भारत और चीन दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं और साथ ही दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी भी इन्हीं देशों में रहती है। ऐसे में अगर इन दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ता है, तो यह कई देशों के लिए चिंता की बात हो सकती है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत और चीन के बीच व्यापार काफी बढ़ रहा है।
अब सवाल उठता है—क्या इसी वजह से अमेरिका परेशान है? क्या डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर (आयात-निर्यात पर ऊंचे टैक्स लगाने की नीति) के पीछे यही एक बड़ी वजह हो सकती है?
UN रिपोर्ट के बड़े खुलासे:
– रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन का व्यापार खासतौर पर विकासशील देशों (Developing Nations) में तेजी से बढ़ा है।
– अक्टूबर-दिसंबर 2024 की तिमाही में दोनों देशों के व्यापार में औसत से ज्यादा इजाफा देखा गया।
– हालांकि, रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि आने वाले समय में ग्लोबल मंदी (वैश्विक आर्थिक सुस्ती) की संभावना बनी हुई है।
UNCTAD की रिपोर्ट ने क्या कहा?
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (UNCTAD) की ग्लोबल ट्रेड अपडेट रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 में दुनियाभर का व्यापार करीब 1,200 अरब डॉलर (9%) बढ़कर 33,000 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह रिपोर्ट मार्च 2024 की शुरुआत तक के आंकड़ों पर आधारित है।
भारत और चीन का व्यापार मजबूत
रिपोर्ट बताती है कि भारत और चीन जैसे विकासशील देशों में व्यापार तेज़ी से बढ़ा है, जबकि कई विकसित देशों में व्यापार घटा है। खासतौर पर, साल 2024 की चौथी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में भारत और चीन ने अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं अमेरिका वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाला देश बना रहा।
भारत का निर्यात बढ़ा, दक्षिण कोरिया की रफ्तार धीमी
रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 की चौथी तिमाही में भारत से निर्यात 7% बढ़ा, जबकि 2023 की तुलना में यह ग्रोथ 2% रही। दूसरी ओर, दक्षिण कोरिया के निर्यात में सुस्ती देखी गई, लेकिन फिर भी यह दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे मजबूत बना रहा।
ट्रंप ने संभालने के लिए छेड़ी ‘टैरिफ वॉर’
साल 2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में अमेरिका का इंपोर्ट बढ़ा, लेकिन एक्सपोर्ट घट गया। वहीं, जापान, रूस, दक्षिण अफ्रीका और यूरोपीय यूनियन में इंपोर्ट में गिरावट दर्ज की गई।
जनवरी 2025 में अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हुआ, और डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने। सत्ता संभालते ही उन्होंने चीन जैसे देशों पर नियंत्रण के लिए ‘टैरिफ वॉर’ शुरू कर दी। इसका मकसद अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और ज्यादा नौकरियां पैदा करना है। खुद ट्रंप ‘मेक इन अमेरिका’ का ऐलान कर चुके हैं।
अब संयुक्त राष्ट्र (UN) के आंकड़े भी दिखा रहे हैं कि अमेरिका का घटता एक्सपोर्ट उसके लिए बड़ी चिंता बन चुका है। शायद इसी वजह से ट्रंप इसे ठीक करने के लिए ‘टैरिफ वॉर’ लड़ रहे हैं।
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