जम्मू-कश्मीर में शराबबंदी का मुद्दा एक बड़ी राजनीतिक बहस का रूप ले चुका है। आमतौर पर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े रहने वाले राजनीतिक दल इस बार एक साथ नजर आ रहे हैं। PDP से लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस, BJP और इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी विधानसभा में शराबबंदी को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल पेश करने जा रही हैं। इस मुद्दे पर सत्ताधारी और विपक्षी दलों का एकमत होना काफी अहम है क्योंकि यह सत्र हंगामेदार होने की पूरी संभावना है।
तीन मार्च से विधानसभा में उठेगा शराबबंदी का मुद्दा
बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा का बजट सत्र तीन मार्च से शुरू होने जा रहा है। इससे पहले ही शराबबंदी को लेकर माहौल गरमा गया है। PDP और नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों ने इस संबंध में प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। जिसे बीजेपी समेत अन्य दलों का भी समर्थन मिल रहा है। इस मुद्दे पर आमतौर पर एक-दूसरे के धुर विरोधी रहने वाले राजनीतिक दल भी एकमत दिख रहे हैं। वहीं PDP की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि शराब का बढ़ता चलन समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहा है और इसे रोकना जरूरी हो गया है।
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धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बचाने की दलील
शराबबंदी मुद्दे को लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी प्रमुखता दी जा रही है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक अहसान परदेसी ने कहा कि कश्मीर की विरासत हमेशा से नशे के खिलाफ रही है और शराब की बढ़ती बिक्री धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने मांग की कि मुस्लिम बहुल इलाकों में शराब की दुकानों को तुरंत बंद किया जाए।
शिवसेना(UBT) के कार्यकर्ता भी उतरे सड़कों पर
बता दें कि शराबबंदी बिल के समर्थन में शिवसेना(UBT) ने भी मोर्चा खोल दिया है। जम्मू में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए सरकार से शराबबंदी लागू करने की मांग की। वहीं शिवसेना के प्रदेश अध्यक्ष मनीष साहनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर मंदिरों और पीर-पैगंबरों की धरती है, लेकिन सरकार की गलत नीतियों के चलते यह शराब का गढ़ बनता जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नशे के कारण नशा मुक्ति केंद्रों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और सरकार को इस पर सख्त कदम उठाने चाहिए।
BJP पर भी दबाव, अब क्या होगा अगला कदम?
भले ही बीजेपी ने इस मुद्दे पर समर्थन जताया है, लेकिन पार्टी पर यह स्पष्ट करने का दबाव है कि वह शराबबंदी को लेकर अपनी नीति को किस तरह लागू करेगी। शिवसेना UBT ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी से सीधा जवाब मांगा है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार को सिर्फ बयानबाजी से आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने चाहिए और शराबबंदी को कानूनी रूप से लागू करना चाहिए।