आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले नजफगढ़ से विधायक कैलाश गहलोत आज भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। जानकारी के मुताबिक आज 12.30 बजे कैलाश गहलोत भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं। कैलाश गहलोत ने रविवार को ही आप की प्राथमिक सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।
दिल्ली सरकार में थे मंत्री
बता दें कि कैलाश गहलोत ने 19 फरवरी 2015 को पहली बार दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री के रूप शपथ ली थी। उसके बाद वह लगातार तीन बाद मंत्री बनाए गए थे। वहीं इस्तीफा देने से पहले कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दरअसल केजरीवाल को लिखे पत्र में गहलोत ने कहा कि इस समय आम आदमी पार्टी गंभीर चुनौतियां से गुजर रही है। उन्होंने कहा था कि पार्टी में राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पर हावी हो गई हैं, जिससे कई वादे अधूरे रह गए हैं।
युमना नहीं हुई साफ
कैलाश गहलोत ने कहा कि यमुना को हमने स्वच्छ नदी में बदलने का वादा किया था, लेकिन कभी ऐसा नहीं कर पाए है। अब यमुना नदी शायद पहले से भी अधिक प्रदूषित हो गई है। इसके अलावा अब ‘शीशमहल’ जैसे कई शर्मनाक और अजीब विवाद हैं, जो अब सभी को संदेह में डाल रहे हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी होने पर विश्वास करते हैं? एक और दुखद बात यह रही है कि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय हम केवल अपने स्वयं के राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब यह स्पष्ट है कि अगर दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में बिताती है, तो दिल्ली का वास्तविक विकास नहीं हो सकता है।
विधानसभा चुनाव से पहले कैलाश गहलोत का इस्तीफा
बता दें कि राजधानी दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले कैलाश गहलोत का इस्तीफा आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा नुकसान है। दिल्ली सरकार में पर्यटन मंत्री रहे कैलाश गहलोत ने पत्र में लिखा कि अरविंद केजरीवाल जी, मैं आपको सबसे पहले एक विधायक और एक मंत्री के रूप में दिल्ली के लोगों की सेवा करने और उनका प्रतिनिधित्व करने का सम्मान देने के लिए ईमानदारी से धन्यवाद देना चाहता हूं। हालांकि इसके साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं कि आज आम आदमी पार्टी के सामने गंभीर चुनौतियां हैं, अंदरूनी चुनौतियां। उन्होंने कहा कि जिन मूल्यों के एक साथ हम आए थे, राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से आगे निकल गई हैं, जिससे कई वादे अधूरे रह गए हैं।