सिख दंगा मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया है। राउज एवेन्यू कोर्ट 18 फरवरी को सज्जन कुमार को सजा सुनाएगा। यह फैसला 41 साल बाद आया है। यह मामला 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली के सरस्वती विहार में दो सिखों की हत्या से जुड़ा है। दरअसल, 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे शुरू हुए थे। 1 नवंबर को पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी।
#WATCH | Delhi: Visuals of former Congress MP Sajjan Kumar after the Rouse Avenue court convicted him in a 1984 Anti-Sikh riots case linked with the killing of a father-son duo in the Saraswati Vihar area on November 1, 1984. The matter has been listed for arguments on sentence… pic.twitter.com/hj31rnZByX
— ANI (@ANI) February 12, 2025
भीड़ को हमला करने के लिए उकसाने का आरोप
शिकायतकर्ता के मुताबिक, सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया, जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया. भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को अंजाम दिया। शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147,148,149,395,397,302,307, 436 और 440 की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए है।
2021 में तय हुए थे आरोप
इस संबंध में शुरू में पंजाबी बाग थाने में मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, बाद में एक विशेष जांच दल ने जांच का जिम्मा संभाल लिया था। 16 दिसंबर, 2021 को अदालत ने कुमार के विरुद्ध आरोप तय किए। उनके खिलाफ ‘प्रथम दृष्टया मामला सही पाया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, घातक हथियार लिए भीड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का बदला लेने के लिए बड़े पैमाने पर लूटपाट, आगजनी और सिखों की संपत्ति को नष्ट किया था।
SIT ने भी की थी सज्जन कुमार की भूमिका की पुष्टि
SIT ने भी पुष्टि की थी कि आरोपी उक्त भीड़ का नेतृत्व कर रहा था और उसके उकसावे और उकसावे पर भीड़ ने उपरोक्त दो व्यक्तियों को जिंदा जला दिया था और उनके घरेलू सामान और अन्य संपत्ति को भी क्षतिग्रस्त, नष्ट और लूट लिया था, उनके घर को जला दिया था और उनके घर में रहने वाले उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को भी गंभीर चोटें पहुंचाई थीं।
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क्या थे सिख विरोधी दंगे
बता दें कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। 1 नवंबर को दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। हिंसा की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा में सिर्फ दिल्ली में 2700 लोग मारे गए थे। देशभर में मरने वालों का आंकड़ा 3500 के करीब था। मई 2000 में दंगे की जांच के लिए जीटी नानावती कमीशन का गठन हुआ।