Pakistan Train Hijack: पाकिस्तान से बलूचिस्तान को आजाद करने की मांग करने वाले संगठन ‘बलूच लिबरेशन आर्मी’ (बीएलए) ने अपने एक हालिया बयान में कहा कि उसने दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही ‘जाफर एक्सप्रेस ट्रेन’ को बोलन में हाईजैक कर लिया है, जिसमें लगभग 450 यात्री मौजूद थे, जिन्हें बंधक बना लिया गया है।
संगठन की तरफ जारी किए गए बयान में उनके खिलाफ सैन्य कार्रवाई न करने की मांग की गई है, अन्यथा सभी बंधकों को मारने की धमकी दी गई है। वैसे, ‘बलोच लिबरेशन आर्मी’ (BLA) पाकिस्तान के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी संगठन द्वारा कई हमले किए गए हैं।
कौन है ‘बलोच लिबरेशन आर्मी’ (BLA)?
‘बलोच लिबरेशन आर्मी’ की बात करें, तो यह एक ऐसा विद्रोही संगठन है, जो पाकिस्तान से बलूचिस्तान को आजाद करने की मांग कर रहा है। इस प्रांत के लोगों का मानना है कि उन्हें सरकार द्वारा जरूरी व बेसिक सुविधाएं और संसाधनों (खनिज, गैस आदि) का फायदा नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से बलूचिस्तान पाकिस्तान का गरीब प्रांत है। बता दें कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन यह अविकसित है। इसकी आबादी भी सबसे कम है। ऐसे में वहां के संसाधनों पर बलोच लोगों का अधिकार स्थापित करने के लिए यह संगठन लंबे समय से संघर्ष कर रहा है। पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी संगठन माना जाने वाला यह गुट मुख्य तौर पर पाकिस्तानी सेना और सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमला कर सकता है, साथ ही चीनी निवेश परियोजनाओं (विशेष रूप से CPEC) पर हमले करता है।
‘बलोच लिबरेशन आर्मी’ के मुद्दे
बता दें कि ‘बलोच लिबरेशन आर्मी’ कुछ खास मुद्दों को लेकर पाकिस्तानी सरकार से संघर्ष कर रही है। उनके मुद्दे इस प्रकार हैं-
- आर्थिक रूप से पिछड़ा होना: बलूचिस्तान में प्राकृतिक संसाधनों (गैस, खनिज आदि) की कमी नहीं है, लेकिन फिर भी यह प्रांत अविकसित है। ऐसे में लोग सरकार द्वारा शोषित महसूस करते हैं।
- राजनीतिक मुद्दे: बलोच लोगों को राजनीतिक तौर पर भी अपने साथ गलत होने की शिकायत रहती है।
- मानवाधिकार मुद्दे: बलूचिस्तानियों के खिलाफ आने वाली मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्ट्स और आजादी की मांग करने वाले गुटों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से भी ये दिक्कतें बढ़ी हैं।
‘बलोच लिबरेशन आर्मी’ कब बनी?
बता दें कि जब 1947 में पाकिस्तान भारत से अलग हुआ, तब बलूचिस्तान आजाद था, लेकिन 1948 में पाकिस्तान ने इसे जबरदस्ती अपने में शामिल कर लिया। 70 के दशक में भी बलूचिस्तान ने अलग होने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से चलाए गए सैन्य अभियान में बलोच नेताओं व लोगों को प्रताड़ित किया गया। ऐसे में बलोच लोगों के गुटों ने आजादी के लिए सशस्त्र विद्रोह को चुना। ‘बलोच लिबरेशन आर्मी’ (BLA) की स्थापना 1970 में बलोच नेता मीर हबत खान मारी और उनके बेटे नवाब खैर बख्श मारी ने की थी। 2000 के बाद इस गुट ने पाकिस्तान में संघर्ष शुरू किया, जो अब तक जारी है।
‘बलोच लिबरेशन आर्मी’ द्वारा पाकिस्तान पर किए गए हमले
‘बलोच लिबरेशन आर्मी’ पाकिस्तान के लिए आंतरिक सुरक्षा का एक बड़ा खतरा बन गया है। जिसने पाकिस्तान पर एक के बाद एक कई बड़े हमले किए हैं, जो निम्न प्रकार है-
2015: तुर्बत के पास मजदूरों के एक कैंप पर अटैक, जिसमें पंजाब और सिंध के 20 लोग मारे गए थे।
2018: नवंबर में कराची के क्लिफ्टन में चीनी वाणिज्य दूतावास पर हमला हुआ था, जिसमें 4 लोगों की मौत हुई थी।
2019: ग्वादर के ‘पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल’ पर हमला किया गया, जहां CPEC से जुड़े चीनी अधिकारी रुके हुए थे।
2021: बलूचिस्तान में इंजीनियरों पर किय गया था आत्मघाती हमला।
2022: कराची यूनिवर्सिटी के कन्फ्यूशियस संस्थान के पास खड़ी वैन पर बम विस्फोट किया गया, जिसमें तीन चीनी टीचर्स और उनके पाकिस्तानी ड्राईवर की मौत हो गई थी।
2022: इस साल सबसे ज्यादा 78 हमले किए गए थे, जिनमें 80 से ज्यादा मौतें हुई थीं और 137 लोग घायल हुए थे।
2023: केच जिले में छह पंजाबी मजदूरों को मारा गया था।
2024: बलूचिस्तान के नोशकी शहर के पास अप्रैल में पंजाबी यात्रियों के पहचान पत्र की जांच करने के बाद उन्हें गोली मारी गई।
2024: पाकिस्तान के क्वेटा में नवंबर में रेलवे स्टेशन के अंदर विस्फोट किया गया, जिसमें पाकिस्तानी सेना के 14 सैनिक और 10 आम लोगों की मौत हुई थी।
2025: 11 मार्च को क्वेटा से पेशावर जा रही जफर एक्सप्रेस को हाईजैक किया गया, जिसमें मौजूद सभी 450 लोगों को बंधक बनाया गया।
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