कोई कर रहा अपना सेल्फ प्रमोशन , किसी ने शाह से की मुलाकात… दिल्ली में शुरू हुई CM पद की रेस!

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) में मुख्यमंत्री पद के लिए रेस तेज हो गई है। अब बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता खुद को इस रेस में सबसे आगे दिखाने के लिए पूरी ताकत से जुट गए हैं। इन नेताओं का मुख्य उद्देश्य पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक अपनी उपलब्धियों और रणनीतियों को पहुंचाना है ताकि उनकी दावेदारी मजबूत हो सके। बीजेपी के भीतर इस समय मुख्यमंत्री पद के लिए कई दिग्गज नेताओं के नाम चर्चा में हैं, जिनमें से कुछ तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी कर चुके हैं।

बीजेपी में मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल प्रमुख नेता

बीजेपी में मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे पहले नाम आता है प्रवेश साहिब सिंह वर्मा का। प्रवेश वर्मा ने हाल ही में दिल्ली के न्यू दिल्ली विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराकर अपनी ताकत का एहसास कराया था। उनकी इस जीत को पार्टी के अंदर बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। प्रवेश वर्मा खुद को मुख्यमंत्री पद का मजबूत उम्मीदवार मानते हैं और इसीलिए उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से कई बार मुलाकात की है। उनका कहना है कि नई दिल्ली सीट से उनकी जीत ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का सही उम्मीदवार बना दिया है, और यह जीत उन्होंने एक नई मिसाल के रूप में देखी है। उनकी यह जीत कुछ हद तक 2013 में अरविंद केजरीवाल द्वारा शीला दीक्षित को हराने के मुकाबले भी देखी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनाव प्रचार के दौरान आरके पुरम में प्रवेश वर्मा की पीठ थपथपाते हुए नजर आए थे, जिससे उनकी दावेदारी और मजबूत हो गई है।

विजेंद्र गुप्ता भी रेस में

बीजेपी के विजेंद्र गुप्ता, जो दो बार दिल्ली विधानसभा के विधायक रह चुके हैं, भी मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल हैं। गुप्ता ने हाल ही में सीएजी (कंपट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) की आलोचना की है। उन्होंने विधानसभा में सबसे पहले सीएजी रिपोर्ट पेश की और आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश की। उनका यह कदम पार्टी के अंदर अपनी पकड़ मजबूत करने और मुख्यमंत्री पद की दौड़ में खुद को प्रमुख उम्मीदवार के रूप में स्थापित करने के लिए था। विजेंद्र गुप्ता का मानना है कि वह अपनी इस रणनीति से पार्टी नेतृत्व तक अपनी शक्ति पहुंचा सकते हैं।

मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चल रहा बड़ा खेल

बीजेपी के कई और विधायक भी अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। इन विधायकों का मुख्य उद्देश्य सिर्फ मुख्यमंत्री बनना है, और अगर ऐसा नहीं हो पाता, तो वे किसी मंत्रालय की जिम्मेदारी लेने की कोशिश कर रहे हैं। इन विधायकों ने हाल ही में सांसद भवन में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है, ताकि पार्टी नेतृत्व से अपने लिए एक मजबूत स्थिति बना सकें। विधायकों की यह मुलाकातें इस बात का संकेत देती हैं कि बीजेपी के अंदर मुख्यमंत्री और मंत्री के नाम को लेकर एक बड़ा खेल चल रहा है। हालांकि, इस बारे में अंतिम निर्णय विधायक दल की बैठक के बाद ही लिया जाएगा, और यह बैठक शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे के बाद हो।

दिल्ली में बीजेपी की अंदरूनी राजनीति

दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद, बीजेपी के अंदर मुख्यमंत्री पद को लेकर जो संघर्ष देखने को मिल रहा है, वह पार्टी के अंदर की राजनीति को भी उजागर करता है। कई विधायक अपने-अपने तरीके से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, बीजेपी के नेताओं के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वे पार्टी के अंदर अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखें और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तय किए गए निर्णय का पालन करें।

दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की रेस बीजेपी के लिए एक अहम चुनौती हो सकती है, क्योंकि पार्टी को खुद को एक मजबूत और सक्षम नेतृत्व के रूप में प्रस्तुत करना होगा। दिल्ली में विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद बीजेपी को यह साबित करना होगा कि वह दिल्ली के विकास के लिए सबसे उपयुक्त नेतृत्व प्रदान कर सकती है।

आखिरी निर्णय कब होगा?

मुख्यमंत्री और मंत्री पद के नाम का अंतिम निर्णय विधायक दल की बैठक के बाद लिया जाएगा। इस बैठक की तारीख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे के बाद निर्धारित की जाएगी। ऐसे में दिल्ली बीजेपी के अंदर चल रही उठापटक और मुलाकातों के बावजूद, अभी तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं आया है। इससे यह भी साफ है कि बीजेपी अपने सभी नेताओं की दावेदारी पर विचार करके ही अंतिम निर्णय लेगी। ऐसे में फिलहाल मुख्यमंत्री पद की रेस के बारे में कोई ठोस अनुमान लगाना मुश्किल है।

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