‘IRCTC’ को मिला ‘नवरत्न’ का दर्जा, जानें फिर भी यात्रियों को होती हैं कौन-सी दिक्कतें?

IRCTC achieve Navratna Status: केंद्र सरकार ने 3 मार्च 2025 को रेलवे की दो कंपनियों ‘इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन’ (IRCTC) और ‘इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन’ (IRFC) को ‘नवरत्न’ कंपनी का दर्जा दे दिया है। यह दर्जा पाने वाली ये दोनों कंपनिया देश की क्रमश: 25वीं और 26वीं कंपनियां बन गई हैं।

वैसे, इसमें कोई शक नहीं कि ‘नवरत्न’ का दर्जा हासिल करने के बाद कंपनियों को कई लाभ होते हैं। जाहिर है IRCTC को भी इसका लाभ मिलेगा, लेकिन फिर भी इसकी कुछ सर्विस ऐसी हैं, जिनसे यात्री हमेशा परेशान रहते हैं। इस आर्टिकल में हम उन्हीं दिक्कतों की बात करने वाले हैं, जिनके लिए शायद कंपनी को ‘खेद’ भी नहीं होता है।

स्लो ऐप से परेशान यात्री

सबसे पहले बात करते हैं IRCTC की वेबसाइट और ऐप की। बता दें कि IRCTC ऑनलाइन ट्रेन टिकट बेचने वाली एकमात्र कंपनी है, लेकिन यात्रियों को शिकायत रहती है कि इसकी वेबसाइट और ऐप हमेशा ही स्लो रहती है। इसके अलावा, ऐप के क्रैश हो जाने से कई बार यात्री अधर में अटक जाते हैं, जो वाकई काफी परेशानी भरा रहता है।

कंफर्म टिकट न मिल पाना

IRCTC के साथ एक दिक्कत यह है कि यात्रियों को कंफर्म सीट मिल पाना बहुत मुश्किल होता है। टिकट विंडो ओपन होती है, लेकिन तुरंत ही वेटिंग आ जाता है। हालांकि, रिजर्वेशन काउंटर पर टिकट मिल जाती है।

टिकट बुक न होने पर भी पैसा कट जाना

पैसेंजर्स के साथ यह भी बहुत होता है कि वेबसाइट पर एरर आ जाने से टिकट पेमेंट करने के बाद भी टिकट बुक नहीं हो पाता। हालांकि, कटा हुआ पैसा आपको वापस मिल जाता है, लेकिन देरी से।

टिकट कैंसिल करने पर कटता है पैसा

इसके अलावा, जो IRCTC के साथ जर्नी करते हैं, उनके लिए एक दिक्कत यह होती है कि यदि आप टिकट कैंसिल करवाना चाहते हैं, तो उस पर कुछ चार्जेस लगते हैं। अगर आप 48 घंटे पहले कैंसिल करते हैं, तो नॉर्मल टिकट पर स्लीपर में 120 और थर्ड AC में 180 रुपए प्लस जीएसटी लगता है। उसके बाद कैंसिल करते हैं, तो टिकट का 25 और 50 फीसदी कट जाता है। वहीं, पैसा वापस आने में भी वक्त लगता है।

बेकार खाना

ऐसा हम नहीं कह रहे, यात्रियों की ऐसी शिकायत रहती है कि IRCTC की तरफ से मिलने वाला खाना अच्छा नहीं होता है। एक बार एक यात्री ने खाने में कॉकरोच निकलने की शिकायत भी की थी। तो यह भी एक परेशानी है।

कंपनियों को कैसे मिलता है ‘नवरत्न’ का दर्जा?

यहां यह भी बता देना जरूरी है कि कंपनियों को ‘नवरत्न’ का दर्जा कैसे मिलता है। दरअसल, यह केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कंपनियों की दूसरी श्रेणी होती है। इसमें ‘महारत्न’ और ‘मिनीरत्न’ के बीच की कंपनियां शामिल की जाती हैं। यह दर्जा कंपनियों को उनके मुनाफे, नेट वर्थ और अलग-अलग सर्विस जैसे मानदंडों के हिसाब से दिया जाता है। यह दर्जा Department of Public Enterprises (DPE) देता है। यह डिपार्टमेंट वित्त मंत्रालय के तहत आता है।

बता दें कि नवरत्न का दर्जा देने के लिए कंपनी का चयन 6 इंडिकेटर के आधार पर किया जाता है, जो निम्न प्रकार हैं-

  • नेट प्रॉफिट
  • उत्पादन लागत में श्रम लागत का अनुपात
  • पूंजी पर रिटर्न (PBDIT) का अनुपात
  • टर्नओवर के अनुपात में लाभ (PBIT)
  • प्रति शेयर इनकम
  • कंपनी का अलग-अलग क्षेत्रों में प्रदर्शन

अगर किसी कंपनी का इन 6 इंडिटेकर में कुल स्कोर 60 से ज्यादा है और पिछले पांच सालों में से तीन साल में उसे बहुत अच्छी MOU रेटिंग मिली है, तो उसे ‘नवरत्न’ का दर्जा दिया जा सकता है।

‘नवरत्न’ का दर्जा मिलने से कंपनियों को मिलने वाला लाभ

जाहिर है कि जब किसी कंपनी को ‘नवरत्न’ का दर्जा मिलता है, तो इसके कई लाभ होते हैं। इससे कंपनियों को वित्तीय आजादी, वैश्विक विस्तार और अन्य कंपनियों के साथ विलय करने की भी स्वतंत्रता मिलती है। इसमें सरकार का दखल नहीं होता है।

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