Holi Celebration: रंगों का त्योहार होली पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। जबकि होली का सार एक ही है – बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाना और वसंत का स्वागत करना – इसे मनाने के तरीके अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग होते हैं। होली (Holi Celebration) अपने विभिन्न रूपों में भारत की विविध संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती है।
बरसाना की चंचल लट्ठमार होली से लेकर वृन्दावन की भक्तिमय फूलों की होली तक, प्रत्येक क्षेत्र त्योहार में अपना अलग आकर्षण जोड़ता है। उत्सव की शैलियों में अंतर के बावजूद, सार एक ही है- प्यार, खुशी और एकजुटता फैलाना। यहां भारत में मनाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की होली, उनकी अनूठी शैली और महत्व (Holi Celebration) के बारे में बताया गया है:
लट्ठमार होली (बरसाना और नंदगांव, उत्तर प्रदेश)
इस अनोखे उत्सव में, राधा की जन्मस्थली बरसाना की महिलाएं, नंदगांव (कृष्ण के गांव) के पुरुषों को लाठियों (Lathmar Holi) से मारती हैं, जबकि वे खुद को ढालों से बचाने की कोशिश करते हैं। यह कार्यक्रम लोक गीतों, नृत्य और जीवंत रंगों के साथ होता है। यह भगवान कृष्ण द्वारा राधा और उसकी सहेलियों को छेड़ने के चंचल प्रसंग को फिर से प्रस्तुत करता है, जो दिव्य प्रेम और आनंद का प्रतीक है।
फूलों की होली (वृंदावन, उत्तर प्रदेश)
वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में यह होली रंगों की बजाय ताजे फूलों की पंखुड़ियों (Phoolon Ki Holi) से खेली जाती है। माहौल भक्तिमय गीतों, मंत्रोच्चार और नृत्य से भर जाता है। यह भगवान कृष्ण के प्रति पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है, जिनका वृन्दावन शहर से गहरा संबंध है।
धुलंडी होली (उत्तर भारत)
यह मुख्य होली (Holi 2025) है जो उत्तर भारत में लगभग हर जगह खेली जताई है। लोग एक-दूसरे पर गुलाल लगाते हैं और पानी के गुब्बारे और पिचकारी छोड़ते हैं। गुझिया और ठंडाई जैसी मिठाइयों का आनंद लेने के लिए परिवार और दोस्त एक साथ आते हैं। यह प्रह्लाद और होलिका की कहानी से प्रेरित होकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
रंग पंचमी (महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश)
होली के पांच दिन बाद मनाया जाने वाला यह त्योहार देवताओं के सम्मान और बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए हवा में रंग उड़ाया जाता है। सड़कें संगीत, नृत्य और आनंदमय जुलूसों से भर जाती हैं। यह पर्व (Rang Panchami) वसंत के आगमन और सकारात्मक ऊर्जा की विजय का प्रतीक है।
शिग्मो (गोवा)
यह (Shigmo) लोक नृत्यों, सड़क प्रदर्शनों और जीवंत जुलूसों के साथ एक भव्य कार्निवल जैसा उत्सव है। इस दिन लोग पारंपरिक वेशभूषा और मुखौटे पहनते हैं। युद्ध के बाद घर लौटने वाले योद्धाओं का सम्मान करते हुए, उनकी बहादुरी और फसल के मौसम का जश्न मनाते हुए।
याओसांग (मणिपुर)
होली और मणिपुरी परंपराओं का मिश्रण, जिसमें रात में किया जाने वाला एक विशेष लोक नृत्य थबल चोंगबा (Yaosang) शामिल है। भक्ति गीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। खुशी, रंगों और एकता का जश्न मनाते हुए, हिंदू और स्थानीय मैतेई परंपराओं का विलय होता है।
मंजल कुली (केरल)
केरल के कोंकणी और गौड़ सारस्वत ब्राह्मण समुदायों द्वारा रंगीन पाउडर के बजाय हल्दी पानी का उपयोग करके मनाया जाता है। कोच्चि (Manjal Kuli) के गोश्रीपुरम थिरुमाला मंदिर में मनाया जाता है। समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि हल्दी को पवित्र और फायदेमंद माना जाता है।
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