दक्षिण अफ्रीका में जोहान्सबर्ग के नॉर्थराइडिंग क्षेत्र में बीएपीएस स्वामीनारायण हिंदू मंदिर और सांस्कृतिक परिसर का भव्य उद्घाटन हुआ। यह आयोजन रविवार को संपन्न हुआ और इस दौरान मंदिर में पवित्र प्राण प्रतिष्ठा समारोह भी हुआ। बीएपीएस के वैश्विक आध्यात्मिक गुरु परम पूज्य महंत स्वामीमहाराज की अगुआई में हुए इस आयोजन ने न सिर्फ हिंदू समुदाय, बल्कि पूरे दक्षिण अफ्रीका में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समरसता का संदेश दिया। यह मंदिर अब दक्षिणी गोलार्ध का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है। इसकी भव्यता और महत्व के कारण, यह सिर्फ हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण अफ्रीका की बहुसांस्कृतिक धरोहर के लिए भी एक ऐतिहासिक स्थल बन गया है।
समारोह में दक्षिण अफ्रीका के उपराष्ट्रपति पॉल माशातिले का सम्मानजनक भागीदारी
इस भव्य उद्घाटन समारोह में दक्षिण अफ्रीका के उपराष्ट्रपति पॉल माशातिले भी उपस्थित रहे। उन्होंने समारोह में हिस्सा लिया और परम पूज्य महंत स्वामीमहाराज से मुलाकात की। उपराष्ट्रपति माशातिले ने मंदिर के निर्माण को एक महान सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहल माना और इसे दक्षिण अफ्रीका के विविध समुदायों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण केंद्र बताया। उनका कहना था कि यह मंदिर केवल हिंदू धर्म का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह दक्षिण अफ्रीका के विविध सांस्कृतिक धारा को जोड़ने और एक दूसरे के बीच संवाद को बढ़ावा देने का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। उपराष्ट्रपति ने मंदिर के उद्घाटन को एक ऐतिहासिक कदम बताया, जो समाज में सशक्त सांस्कृतिक धारा का निर्माण करेगा।
बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर: दक्षिण अफ्रीका के लिए एक नई धरोहर
यह मंदिर कुल 5.9 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें 37,000 वर्ग मीटर से ज्यादा निर्मित क्षेत्र है। इसका निर्माण न केवल हिंदू धर्म की आध्यात्मिकता और परंपराओं को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। इस भव्य मंदिर के निर्माण में बीएपीएस के सैकड़ों स्वयंसेवकों ने अपनी निःस्वार्थ सेवा दी है। इस परिसर के माध्यम से बीएपीएस ने यह सुनिश्चित किया है कि यह न केवल एक आध्यात्मिक केंद्र हो, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को एक साथ लाने वाला स्थान हो।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी जिम्मेदार है मंदिर का परिसर
बीएपीएस ने इस मंदिर के निर्माण में पर्यावरणीय जिम्मेदारी को भी खास ध्यान में रखा। मंदिर परिसर में सौ से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं, जो इसकी हरियाली और स्थायित्व को बनाए रखने में मदद करेंगे। इससे यह साफ होता है कि बीएपीएस न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है।
HH Mahant Swami Maharaj’s Vicharan: 02 February 2025, Johannesburg, South Africa https://t.co/3HR3m6tdRF pic.twitter.com/K54hqoNRsI
— BAPS (@BAPS) February 3, 2025
होप एंड यूनिटी फेस्टिवल: भारतीय और अफ्रीकी परंपराओं का संगम
मंदिर के उद्घाटन के साथ ही बीएपीएस ने “होप एंड यूनिटी फेस्टिवल” की शुरुआत की है, जो 12 दिनों तक मनाया जाएगा। इस महोत्सव का उद्देश्य भारतीय और अफ्रीकी परंपराओं के बीच के गहरे रिश्ते को दर्शाना है। इस आयोजन में कला, संस्कृति और विरासत का समावेश किया जाएगा। यह महोत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सांस्कृतिक संवाद और दोनों समुदायों के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र बन चुका है यह मंदिर
बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है। इसके उद्घाटन के साथ, दक्षिण अफ्रीका में एक स्थायी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का निर्माण हुआ है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। मंदिर का उद्देश्य न केवल हिंदू धर्म को बढ़ावा देना है, बल्कि यह अन्य धर्मों के बीच भी आपसी समझ और सम्मान को बढ़ावा देने का काम करेगा।
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