बजट के दौरान दिल्ली का नाम ज्यादा नहीं लिया गया, लेकिन यहां के मिडिल क्लास को ध्यान में रखते हुए बड़े फैसले किए गए हैं। खासकर टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत दी गई है, अब 12 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री होगी।

वहीं, बिहार के लिए भी सरकार ने कई बड़े ऐलान किए हैं, जिनमें मखाना बोर्ड, ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट और सात अन्य महत्वपूर्ण योजनाएँ शामिल हैं। इन घोषणाओं के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है।

अब बात करें दिल्ली की, तो बजट के बाद चुनावी माहौल और ज्यादा गरम हो गया है। यहां राजनीतिक पार्टियों के बीच ज़बरदस्त मुकाबला चल रहा है।

इनकम टैक्स वाला मुद्दा उठाया था

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले इनकम टैक्स को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाए थे। 22 जनवरी को उन्होंने मांग की थी कि 10 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स छूट मिलनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने कई बार इसे बड़ा मुद्दा बनाकर सरकार पर निशाना साधा।

लेकिन आज बजट 2025 में सरकार ने इससे भी बड़ा कदम उठा लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अब 7 लाख रुपये तक की टैक्स छूट को बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया है। यानी अब सालाना 12.75 लाख रुपये कमाने वाले नौकरीपेशा लोगों को कोई टैक्स नहीं देना होगा, क्योंकि इसमें 75 हजार रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन छूट शामिल है।

इसका मतलब साफ है कि जहां केजरीवाल टैक्स टेररिज्म का मुद्दा उठा रहे थे, वहीं मोदी सरकार ने टैक्स न्यू रिजीम के तहत बड़ी छूट देकर चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है।

मिडिल क्लास की दिल्ली चुनाव में कितनी भूमिका?

दिल्ली की राजनीति में मिडिल क्लास का रोल बहुत बड़ा है, और यही वजह है कि हर पार्टी इसे अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। दिल्ली की करीब 45% आबादी मिडिल क्लास से आती है, और इसका वोटिंग पैटर्न हर चुनाव में बड़ा असर डालता है।

अगर हम देखें तो लोकसभा चुनाव में यही मिडिल क्लास बीजेपी के पक्ष में वोट डालती है, जिससे पार्टी सभी 7 सीटें जीत लेती है। लेकिन जब विधानसभा चुनाव आता है, तो यही वोटर आम आदमी पार्टी की तरफ झुक जाते हैं, जिससे अरविंद केजरीवाल को 60 से ज्यादा सीटें मिल जाती हैं।

2015 के चुनाव में, मिडिल क्लास के 55% लोगों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया था, जबकि 35% ने बीजेपी को चुना था। यानी AAP को 20% की बढ़त मिली, जिससे उसकी जीत पक्की हो गई। 2020 में यह फासला थोड़ा घटा—AAP को 53% और बीजेपी को 39% वोट मिले। इससे AAP की सीटें थोड़ी कम हुईं, लेकिन सत्ता बरकरार रही।

इस बार चुनाव में मिडिल क्लास किस तरफ झुकेगा, ये अभी कोई नहीं कह सकता। खासकर टैक्स छूट जैसी घोषणाएं इस चुनाव में क्या असर डालेंगी, ये बड़ा सवाल है। इसका सही जवाब तो 8 फरवरी को ही मिलेगा, जब दिल्ली की जनता अपना फैसला सुनाएगी।

सरकार ने बिहार के लिए खोला खजाना 

अब बात करते हैं बिहार की, जो इस बार के चुनावी राज्य में शामिल है। बिहार की झलक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पहले बजट भाषण में देखने को मिली। जब वो ऑफ व्हाइट रंग की मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ी पहने हुए दिखाई दीं। ये खास साड़ी उन्हें बिहार की पद्मश्री विजेता दुलारी देवी ने उपहार के तौर पर दी थी।

2 महीने पहले वित्त मंत्री क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम के दौरान मधुबनी आई थीं, जहां दुलारी देवी ने उन्हें एक साड़ी भेंट की थी और बजट के दिन उसे पहनने की विनम्र अपील की थी। आज जब बजट पेश हुआ, तो वित्त मंत्री ने उनकी अपील का ध्यान रखा और बिहार के लिए कुछ खास घोषणाएं कीं।

• बिहार में अब राष्ट्रीय मखाना बोर्ड बनेगा, जिससे मखाने के उत्पादन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग में सुधार होगा।

• बिहार में एक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) खोला जाएगा, जिससे छात्रों को नए अवसर मिलेंगे।

• बिहार में 3 नए ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट बनेंगे और पटना एयरपोर्ट की क्षमता बढ़ाई जाएगी, ताकि भविष्य में बढ़ती जरूरतों को पूरा किया जा सके।

• IIT पटना का विस्तार किया जाएगा, नए हॉस्टल बनेंगे और छात्रों की संख्या बढ़ेगी।

• पश्चिम कोसी नहर परियोजना की शुरुआत की जाएगी, जिससे लगभग 50 हजार हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को फायदा होगा।

• बिहार में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी का निर्माण होगा, जिससे फूड प्रोसेसिंग क्षमताएं बढ़ेंगी और किसानों की आय में सुधार होगा।

• मिथिलांचल के किसानों के लिए एक स्पेशल पैकेज का ऐलान किया गया है और दलहन की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।

लेकिन विपक्ष का कहना है कि ये बजट बिहार के गांवों, ग्रामीण इलाकों और गरीबों के लिए विरोधी है।

 

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