सिसोदिया-सत्येंद्र जैन पर FIR को मंजूरी, 1300 करोड़ के क्लासरूम घोटाले में जांच का शिकंजा कसा

आम आदमी पार्टी (AAP) के दो बड़े नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने की मंजूरी दे दी है। यह मामला दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण से जुड़े कथित 1300 करोड़ रुपये के घोटाले से संबंधित है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब दोनों नेताओं के खिलाफ जांच तेज होने की उम्मीद है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला पिछली अरविंद केजरीवाल सरकार के दौरान दिल्ली के 193 सरकारी स्कूलों में 2,405 कक्षाओं के निर्माण से जुड़ा है। अप्रैल 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण का निर्देश दिया था। इसके बाद लोक निर्माण विभाग (PWD) को 193 स्कूलों में 2,405 कक्षाओं के निर्माण का काम सौंपा गया। हालांकि, केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने अपनी 17 फरवरी, 2020 की रिपोर्ट में PWD द्वारा किए गए निर्माण कार्य में अनियमितताओं का खुलासा किया था। CVC ने इस मामले को विस्तृत जांच के लिए विजिलेंस डिपार्टमेंट (DoV) को भेजा था, लेकिन AAP सरकार ने ढाई साल तक इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की। इस साल अगस्त में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को इस मामले में देरी की जांच करने और एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

CVC की रिपोर्ट में क्या था खुलासा?

CVC की रिपोर्ट के मुताबिक, PWD ने स्कूलों में कक्षाओं की आवश्यकता का पता लगाने के लिए एक सर्वे किया था। सर्वे के आधार पर 194 स्कूलों में 7,180 समतुल्य कक्षाओं (ECR) की कुल आवश्यकता का अनुमान लगाया गया था। यह संख्या 2,405 कक्षाओं की आवश्यकता से लगभग तीन गुना ज्यादा थी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि PWD ने कक्षाओं के निर्माण में अनियमितताएं कीं और इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। इसके बाद से ही यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है।

राष्ट्रपति की मंजूरी से क्या बदलेगा?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ FIR दर्ज करने की मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के बाद अब दोनों नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PCA) के तहत जांच शुरू हो सकती है। मनीष सिसोदिया, जो दिल्ली सरकार में पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री रह चुके हैं, पर आबकारी नीति घोटाले के आरोप भी लगे हैं। वहीं, सत्येंद्र जैन, जो दिल्ली सरकार में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हैं, पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। दोनों नेता फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

दिल्ली सरकार का पक्ष क्या है?

आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस मामले में खुद को बेदाग बताया है। पार्टी का कहना है कि यह केजरीवाल सरकार के खिलाफ एक राजनीतिक साजिश है। AAP ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसे मामले उठा रही है। हालांकि, CVC की रिपोर्ट और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब AAP नेताओं के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।

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