John Abraham Diplomat Movie: बॉलीवुड के दमदार अभिनेता जॉन अब्राहम की लेटेस्ट फिल्म ‘द डिप्लोमैट’ इस समय काफी सुर्खियों में बनी हुई है, जो 14 मार्च 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। फिल्म का निर्देशन मशहूर फिल्ममेकर शिवम नायर ने किया है। कई फिल्म समीक्षकों ने इसका रिव्यू भी किया है और जॉन की एक्टिंग की काफी तारीफ भी की है। बता दें कि इस फिल्म में जॉन ने जांबाज अफसर जेपी सिंह का किरदार निभाया है, जिन्होंने 2017 में पाकिस्तान में फंसी उजमा अहमद की देश वापसी कराई थी।
आगे बढ़ने से पहले हम आपको फिल्म की कहानी के बारे में बता देते हैं। फिल्म में जॉन अब्राहम और सादिया खतीब मुख्य भूमिकाओं में हैं। बता दें कि यह फिल्म उज़मा अहमद नामक एक भारतीय लड़की के जीवन पर आधारित है, जो पाकिस्तान में फंस गई थी। फिर उसे भारतीय राजनयिक जेपी सिंह ने बचाया था। आज भी इस घटना को सबसे मुश्किल और अप्रत्याशित रेस्क्यू मिशन्स में से एक माना जाता है। बता दें कि जेपी सिंह ने तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मदद से 2017 में पाकिस्तान में इस रेस्क्यू मिशन को शुरू किया था और उसे सफलतापूर्वक पूरा भी किया।
जानें कौन हैं जेपी सिंह, जिन्होंने ‘भारत की बेटी’ की कराई वापसी
बता दें कि जे.पी. सिंह ‘भारतीय विदेश सेवा’ (IFS) के 2002 बैच के एक प्रतिष्ठित अधिकारी हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान (PAI) डिवीजन में बतौर संयुक्त सचिव कई अहम मिशनों को अंजाम दिया है। पाकिस्तान से उजमा अहमद की घर वापसी भी उनके करियर का एक अहम मिशन रहा है।
बता दें कि उज़मा अहमद एक भारतीय नागरिक थी, जिसकी मलेशिया में ताहिर अली नामक एक पाकिस्तानी व्यक्ति से मुलाकात हुई। उजमा को ताहिर से प्यार हो गया। ताहिर ने उजमा को पाकिस्तान आने के लिए कहा और उजमा की बेटी की देखभाल करने का भी वादा किया। ऐसे में ताहिर पर विश्वास कर उजमा पाकिस्तान चली गई। हालांकि, वहां जाने के बाद उजमा को पता चला कि ताहिर पहले से ही शादीशुदा था और उसके चार बच्चे थे।
इस सच्चाई को जानने के बाद उज़मा अहमद ने पाकिस्तान छोड़ने का फैसला किया, लेकिन ताहिर अली ने उजमा को बंदूक की नोक पर उससे शादी करने के लिए मजबूर किया। जबरन शादी के बाद, ताहिर ने लंबे समय तक उज़मा का यौन और मानसिक शोषण किया। एक दिन, उज़मा ने अपने चचेरे भाई को फोन किया, जो मलेशिया में रह रहा था और उसे इस बारे में सब कुछ बताया।
उससे और अपनी दूसरी सहेली से बात करने के बाद उसने मदद के लिए इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया। इसके बाद उजमा ने ताहिर अली से कहा कि उसके चचेरे भाई ने शादी के लिए उसे शगुन के तौर पर कुछ पैसे भेजे हैं। चूंकि ताहिर एक लालची आदमी था, तो वह उसे भारतीय उच्चायोग ले गया।
भारतीय दूतावास पहुंचकर उजमा अहमद ने भारतीय अधिकारियों को अपनी पूरी कहानी सुनाई और यह डिप्टी हाई कमिश्नर जेपी सिंह थे, जिन्होंने इस मामले की जिम्मेदारी संभाली। राजनयिक जेपी सिंह ने पूरी स्थिति को संभाला और सीधे भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से संपर्क किया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जेपी सिंह आखिरकार उजमा अहमद को पाकिस्तान से छुड़ाने में सफल रहे और उसे वापस भारत ले आए।
खैर, इस सच्ची घटना को बड़े पर्दे पर देखना वाकई दिलचस्प होगा। बता दें कि फिल्म में जॉन और सादिया खतीब के अलावा प्राप्ति शुक्ला, अश्वथ भट्ट, शारिब हाशमी, कुमुद मिश्रा और राम गोपाल बजाज अहम भूमिकाओं में हैं।
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