दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 साल बाद अपनी शानदार वापसी की है, वहीं उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। हालांकि, दिल्ली से 2400 किलोमीटर दूर तमिलनाडु में भी एक चुनाव हुआ, जिसमें बीजेपी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। इस चुनाव में तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके ने जबरदस्त जीत दर्ज की। तो चलिए, जानते हैं कि दिल्ली और तमिलनाडु के इस चुनावी मुकाबले के क्या परिणाम रहे और बीजेपी का प्रदर्शन कैसा रहा।
मिल्कीपुर में बीजेपी की शानदार जीत
दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की। बीजेपी के उम्मीदवार भानुचंद्र पासवान ने समाजवादी पार्टी के अजीत प्रसाद को 61,710 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत बीजेपी के लिए खास थी क्योंकि 2022 के चुनावों में बीजेपी को बड़े पैमाने पर सफलता मिली थी। यह चुनाव उनके लिए बड़ी उपलब्धि साबित हुआ।
मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी के भानुचंद्र पासवान को शानदार समर्थन मिला, और यह बीजेपी के लिए बहुत अहम था, क्योंकि पार्टी ने यहाँ समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को बड़ी बहुमत से हराया।
तमिलनाडु में बीजेपी को झटका
अब, बात करते हैं दिल्ली से 2400 किलोमीटर दूर तमिलनाडु के इरोड (पूर्व) विधानसभा उपचुनाव की। इस उपचुनाव में डीएमके के उम्मीदवार वी सी चंद्रकुमार ने शानदार जीत हासिल की। चंद्रकुमार ने एनटीके की उम्मीदवार एम के सीतालक्ष्मी को 91,558 वोटों के अंतर से हराया। चंद्रकुमार को कुल 1,15,709 वोट मिले, जो उनकी जीत को दर्शाता है।
यह चुनाव खास इसलिए था क्योंकि यह पहली बार था जब इरोड (पूर्व) में दो साल के भीतर उपचुनाव हो रहा था। चंद्रकुमार की जीत ने यह साबित कर दिया कि तमिलनाडु में डीएमके का प्रभाव अब भी मजबूत है।
एनटीके को झटका
एनटीके की उम्मीदवार एम के सीतालक्ष्मी को इस उपचुनाव में 23,810 वोट मिले, जो पार्टी के लिए अच्छा प्रदर्शन था। हालांकि, उनके लिए यह जीत का कोई मौका नहीं था, क्योंकि चंद्रकुमार ने बड़ी बढ़त बनाई। दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में 6,079 मतदाताओं ने NOTA (None of the Above) विकल्प का चयन किया। यह एक संकेत था कि कुछ लोग किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने के लिए तैयार नहीं थे।
बीजेपी का प्रदर्शन कैसा रहा
बीजेपी ने मिल्कीपुर उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन तमिलनाडु में पार्टी को झटका लगा। यहाँ पर बीजेपी का मुकाबला डीएमके से था, और यह साफ नजर आया कि तमिलनाडु में बीजेपी की हालत उतनी मजबूत नहीं है। हालांकि, बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है, और वह विभिन्न राज्यों में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी के लिए यह जरूरी है कि वह अपने राज्य-स्तरीय नेताओं के साथ मिलकर रणनीतियाँ तैयार करें और अपने चुनावी अभियानों को और मजबूत करें। यह भी जरूरी होगा कि पार्टी अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों में अपनी पकड़ मजबूत करे, ताकि वह आगामी चुनावों में और बेहतर प्रदर्शन कर सके।
तमिलनाडु में है डीएमके का दबदबा
डीएमके की इस जीत ने यह साबित कर दिया कि तमिलनाडु में पार्टी का प्रभाव अब भी कायम है। पार्टी के लिए यह जीत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आगामी विधानसभा चुनावों में डीएमके अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर सकती है। इस जीत से तमिलनाडु में डीएमके की पकड़ मजबूत हुई है, और यह आने वाले समय में राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
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