सोमवार का दिन जर्मनी में हवाई यात्रियों के लिए बेहद मुश्किलों भरा रहा। देशभर के 13 बड़े एयरपोर्ट्स पर कर्मचारियों की हड़ताल के कारण करीब 3400 उड़ानें रद्द कर दी गईं। इसका असर करीब 5 लाख यात्रियों पर पड़ा, जिन्हें या तो अपनी फ्लाइट कैंसिल करनी पड़ी या फिर दोबारा शेड्यूल कराना पड़ा। खासकर फ्रैंकफर्ट और म्यूनिख जैसे बड़े एयरपोर्ट्स पूरी तरह से ठप हो गए। ये हड़ताल अचानक नहीं हुई, बल्कि वेरडी यूनियन ने पहले ही इसका ऐलान कर दिया था। 25 लाख सरकारी कर्मचारियों वाली इस यूनियन की मांग है कि सैलरी बढ़ाई जाए। उनका कहना है कि महंगाई बढ़ रही है और वर्कलोड भी, ऐसे में वेतन वृद्धि जरूरी हो गई है।
रविवार रात से शुरू हुई हड़ताल, एयरपोर्ट्स पर अफरातफरी
हड़ताल का ऐलान तो सोमवार से था, लेकिन इसे एक दिन पहले रविवार रात से ही शुरू कर दिया गया। ग्राउंड स्टाफ, केबिन क्रू, पायलट और अन्य कर्मचारियों ने आधी रात से 24 घंटे की हड़ताल कर दी। इससे एयरपोर्ट्स पर हालात बिगड़ गए। सोमवार को सुबह से ही यात्रियों की भारी भीड़ एयरपोर्ट्स पर दिखी। कई लोग सुबह-सुबह फ्लाइट पकड़ने पहुंचे, लेकिन वहां जाकर पता चला कि उनकी उड़ान कैंसिल हो चुकी है। फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट पर 1,116 फ्लाइट्स निर्धारित थीं, लेकिन इनमें से 1,054 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।
कैसे बढ़ी हड़ताल की नौबत?
इस पूरे हंगामे के पीछे कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने की मांग है। यूनियन का कहना है कि महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन वेतन उसी गति से नहीं बढ़ा। इसलिए उन्होंने 10% सैलरी इंक्रीमेंट की मांग रखी है। सरकार और यूनियन के बीच इस पर बातचीत जारी है, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला। अगर जल्द समझौता नहीं हुआ, तो हड़ताल और लंबी खिंच सकती है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
यात्रियों को हो रही परेशानियां
इस हड़ताल के कारण लाखों यात्री मुसीबत में पड़ गए।
फ्लाइट कैंसिलेशन – जिन यात्रियों की फ्लाइट कैंसिल हो गई, उन्हें दोबारा टिकट बुक करनी पड़ रही है, जो काफी महंगा सौदा साबित हो रहा है।
अस्थायी ठहराव – कई लोग एयरपोर्ट्स पर फंसे हुए हैं, क्योंकि उन्हें अगले दिन या फिर कुछ घंटों बाद की फ्लाइट दी जा रही है।
इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर असर – सिर्फ जर्मनी ही नहीं, यूरोप और बाकी दुनिया से जुड़ी उड़ानें भी प्रभावित हुई हैं।
सरकार और यूनियन के बीच तनातनी
जर्मन सरकार और यूनियन के बीच बातचीत जारी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। सरकार चाहती है कि हड़ताल जल्द खत्म हो, ताकि हवाई सेवाएं फिर से पटरी पर आ सकें। वहीं, यूनियन का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। अगर जल्द समझौता नहीं हुआ, तो ये हड़ताल और लंबी चल सकती है और इससे यात्रियों को और भी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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