राज्यसभा में कांग्रेस सांसद के बेंच पर शुक्रवार नोटों की गड्डी मिली है। इसके बाद सदन में हंगामा मच गया है। वहीं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस गंभीर मामले का खुलासा करते हुए कहा कि सुरक्षा अधिकारियों की ओर से जानकारी दी थी। वहीं इस घटना के बाद विपक्ष और सत्ताधारी पक्ष के बीच तीखी बहस शुरू हो गई है।
कांग्रेस सांसद के सीट के नीचे पैसा
कांग्रेस के सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की राज्यसभा सीट के नीचे कथित तौर पर 500 रुपए की गड्डियां लेकर जाने का आरोप लगाया गया है। हालांकि सिंघवी ने इस आरोप से इनकार किया है। वहीं उनका कहना है कि मेरी जेब में मुश्किल से एक 500 रुपए का नोट ही होता है। उन्होंने कहा कि नोट की गड्डियां ले जाने का तो कोई मतलब ही नहीं है।
क्या कहता है नियम
बता दें कि संसद की आचार संहिता और नियम कहते हैं कि कोई भी सांसद संसद में करेंसी लेकर नहीं जा सकता है। हालांकि इसको लेकर स्पष्ट नियम नहीं है। लेकिन पैसों का उपयोग और प्रदर्शन सदन की कार्यवाही और गरिमा के अनुकूल होना चाहिए। वहीं कोई भी नियम सांसद को पर्स लेकर जाने और इसमें जरूरत की राशि रखने पर प्रतिबंधित नहीं करता है।
संसद में पर्स ?
बता दें कि सांसद व्यक्तिगत पर्स (जैसे वॉलेट या छोटा बैग) संसद में ले जा सकते हैं। वहीं महिला सांसद अपना लटकाने वाला पर्स लेकर जा सकती हैं। लेकिन पर्स सामान्य व्यक्तिगत उपयोग तक सीमित होना चाहिए। क्योंकि ये किसी कार्यवाही में किसी भी तरह की बाधा या विवाद का कारण नहीं बनना चाहिए।
संसद में कितनी धनराशि
जानकारी के मुताबिक संसद में धनराशि ले जाने पर कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं है। लेकिन इसका सदन के भीतर प्रदर्शन या उपयोग सख्त वर्जित है। वहीं नोटों की गड्डी किसी भी हालत में लेकर नहीं जा सकते हैं। गौरतलब है कि 2008 का “नोट फॉर वोट” मामले में जब कुछ सांसदों ने लोकसभा के भीतर नोटों का प्रदर्शन किया था तो इसे संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला माना गया था। जिसके बाद से संसद में बड़ी धनराशि लेकर आने पर रोक लग गई है।
संसद में गये थे 1 करोड़ रुपये ?
बता दें कि वर्ष 2008 में ‘नोट फॉर वोट’ घोटाला मामले में यूपीए सरकार के विश्वास मत के दौरान विपक्षी भाजपा के तीन सांसदों ने लोकसभा के भीतर नोटों के बंडल जिसमें लगभग (₹1 करोड़) लाकर दिखाए थे। जिसके बाद संसद में बयानबाजी हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि यूपीए सरकार ने उनकी पार्टी के सांसदों को विश्वास मत के पक्ष में वोट देने के लिए रिश्वत देने की कोशिश की थी। इतना ही नहीं बाद में मामले की जांच के लिए संसदीय समिति का गठन हुआ था, जिसे सीबीआई को सौंपा गया था। इसके अलावा वर्ष 2013 में एक सांसद ने सदन के भीतर नकली नोटों का बंडल दिखाकर दावा किया था कि देश में नकली मुद्रा का संकट बढ़ रहा है। इन घटनाओं के बाद संसद की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई सख्त नियम लागू किए गये थे। इन नियमों के तहत कोई भी सांसद सिर्फ जरूरत के मुताबिक संसद में पैसा लेकर जा सकता है, नोटों की गड्डी लेकर जाने पर मनाही है।