पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न्याय के दवेता यानी जज साहब की अंतरात्मा को भी झकझोर कर रख दिया है । मामला एक बेटे का है, जिसने अपनी बुजुर्ग मां को महज 5 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस पर जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह ने न सिर्फ बेटे को खरी-खोटी सुनाई, बल्कि उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया। जज ने इस मामले को ‘कलयुग का उदाहरण’ बताते हुए कहा कि यह केस अदालत की अंतरात्मा को झकझोरने वाला है।
क्या है पूरा मामला?
मामला एक 77 वर्षीय बुजुर्ग महिला का है, जिनके पति की मौत साल 1992 में हो गई थी। उनके एक बेटे और एक शादीशुदा बेटी है। इसके अलावा, उनके एक और बेटे की मौत हो चुकी है, जिनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। पति की मौत के बाद बुजुर्ग महिला ने अपनी 50 बीघा जमीन को अपने बेटे और पोतों में बांट दिया था। साल 1993 में कोर्ट ने उन्हें गुजारा भत्ते के तौर पर 1 लाख रुपये देने का आदेश दिया था। इसके बाद से वह अपनी बेटी के साथ रहने लगी थीं। लेकिन, अब बेटे ने अदालत में याचिका दाखिल करके कहा कि चूंकि बुजुर्ग महिला उनके साथ नहीं रहती हैं, इसलिए फैमिली कोर्ट उन्हें गुजारा भत्ता देने का आदेश नहीं दे सकती। बेटे की इस याचिका पर जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह ने सुनवाई की और उसे खारिज कर दिया।
जज ने क्या कहा?
जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह ने इस मामले को ‘कलयुग का उदाहरण’ बताया। उन्होंने कहा, “यह कलयुग का उदाहरण है, जो इस मामले में नजर आ रहा है। इसने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज की तरफ से पारित आदेश में कोई अवैधता नहीं है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि 5 हजार रुपये की रकम भी कम थी। हालांकि, प्रतिवादी विधवा की तरफ से इसमें इजाफा करने के लिए कोई याचिका दाखिल नहीं की गई है।” जज ने आगे कहा कि बुजुर्ग महिला के पास आय का कोई साधन नहीं है और वह अपनी बेटी के साथ रहने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में, बेटे की याचिका का कोई आधार नहीं बनता है। जज ने याचिका को खारिज करते हुए बेटे पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और उसे 3 महीने के भीतर यह रकम अपनी मां के नाम जमा करने के आदेश दिए।
बुजुर्ग महिला के पास आय का कोई साधन नहीं
बुजुर्ग महिला की तरफ से पेश हुए वकील ने बताया कि उनके पास आय का कोई साधन नहीं है। उन्होंने अपनी सारी जमीन बेटे और पोतों में बांट दी है। अब वह अपनी बेटी के साथ रहने के लिए मजबूर हैं। वकील ने कहा कि बेटे की याचिका पूरी तरह से गलत है और उसका कोई आधार नहीं है।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने इस मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। जज ने कहा कि जब बुजुर्ग महिला के पास आय का कोई साधन नहीं है, तो उन्हें गुजारा भत्ता देना बेटे की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि 5 हजार रुपये की रकम भी कम है, लेकिन महिला ने इसमें इजाफा करने के लिए कोई याचिका दाखिल नहीं की है।
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