Kharmas 2025: मार्च में इस दिन से शुरू हो रहा है खरमास, एक महीने थम जाएंगे सभी शुभ कार्य

Kharmas 2025: मार्च में इस दिन से शुरू हो रहा है खरमास, एक महीने थम जाएंगे सभी शुभ कार्य

Kharmas 2025: खरमास हिंदू कैलेंडर में एक ऐसी अवधि है जब सूर्य, धनु और मीन राशि में गोचर करता है। यह लगभग एक महीने तक रहता है और साल में दो बार होता है – एक बार दिसंबर-जनवरी में और दूसरा मार्च-अप्रैल में। इस चरण (Kharmas 2025) के दौरान, भक्त आध्यात्मिक गतिविधियों, उपवास, दान और धार्मिक अनुष्ठानों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

“खरमास” (Kharmas 2025) शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है, जिसका अर्थ है “अशुभ समय”, क्योंकि माना जाता है कि ग्रहों की स्थिति सफलता में बाधा डालती है। इस एक महीने हिंदू संपत्ति, वाहन खरीदने या शुभ कार्यक्रम आयोजित करने से बचते हैं। हालांकि, यह आत्म-शुद्धि, प्रार्थना और पूजा-पाठ के लिए एक आदर्श समय होता है।

मार्च में कब से शुरू हो रहा है खरमास?

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार फिलहाल सूर्य देव मकर राशि में हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मार्च 2025 में खरमास 14 मार्च (Kharmas 2025 Starting Date) को शुरू होगा, जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेंगे। खरमास का समापन 13 अप्रैल, 2025 को (Kharmas 2025 End Date) होगा, जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे।इस एक महीने सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे शादी, विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश आदि वर्जित होते हैं। खरमास में लोग नया घर बनाने या नई दुकान खोलने का शुभ कार्य नहीं करते हैं। इस दौरान नया वाहन भी लोग नहीं खरीदते हैं।

खरमास के पीछे की पौराणिक कथा

खरमास का समय साल में दो बार आता है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी सूर्य बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करता है, तब खरमास लगता है। खरमास (Mythological Story behind Kharmas) शब्द का विच्छेदन करने पर ज्ञात होता है कि खर का अर्थ है ‘गधा’ और मास का अर्थ है ‘महीना’। पौराणिक कथा के अनुसार, खरमास के महत्व को हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए एक कहानी सुनाई जाती है जिसमें बताया जाता है कि सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं और क्रांति के दौरान भगवान सूर्य का रथ एक पल के लिए भी कहीं नहीं रुकता है।

लेकिन सूर्य के सातों घोड़े पूरे ब्रह्मांड में साल भर दौड़ने के बाद थक जाते हैं, इसलिए कुछ अंतराल के लिए घोड़ों को आराम करने और पानी पीने के लिए रथ का संचालन खर को सौंप दिया जाता है, जिससे सूर्य के रथ की गति बदल जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, खरमास के दौरान गधा यानी खर अपनी धीमी गति से रथ चलाता है, जिसके परिणामस्वरूप सूर्य की महिमा कम हो जाती है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य फिर से अपने सात घोड़ों पर सवार होकर आगे बढ़ते हैं और पृथ्वी पर धीरे-धीरे सूर्य की तेज रोशनी बढ़ती है।

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