8 जिंदगियां दांव पर! क्या बच पाएंगे मजदूर?

Telangana Tunnel: 40 मीटर की दूरी और, क्या ‘रैट माइनर्स’ दिला पाएंगे सफलता?

तेलंगाना के नगरकुरनूल जिले में सुरंग हादसे के बाद बचाव अभियान तेज हो गया है। जिला कलेक्टर बी संतोष ने बताया कि सेना और एनडीआरएफ की दो टीमें लगातार बचाव कार्य में लगी हुई हैं। अब उत्तराखंड की सिल्क्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बचाने वाली रैट माइनर्स की टीम भी इस ऑपरेशन का हिस्सा बन गई है।

शनिवार को सुरंग की छत गिरने से कुछ लोग अंदर फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए अब मशीनें तैनात की जा रही हैं, ताकि आखिरी 40 मीटर की दूरी भी तय की जा सके।

कलेक्टर बी संतोष ने कहा, “हम एक टीम को अंदर भेज रहे हैं। कल हम 40 मीटर तक नहीं पहुंच सके थे, लेकिन अब मशीनों की मदद से वहां तक भी पहुंच जाएंगे।” इसके अलावा, सुरंग से पानी निकालने का काम जारी है और खुदाई के लिए मशीनें अंदर भेजी जा रही हैं।

अंदर के हालात अच्छे नहीं 

मंत्री जुंपल्ली कृष्णा राव, जो राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं, ने कहा कि अंदर फंसे आठ लोगों के जीवित बचने की संभावना बहुत कम है। उन्होंने बताया, “मैं यह नहीं कह सकता कि वे बच पाएंगे या नहीं, लेकिन हालात अच्छे नहीं हैं। फिर भी, अगर जरा भी उम्मीद है, तो हम उन्हें बचाने की पूरी कोशिश करेंगे।”

फंसे हुए लोगों में चार मजदूर, दो कंपनी कर्मचारी और दो अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी शामिल हैं। मंत्री ने आश्वासन दिया कि बचाव कार्य में कोई भी लापरवाही नहीं बरती जा रही है।

रैट माइनर्स से मिलेगी सफलता?

उत्तराखंड के सिल्क्यारा बेंड-बरकोट टनल में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए अब ‘रैट माइनर्स’ की टीम भी पहुंच गई है। जिला कलेक्टर ने बताया कि सुरंग में पानी का रिसाव जारी है, लेकिन अधिकारियों ने किसी भी तरह की अतिरिक्त क्षति को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं।

अचमपेट के विधायक वंसी कृष्णा ने कहा कि टनल बोरिंग मशीन से अंदर जमा कीचड़ को हटाया जाएगा। इसके अलावा, भारतीय सेना और एनडीआरएफ की टीम जिन हिस्सों तक नहीं पहुंच पा रही है, वहां की स्थिति जानने के लिए एक माइक्रो-कैमरा सुरंग के अंदर भेजा जाएगा। इससे फंसे हुए लोगों की सही लोकेशन का पता चल सकेगा और बचाव कार्य तेज़ी से किया जा सकेगा।

अन्य मजदूरों को है अपने साथियों का इंतज़ार 

जैसे-जैसे बचाव कार्य आगे बढ़ रहा है, फंसे हुए मजदूरों के साथी उनकी सुरक्षित वापसी की उम्मीद लगाए बैठे हैं। हादसे के गवाहों ने बताया कि 22 फरवरी की सुबह जब वे सुरंग में घुसे, तो अचानक पानी का बहाव तेज हो गया और मिट्टी गिरने लगी।

झारखंड के मजदूर निर्मल साहू ने बताया, “कुछ लोग खतरे को समझकर बाहर निकलने में सफल रहे, लेकिन आठ मजदूर बाहर नहीं आ सके। हमें भरोसा है कि सरकार हमारे साथियों को सुरक्षित बाहर निकालेगी और हम उन्हें जीवित देख सकेंगे।”

सुरंग में वापस जाने को तैयार नहीं मजदूर 

कुछ मजदूरों ने वेतन न मिलने और प्रबंधन के खराब व्यवहार की शिकायत की है। उनका कहना है कि वे सुरंग में वापस जाने को तैयार नहीं हैं। एक मजदूर ने कहा, “हमें तीन महीने से वेतन नहीं मिला, और अब प्रबंधन जबरदस्ती हमें उसी जगह भेज रहा है। जब हमने अपनी आंखों के सामने यह हादसा होते देखा, तो वहां वापस कैसे जा सकते हैं?”

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एल एंड टी कंपनी सुरंग के अंदर की स्थिति पर नजर रखने के लिए एंडोस्कोपिक कैमरा तैनात कर रही है। कंपनी के एक अधिकारी ने बताया, “हमने उत्तराखंड में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया था। दो टीमें यहां पहुंच चुकी हैं और उनके साथ एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरे भी लाए गए हैं।”

 

यह भी पढ़े: