भारत का एक ऐसा गांव, जहां लोग हर साल एक दिन घरों में ताला लगाकर हो जाते हैं गायब!

भारत के अनंतपुर जिले में एक अजीबोगरीब परंपरा निभाई जाती है, जो साल दर साल लोगों को हैरान करती है। यहां एक ऐसा गांव है, जहां हर साल माघ पूर्णिमा (Makar Purnima) के दिन गांव के सारे लोग अपने घरों में ताला लगाकर गायब हो जाते हैं। ना केवल घरों में, बल्कि मंदिरों और स्कूलों में भी इस दिन ताला लगाया जाता है। इस गांव में कोई भी घर ऐसा नहीं होता, जिस पर इस दिन ताला नहीं लगाया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि ऐसा क्यों किया जाता है? यह गांव आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के ताडिपत्रि मंडल में स्थित तलारी चेरुवु (Talari Cheruvu) है। यह प्रथा, जिसे “अग्गीपाडु” (Aggeepadu) के नाम से जाना जाता है, सैकड़ों सालों से गांववाले निभा रहे हैं। इस अजीब परंपरा का पालन करने के पीछे एक खास वजह छिपी हुई है, जिसे आज भी गांव के लोग श्रद्धा के साथ मानते हैं।

क्या है इस परंपरा की वजह?

आखिरकार, ये परंपरा कहां से शुरू हुई, और क्यों लोग हर साल एक दिन गांव से गायब हो जाते हैं? इसका जवाब एक दुखद घटना से जुड़ा हुआ है। कई साल पहले, तलारी चेरुवु गांव में एक ब्राह्मण ने अपनी फसल चुराने की कोशिश की थी, और इसके बाद गांववालों ने उसे पकड़कर बुरी तरह पीटा और मारा। इस घटना के बाद गांव पर एक शाप का असर पड़ा। कहा जाता है कि उस ब्राह्मण के मारे जाने के बाद, गांव में अकाल और पोलियो फैलने जैसी परेशानियां शुरू हो गईं।
गांव में फैल रही इन समस्याओं से तंग आकर, गांववाले एक ऋषि के पास पहुंचे और समाधान की मांग की। तब ऋषि ने उन्हें इस शाप से मुक्ति पाने के लिए एक खास उपाय बताया। ऋषि ने कहा कि माघ पूर्णिमा के दिन, गांव के लोग कोई भी आग, चूल्हा या दीया न जलाएं। इसके अलावा, सभी गांववाले अपने बच्चों और पशुओं को गांव के बाहर स्थित हाजीवाली दरगाह पर लेकर जाएं, ताकि शाप से मुक्ति मिल सके।

माघ पूर्णिमा का दिन और दरगाह की यात्रा

इसके बाद से ही यह परंपरा शुरू हुई, और आज तक हर साल माघ पूर्णिमा के दिन, तलारी चेरुवु गांव के लोग हाजीवाली दरगाह पर जाते हैं। इस दिन, वे वहां भोजन करते हैं, पकवान बनाते हैं, और पूरा दिन दरगाह पर ही बिताते हैं। फिर, शाम को घर लौटने के बाद, घर के दरवाजे पर नारियल फोड़ते हैं और फिर ताले बंद कर देते हैं।

अग्गीपाडु परंपरा के पीछे क्या है वजह?

गांववालों का मानना है कि इस दिन अगर वे अपने घरों में रहें तो यह अपशकुन होगा, और किसी भी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसलिए वे घरों को ताला लगाकर और दरगाह में पूजा करने के बाद घर लौटते हैं। इस परंपरा का नाम “अग्गीपाडु” रखा गया है, और इसे आज भी बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाया जाता है।

सैकड़ों सालों से चली आ रही है परंपरा

गांववालों की मान्यता के अनुसार, यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है और आज भी इसका पालन किया जाता है। तलारी चेरुवु गांव के लोग इसे एक धार्मिक कर्तव्य मानते हैं, और माघ पूर्णिमा के दिन वे पूरी तरह से इस परंपरा का पालन करते हैं। यह एक अद्भुत उदाहरण है कि कैसे पारंपरिक विश्वास और धार्मिक रीति-रिवाज एक गांव के जीवन का अहम हिस्सा बन जाते हैं, और कैसे लोग उन विश्वासों को पीढ़ी दर पीढ़ी अपनाते हैं।

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