Milkipur Exit Poll: अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर पूरे देश की निगाह बनी हुई है। इस सीट पर हुए उपचुनाव में वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं। यहां शाम 5 बजे तक 65.35% मतदान हुआ। जोकी अब तक का सबसे अधिक है।ऐसे में बीजेपी की बांछें खिल गई हैं। पासी-यादव और मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी हिस्सेदारी के कारण सपा के लिए ये लंबे समय से सेफ सीट रही है, लेकिन अयोध्या लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद यह सत्तारूढ़ पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था। तमाम एग्जिट पोल के मुताबिक यहां बीजेपी को 52 और सपा को 48 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं।
जनता ने विकास को दी तरजीह : एग्जिट पोल
मिल्कीपुर का जातीय समीकरण भी भाजपा के पक्ष में जाता नजर आया। यहां पासी, ब्राह्मण, और ठाकुर वोटर थे। ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने कई स्थानीय प्रभावशाली नेताओं को प्रचार में उतारा था। सपा ने अपने PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) गठजोड़ को मुख्य आधार बनाया लेकिन ऐसा लगा कि जनता ने इसकी जगह विकास को प्राथमिकता दी। चुनाव प्रचार के दौरान ग्रामीण इलाकों में सड़कों, किसानों की समस्याओं और सरकारी योजनाओं पर चर्चा रही।
सपा का गढ़ रहा है मिल्कीपुर
साल 2022 में इस सीट पर 60.23% मतदान हुआ था। समाजवादी पार्टी, बीजेपी, बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान थे। तब सपा के अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की थी। उन्हें कुल 1 लाख 3 हजार 905 वोट मिले थे वहीं बीजेपी के बाबा गोरखनाथ दूसरे नंबर पर थे और उन्हें 90 हजार 567 मत मिले थे। वहीं बसपा की मीरा देवी को 14 हजार 427 और कांग्रेस की नीलम कोरी को 3 हजार 166 वोट मिले थे। अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को 13,338 से मात दी थी।
योगी ने संभाली थी कमान
मिल्कीपुर उप चुनाव की मॉनिटरिंग खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे थे। एक सीट के इस उपचुनाव में 6 से ज्यादा मंत्रियों को अलग-अलग जिम्मेदारी देकर अभेद किला तैयार किया गया। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ जैसा प्रमुख आयोजन छोड़कर बार-बार मिल्कीपुर का दौरा करते रहें। साथ ही आरएसएस भी ग्राउंड पर कार्य कर रहा था।
अयोध्या लोकसभा चुनाव में बीजेपी को लगा था बड़ा झटका
अयोध्या लोकसभा चुनाव का परिणाम जब जून में आया था तो बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के कुछ महीनों बाद हुए चुनाव में बीजेपी को यहां करीब 70 हजार वोटों से हार मिली थी। तब यूपी में कांग्रेस और सपा के गठबंधन को 43 सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी महज 36 सीटों पर रुक गई थी। चुनाीव परिणाम आने के बाद ही बीजेपी ने इसे चुनौती के तौर पर लिया। सीएम योगी ने कुछ महीनों पहले हुए विधानसभा उपचुनाव की नौ सीटों में से सात सीटें जीतकर अपना दबदबा फिर कायम किया था। उसने कुंदरकी विधानसभा सीट भी जीत ली थी।
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