कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ मुसीबतों का नया दौर शुरू हो गया है। हाल ही में एक बयान को लेकर उनके खिलाफ बिहार के मुजफ्फरपुर में मुकदमा दर्ज किया गया है। मामला उस वक्त का है जब सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के बाद उन्हें ‘Poor Lady’ कह दिया था। इस बयान के बाद से सियासी हलकों में हंगामा मच गया है। बीजेपी ने इस पर जमकर हमला बोला है और अब मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है।
क्या था वो बयान?
सोनिया गांधी का विवादित बयान संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद आया था। दरअसल, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद में अपने अभिभाषण के दौरान देश की उपलब्धियों और योजनाओं पर चर्चा की, तो सोनिया गांधी पत्रकारों से बात करते हुए कह दीं, “Poor lady was tired at the end”। इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति के भाषण को लेकर टिप्पणी की थी, जिसे बीजेपी ने उबाऊ और बेकार बताया। सोनिया का यह बयान तुरंत ही विवादों में घिर गया। बीजेपी नेताओं ने इसे राष्ट्रपति का अपमान करार दिया और कहा कि यह बयान आदिवासी समुदाय और महिलाओं के प्रति सम्मान की कमी को दिखाता है।
मुजफ्फरपुर में क्यों हुआ मुकदमा?
सोनिया गांधी के बयान पर विपक्षी दलों के विरोध के बाद बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में वकील सुधीर ओझा ने कोर्ट में एक याचिका दायर की। ओझा ने अपनी याचिका में सोनिया गांधी को राष्ट्रपति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का दोषी ठहराया। उनका कहना था कि यह बयान न सिर्फ द्रौपदी मुर्मू के लिए, बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय और महिलाओं के लिए अपमानजनक था। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार किया और सुनवाई के लिए 10 फरवरी की तारीख तय की है। ओझा ने न सिर्फ सोनिया गांधी, बल्कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को भी सह-आरोपी बनाया है। उनका कहना था कि सोनिया गांधी की टिप्पणी ने पूरे आदिवासी समाज और विशेष रूप से महिला समाज का अपमान किया है, जो किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
बीजेपी की तीखी प्रतिक्रिया
सोनिया गांधी के बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के तमाम नेताओं ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कड़ी आलोचना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस के शाही परिवार का अहंकार आज फिर सामने आया है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति मुर्मू का भाषण न सिर्फ देशवासियों के लिए प्रेरणादायक था, बल्कि इसके जरिए उन्होंने भारत के भविष्य के विजन को साझा किया। लेकिन कांग्रेस ने उस भाषण का मजाक उड़ाया। मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने आदिवासी समुदाय के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मुर्मू एक आदिवासी महिला हैं, जो हिंदी में भाषण दे रही थीं, और उनका मजाक उड़ाना किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है।
राष्ट्रपति भवन का बयान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से भी कोई खुली प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन राष्ट्रपति भवन ने इस बयान को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ और ‘गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला’ बताया। हालांकि, राष्ट्रपति ने किसी तरह की टिप्पणी से बचते हुए इस मुद्दे को राजनीतिक दलों पर छोड़ दिया है।
कांग्रेस पर सियासी दबाव
कांग्रेस के लिए यह एक मुश्किल समय है। बीजेपी ने इसे कांग्रेस की एक संप्रभु और शाही मानसिकता का हिस्सा बताया है, जो आम जनता और विशेषकर आदिवासी और महिलाओं के प्रति अपमानजनक है। कांग्रेस की तरफ से इस पूरे विवाद पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस मामले के बढ़ने से पार्टी के अंदर और बाहर राजनीतिक दबाव बनता दिख रहा है।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का क्या कहना है?
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि अगर मामले को और तूल मिला, तो कांग्रेस पार्टी किसी आधिकारिक बयान के साथ सामने आ सकती है। हालांकि, राहुल गांधी पहले भी राष्ट्रपति के भाषण को उबाऊ और बेकार कह चुके हैं, लेकिन इस बार उनकी टिप्पणी को लेकर कुछ ज्यादा ही राजनीतिक हलचल मच गई है।
कानूनी पहलू और आगे क्या होगा?
10 फरवरी को इस मामले की सुनवाई होगी, और कोर्ट इस पर फैसला देगा। लेकिन अगर यह मामला कोर्ट में जाता है, तो यह राजनीति में एक नया मोड़ ले सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह मुद्दा आगे भी गर्म रहेगा, क्योंकि अब यह सिर्फ सोनिया गांधी के बयान का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह आदिवासी और महिला समुदाय का अपमान करने के आरोप का भी बन चुका है।सोनिया गांधी के खिलाफ इस मुकदमे को लेकर सियासी तौर पर हलचल मच गई है, और अब इस मामले के और भी गंभीर कानूनी परिणाम सामने आ सकते हैं। इसके साथ ही, कांग्रेस और बीजेपी के बीच और भी तीव्र बयानबाजी देखने को मिल सकती है।
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