अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका चीन को वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण देश मानता है और उसके साथ काम करना चाहता है। उन्होंने भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को हल करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की थी। हालांकि, भारत ने तुरंत इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि वह अपने मुद्दे खुद सुलझाने में सक्षम है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता के प्रस्ताव को ठुकराया है। इससे पहले, अपने पहले कार्यकाल में भी ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थ बनने की पेशकश की थी, लेकिन भारत ने तब भी इसे साफ तौर पर खारिज कर दिया था। आखिरी बार 22 जनवरी 2020 को ट्रम्प ने यह प्रस्ताव रखा था, जिस पर भारत ने स्पष्ट जवाब दिया था – “हम एक संप्रभु राष्ट्र हैं और अपने मसले खुद सुलझाना जानते हैं। यह हमारा आंतरिक मामला है।”
डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के मुद्दे पर क्या कहा?
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि चीन के साथ उनके अच्छे रिश्ते थे और शी जिनपिंग के साथ सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कोविड आने के बाद हालात बदल गए। उन्होंने माना कि चीन दुनिया में एक अहम भूमिका निभाता है।
भारत को लेकर उन्होंने कहा कि वहां सीमाओं पर तनाव और झड़पें हो रही हैं, जो चिंता की बात है। उन्होंने आशंका जताई कि यह स्थिति आगे भी जारी रह सकती है। ट्रम्प ने कहा कि अगर उनके बस में हुआ, तो वह इस तनाव को खत्म करने में मदद करना चाहेंगे।
भारत ने नाकारा ट्रंप का ऑफर
भारत ने अमेरिका के प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया और साफ कहा कि वह इस मुद्दे को आपसी बातचीत से ही सुलझाएगा। विदेश सचिव विक्रम मिस्तरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर जानकारी देते हुए कहा, “हम अपने पड़ोसियों के साथ किसी भी विवाद को हमेशा सीधे बातचीत के जरिए हल करने के पक्ष में रहे हैं।”
चीन को लेकर ट्रंप ने कही ये बात
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि चीन रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकता है। उनके मुताबिक, चीन इस युद्ध को रोकने में अमेरिका की मदद कर सकता है। उन्होंने कहा, “यह युद्ध काफी समय से चल रहा है। मैं उम्मीद करता हूं कि चीन, भारत, रूस और अमेरिका मिलकर इसे खत्म करने के लिए कोई कदम उठाएं। यह बहुत जरूरी है।”