Abdul Karim Tunda: 1993 के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में अजमेर की टाडा कोर्ट ने गुरूवार को बड़ा फैसला सुनाया। इस मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा (Abdul Karim Tunda) को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। इसके अलावा दो अन्य आरोपियों को इरफ़ान और हमीदुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। बता दें पिछले कई सालों से यह मामला कोर्ट में विचाराधीन था। 1993 में देश के पांच बड़े शहरों में सिलसिलेवार बम विस्फोट से दहशत का माहौल बन गया था।
अब्दुल करीम टुंडा बरी:
अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद देश में कई आतंकी घटनाएं हुई थी। साल 1993 में पांच अलग-अलग ट्रेनों में हुए बम विस्फोट से देश में शोक की लहर थी। इस मामले में सीबीआई ने अब्दुल करीम टुंडा को मुख्य आरोपी माना था। जिसके बाद साल 2013 में टुंडा को नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार भी कर लिया गया। तब से लेकर अब तक यह मामला कोर्ट में विचाराधीन था। अब अजमेर की टाडा कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।
भारत से बांग्लादेश भाग गया था टुंडा:
एक रिपोर्ट के मुताबिक अब्दुल करीम टुंडा का परिवार बेहद गरीब था। अब्दुल करीम टुंडा ने कारपेंटर के रूप में काम किया था। उसके बाद अब्दुल करीम टुंडा आतंकवादियों के संपर्क में आया। देश में कई बम विस्फोट में अब्दुल करीम टुंडा का नाम सामने आया। हालांकि अब अजमेर की टाडा कोर्ट ने टुंडा को 1993 के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। भारत से भागकर टुंडा काफी समय तक बांग्लादेश में रहा था।
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