महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा सियासी बबाल मचा हुआ है। अटकलें यह हैं कि महायुति सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। बता दें कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच तनाव बढ़ता दिख रहा है। हाल ही में फडणवीस द्वारा बुलाई गई बैठकों में शिंदे की गैरमौजूदगी और उनकी हालिया बयानबाजी ने इस सियासी खींचतान को और हवा दे दी है। शिंदे ने साफ शब्दों में कहा कि उन्हें हल्के में न लिया जाए, क्योंकि 2022 में जब ऐसा किया गया था, तब उन्होंने सरकार गिरा दी थी।
Nagpur, Maharashtra: Deputy CM Eknath Shinde says, “I am a worker, a simple worker, but I should be seen as a worker of Balasaheb and Dighe Saheb. When I was taken lightly, I changed the government in 2022 and brought a government that reflects the people’s will…” pic.twitter.com/4qTp1xnsOZ
— IANS (@ians_india) February 21, 2025
शिंदे–फडणवीस में अब खुलकर ‘वार’
फडणवीस और शिंदे में पिछले कुछ समय से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस टकराव पर विवाद तब और बढ़ गया जब फडणवीस सरकार ने शिंदे की एक पुरानी 900 करोड़ की योजना पर रोक लगा दी। वहीं इस परियोजना की वैधता पर सवाल उठाते हुए जांच के आदेश भी दिए गए हैं। इस मुद्दे पर जब शिंदे से पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा:
वहीं एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में दिए गए अपने पहले भाषण की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा 200 से अधिक सीटें जीतेगी। उनका दावा सही साबित हुआ और महायुति गठबंधन ने 230 सीटों पर जीत दर्ज की, जिसमें भाजपा को 132, शिवसेना (शिंदे गुट) को 57 और एनसीपी (अजित पवार गुट) को 41 सीटें मिलीं। शिंदे ने यह बयान देकर संकेत दिया कि उन्हें कम आंकना किसी के लिए भी घातक हो सकता है।
2022 में शिवसेना में कर चुके हैं बड़ा विद्रोह
शिंदे की यह बयानबाजी उनकी पुरानी राजनीतिक रणनीति की याद दिलाती है। 2022 में उन्होंने शिवसेना के 40 विधायकों के साथ बगावत कर दी थी, जिससे महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन किया और मुख्यमंत्री बने। हालांकि, 2024 में भाजपा के मजबूत प्रदर्शन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा और अब वे उपमुख्यमंत्री हैं।
शिंदे बनाम फडणवीस के सियासी मायने
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच तनातनी बढ़ती दिख रही है। शिंदे, जो 2022 में शिवसेना में बगावत कर मुख्यमंत्री बने थे, 2024 चुनावों में बीजेपी के मजबूत प्रदर्शन के बाद उपमुख्यमंत्री की भूमिका में आ गए। इससे उनकी सियासी पकड़ कमजोर हुई है। जालना में 900 करोड़ रुपये की परियोजना पर फडणवीस द्वारा रोक लगाने और जांच के आदेश दिए जाने से यह खींचतान और स्पष्ट हो गई। शिंदे का “मुझे हल्के में मत लो” बयान इस बात का संकेत है कि वे अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं फडणवीस और बीजेपी नेतृत्व का झुकाव अजित पवार की एनसीपी की ओर दिख रहा है, जिससे शिंदे गुट पर दबाव बढ़ रहा है। अगर यह टकराव और गहराता है, तो महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है, जिससे महायुति सरकार की स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है।
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