वैलेंटाइन वीक में दिल्लीवालों ने किया था केजरीवाल का प्रपोजल एक्सेप्ट, अब उसी वीक में कर लिया ब्रेकअप!

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को खुशी दी है, वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) और उसके नेता अरविंद केजरीवाल के लिए ये एक बड़ा झटका साबित हुआ है। दिल्ली में बीजेपी ने 48 सीटें जीतकर अपनी सरकार बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं, जबकि आम आदमी पार्टी को महज 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। कांग्रेस तो फिर से शून्य पर ही सिमट गई है। अब जब दिल्ली में केजरीवाल की हार हो चुकी है, तो कई बातें सामने आ रही हैं, जिनमें से एक ये है कि उनका सत्ता में आना और जाना दोनों ही वैलेंटाइन वीक यानी 14 फरवरी के आस-पास हुआ है। यानि अरविंद केजरीवाल की राजनीति की शुरुआत और अब उनका पतन, दोनों ही दिन वही थे, जो प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं। इस बार, उनके ‘फ्री के वादे’ का भी असर दिल्लीवालों पर नहीं पड़ा।

वैलेंटाइन वीक: केजरीवाल के लिए कभी लकी, अब बदकिस्मत

अरविंद केजरीवाल के लिए वैलेंटाइन वीक हमेशा ही लकी रहा है। 2013 में, जब उन्होंने पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब उनका पहला कार्यकाल महज 49 दिन चला था। लेकिन वैलेंटाइन वीक के अगले साल, यानी 2015 में, केजरीवाल ने एक बार फिर दिल्ली में सत्ता हासिल की। उस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटें जीतकर एकतरफा जीत हासिल की थी। 2015 में भी, 14 फरवरी को ही केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जो उनके लिए एक खास दिन था।
2020 में भी वैलेंटाइन वीक ने उन्हें फिर से दिल्ली की सत्ता दिलाई थी। लेकिन इस बार वही वैलेंटाइन वीक उनके लिए खराब साबित हुआ। इस बार दिल्ली के चुनाव में उनका करिश्मा नहीं चला। इस बार दिल्लीवालों ने ‘फ्री के वादों’ को नकार दिया और बीजेपी को बढ़त दी।

केजरीवाल के ‘फ्री के वादे’ – जनता को नहीं आए पसंद

अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवालों से कई बड़े वादे किए थे, जिसमें महिलाओं को 2,100 रुपये महीने देने, मुफ्त शिक्षा, मुफ्त पानी-बिजली और स्वास्थ्य सेवाएं देने का वादा किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि वे दिल्ली की जनता को फ्री की सुविधाएं देंगे। लेकिन दिल्ली के चुनावी नतीजों ने दिखा दिया कि अब दिल्लीवाले मुफ्त के वादों को नकार चुके हैं। दिल्ली की जनता अब सिर्फ फ्री के वादों से संतुष्ट नहीं है। उन्हें काम चाहिए, बेहतर शिक्षा चाहिए, और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं चाहिए। मुफ्त में चीजें देने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होता है सच्चा और टिकाऊ विकास। इसी वजह से, केजरीवाल के ‘फ्री के वादे’ को इस बार दिल्लीवालों ने खारिज कर दिया।

बीजेपी का दबदबा और केजरीवाल का गिरता हुआ ग्राफ

इस बार दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की है। बीजेपी को 48 सीटें मिली हैं, और दिल्ली में एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। बीजेपी ने दिल्लीवासियों को यह विश्वास दिलाया कि उनकी पार्टी ही असल में विकास की राजनीति करती है। वहीं, केजरीवाल की पार्टी को महज 22 सीटें ही मिल पाईं, जो उनकी हार को स्पष्ट करती हैं। अब केजरीवाल की पार्टी के पास केवल दिल्ली के अलावा कुछ और राज्यों में विधायक बचें हैं। पंजाब में उनकी पार्टी की सरकार बनी, लेकिन दिल्ली में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। केजरीवाल की हार इस बात को साबित करती है कि दिल्ली में अब उनकी राजनीति को झूठे वादों और मुफ्त के उपहारों से ज्यादा कुछ नहीं माना गया।

कांग्रेस का भी रहा बुरा हाल

कांग्रेस का इस चुनाव में भी कोई खास प्रदर्शन नहीं रहा। पिछले दो चुनावों में भी कांग्रेस शून्य पर सिमटी थी, और इस बार भी वही हाल हुआ है। दिल्ली की जनता ने कांग्रेस को भी नकार दिया और वह फिर से चुनावी मुकाबले में कहीं भी नहीं दिखाई दी। कांग्रेस अब दिल्ली में लगभग खत्म हो चुकी है।

क्या केजरीवाल की राजनीति अब खत्म हो गई?

इस चुनाव के नतीजों ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या केजरीवाल की राजनीति का दौर अब खत्म हो गया है? हालांकि, केजरीवाल की लोकप्रियता दिल्ली से बाहर कुछ राज्यों में अभी भी बनी हुई है, जैसे पंजाब में उनकी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन दिल्ली में अब उनके लिए पहले जैसा असर नहीं बचा।
दिल्ली के लोग अब मुफ्त के वादों से ऊपर उठकर विकास और अच्छे शासन की उम्मीद कर रहे हैं। दिल्लीवालों ने यह साबित कर दिया कि वे किसी भी पार्टी के झूठे वादों और फ्री के प्रपोजल से प्रभावित नहीं होंगे। अब दिल्ली में असल विकास की जरूरत है।

अब दिल्ली में बीजेपी की डबल इंजन सरकार

बीजेपी की शानदार जीत के बाद दिल्ली में डबल इंजन की सरकार बनने जा रही है। दिल्लीवालों को अब उम्मीद है कि बीजेपी उनके लिए सच्चे और स्थायी विकास का काम करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में बीजेपी ने देशभर में जिस तरह से विकास किया है, वही अब दिल्ली में भी लागू होगा।
दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के बाद, दिल्लीवालों को फ्री के वादों से अधिक उम्मीदें हैं। वे अब चाहते हैं कि दिल्ली में असल सुधार हो, खासतौर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में।

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