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अंधविश्वास के अंधेरे में घिरा समाज: गिर सोमनाथ में भूत भगाने के नाम पर बच्ची की हत्या

विज्ञान और तकनीक के उफान के बीच गिर सोमनाथ जिले के तलाला तालुक के गिर धावा गांव में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। जिसमें परिवार द्वारा नवरात्रि के आठवें दिन ही 14 साल की बच्ची को बलि चढ़ा दी गयी। तलाला तालुका के गिर धावा गांव में गुजरात फर्स्ट और OTT इंडिया की इनवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग के बाद, मामला पुलिस तक पहुँच गया है। चर्चा के अनुसार मासूम बेटी की बलि के बाद 3 दिन तक शव को जमीन में गाड़ दिया गया और 3 दिन बाद चुपचाप दाह संस्कार किया गया और ग्राम पंचायत को बेटी की मौत की सूचना भी नहीं दी गई। गुजरात फर्स्ट और OTT इंडिया की जांच रिपोर्ट के बाद सिस्टम चलने लगा और पुलिस जांच शुरू कर दी। और साथ ही उस परिवार के घर और खेत की भी जांच की गई है। जांच में जहां से बच्ची मिली है, वहीं ध्रुवा अकबरी की मौत को लेकर धीरे धीरे कई रहस्य उठ रहे हैं।

तलाला पुलिस ने पूरी घटना को लेकर आधिकारिक शिकायत दर्ज कर ली है। पुलिस ने आईपीसी की धारा 302, 201 और 114 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस शिकायत में कहा गया है कि अंधविश्वास के चलते लड़की को प्रताड़ित किया गया। भूत भगाने की विधि के नाम पर मासूम बच्ची को पीट-पीटकर मार डाला। पूरे घटना में भावेश गोपाल भाई अकबरी और दिलीपभाई अकबरी के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है।

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शिकायत में खुलासा हुआ कि मासूम लड़की के पिता और लड़की के चाचा ने एक साथ ध्रुवा की जान ली। बच्ची को लड़की के पिता और उसके भाई द्वारा 1 अक्टूबर को चकलीघर नामक एक वाडी में लाया गया था। इसके बाद उसने मासूम बच्ची के पुराने कपड़े जला दिए। घटना की चौंकाने वाली जानकारी के अनुसार मासूम बच्ची को दो घंटे तक आग के पास बैठाया गया। मामले को बदतर बनाने के लिए गन्ने के बाड़े में डंडों और तारों से बच्ची को पीटा गया और ध्रुवा के साथ भूत भगाने की रस्म के नाम पर बेरहमी से प्रताड़ित किया गया। मासूम बच्ची को बालों में लाठी बांधकर दो कुर्सियों के बीच भूखा-प्यासा रखा गया। लगातार प्रताड़ना के चलते आखिरकार मासूम की जान चली गई। शव को प्लास्टिक और कंबल में लपेट कर अंतिम संस्कार पूरा करने का दावा करते हुए श्मशान ले जाया गया। और पुरे गांव वालो को ये बता दिया गया की बच्ची संक्रामक बीमारी से पीड़ित थी।

गुजरात फर्स्ट और OTT इंडिया की जांच में सामने आई पूरी कहानी। अगर गुजरात फर्स्ट ने पूरे मामले का पर्दाफाश नहीं किया होता तो शायद यह मामला सामने नहीं आता और मासूम बच्ची को इंसाफ नहीं मिलता।

इस घटना का पर्दाफाश करना आसान नहीं था। घटना की जानकारी सबसे पहले गुजरात के विनोद देसाई को हुई। उन्होंने चैनल हेड विवेकभाई भट्ट को इसकी जानकारी दी। 11 तारीख की सुबह जब विनोद देसाई ने चैनल हेड विवेकभाई भट्ट को इसकी जानकारी दी तो पहले तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। उसके बाद उनके मन में यह विचार आया कि बिना घटना के ठोस सबूत के चैनल पर यह खबर चलना सही नहीं था। उन्होंने विनोद देसाई से कहा कि “मुझे थोड़ा समय दीजिए, इसके बारे में सोचने के लिए।”

फिर उन्होंने सोचा कि विनोद इतने विश्वास के साथ ऐसा कह रहा है और अगर सच में ऐसी घटना हुई तो उनका बहुत बड़ा पाप होगा। इंकार करने से पत्रकार का मनोबल टूटेगा और दूसरी छोटी बेटी के साथ जो हुआ उसका खुलासा नहीं करना उनके धर्म के खिलाफ होगा। अंत में उन्होंने अपना मन बना लिया और विनोद देसाई को फोन किया और कहा कि जाओ इन्वेस्टीगेट करो और तुम्हारा सोर्स सही होना चाहिए और जब तक ठोस सबूत नहीं मिलते वे इस संवेदनशील मुद्दे को चैनल पर नहीं चलएंगे।

और मंजूरी मिलते ही विनोद देसाई और हरेश भालिया और कैमरामैन निकुंज तलाला के धवा गांव पहुंचे। वहाँ मौके पर पहुंची गुजरात फर्स्ट की टीम को वहां पहुंचने और जांच करने के बाद भी कोई सफलता नहीं मिल रही थी और उन्होंने सोचा की इस क्षेत्र की अन्य खबरों को कवर कर वापस लौट जाते है। हालांकि रिपोर्टर विनोद देसाई को यकीन नहीं हुआ। उन्होंने चैनल हेड विवेकभाई से कहा कि “सर यह घटना हुई है मेरे पास सारे सबूत हैं, गांव में भी सब कह रहे हैं लेकिन परिवार के दबाव के कारण लोग आगे नहीं आ रहे हैं।” उन्होंने कहा कि पुलिस और व्यवस्था जागेगी तभी इस घटना को आगे बढ़ाया जा सकता है। विवेकभाई ने भी विनोद देसाई का आत्मविश्वास देखा और उन्हें आगे बढ़ने दिया।

तभी विनोद देसाई और टीम कलेक्टर और एसपी के पास पहुंची और हत्यारों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गयी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और इस घटना की हकीकत लोगों के सामने आ गई।

यदि विनोद देसाई ने इस घटना को प्रकाश में लाने के लिए इतनी मेहनत नहीं की होती और चैनल प्रमुख विवेकभाई भट्ट ने उन्हें अहमदाबाद से मौके पर नहीं भेजा होता, तो शायद उस बच्ची को जल्दी न्याय नहीं मिलता। और यह घटना हमेशा के लिए दब जाती। 14 साल की धैर्य को नहीं बचा पाए क्योंकि पूरी घटना को 7 दिनों के बाद रिपोर्ट किया गया था, लेकिन इसने उसके खिलाफ की गई क्रूरता और अमानवीय अत्याचारों को सामने लाकर न्याय दिलाया और इस खतरनाक घटना को सामने ला कर समाज को जगाने की कोशिश की।

गुजरात फर्स्ट के विनोद देसाई के आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत के कारण, मासूम लड़की को न्याय मिला और गुजरात फर्स्ट को विनोद देसाई, हरेश भालिया और कैमरामैन निकुंज और घटना की सूचना देने वाले पर गर्व है।

गुजरात फर्स्ट और OTT इंडिया के परीवार के तरफ से मासूम बेटी धैर्या को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

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