शुक्रवार सुबह लद्दाख के कारगिल और जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में भूकंप महसूस किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, कारगिल में भूकंप की तीव्रता 5.2 मापी गई, जबकि जम्मू-कश्मीर में यह झटके सुबह 2:50 बजे आए। भूकंप का केंद्र 15 किलोमीटर की गहराई पर था।
लद्दाख भूकंपीय क्षेत्र-IV में आता है
लेह और लद्दाख भूकंपीय क्षेत्र-IV में आते हैं, जो भूकंप के लिहाज से संवेदनशील इलाका माना जाता है। हिमालय क्षेत्र टेक्टोनिक रूप से सक्रिय है, जिस वजह से यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस क्षेत्र में हल्के से मध्यम तीव्रता के भूकंप सामान्य हैं, लेकिन बड़े भूकंप का खतरा भी बना रहता है। स्थानीय लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है।
EQ of M: 5.2, On: 14/03/2025 02:50:05 IST, Lat: 33.37 N, Long: 76.76 E, Depth: 15 Km, Location: Kargil, Ladakh.
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अरूणाचल प्रदेश में भी महसूस हुए भूकंप के झटके
अरुणाचल प्रदेश में सुबह 6:01 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसका केंद्र पश्चिम कामेंग था, और इसकी तीव्रता 4 मापी गई। भूकंप जमीन से 10 किलोमीटर नीचे आया था।
भारत को भूकंपीय गतिविधियों के आधार पर चार सिस्मिक जोन में बांटा गया है। सबसे खतरनाक ज़ोन V है, जहां बार-बार भूकंप आते हैं और भारी नुकसान होने की संभावना रहती है। वहीं, जोन II में भूकंप का खतरा सबसे कम होता है।
देश की राजधानी दिल्ली सिस्मिक जोन IV में आती है, जहां हल्के झटके महसूस किए जाते हैं। दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में भी भूकंप का असर देखा जाता है। ऐसे क्षेत्रों में सुरक्षित इमारतों और सावधानी बरतने की जरूरत होती है ताकि जान-माल की हानि कम हो सके।
EQ of M: 4.0, On: 14/03/2025 06:01:28 IST, Lat: 27.26 N, Long: 92.27 E, Depth: 10 Km, Location: West Kameng, Arunachal Pradesh.
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भूकंप क्यों आते हैं?
भूगर्भ में मौजूद भ्रंश (Fault) अधिकतर समय शांत रहते हैं, यानी उनमें कोई हलचल नहीं होती। लेकिन कई बार, टेक्टोनिक बलों के कारण भ्रंश के दोनों ओर की चट्टानें धीरे-धीरे दबाव में आकर विकृत होने लगती हैं। जब यह दबाव बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है, तो चट्टान अचानक टूट जाती है और तेज़ी से हिलने लगती है। इसी कारण भूकंप आता है।
जब चट्टान टूटती है, तो उसमें जमी हुई ऊर्जा एकदम से बाहर निकलती है, जिससे भूकंपीय तरंगें बनती हैं। ये तरंगें ज़मीन को हिलाती हैं, जिससे कंपन महसूस होता है। भूकंप के दौरान और उसके बाद, चट्टान की प्लेटें या टुकड़े तब तक हिलते रहते हैं जब तक वे किसी स्थिर स्थिति में वापस नहीं आ जाते।
भूकंप की शुरुआत जिस स्थान से होती है, उसे फोकस (Hypocenter) कहा जाता है, जो धरती के अंदर होता है। इसकी ठीक ऊपर ज़मीन की सतह पर जो स्थान होता है, उसे भूकंप का केंद्र (Epicenter) कहते हैं। यही वह जगह होती है जहाँ भूकंप का असर सबसे ज़्यादा महसूस होता है।