सीलमपुर से AAP विधायक अब्दुल रहमान ने पार्टी छोड़ी, पार्टी ने नहीं दिया था टिकट

सीलमपुर से आम आदमी पार्टी के विधायक अब्दुल रहमान ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह कदम उस वक्त उठाया जब पार्टी ने सीलमपुर से उनका टिकट काट दिया और उनकी जगह चौधरी जुबैर अहमद को उम्मीदवार बना दिया। इस्तीफा देने के बाद अब्दुल रहमान ने आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाए कि पार्टी सत्ता की राजनीति में उलझकर मुस्लिमों के अधिकारों को नजरअंदाज कर रही है। उनका यह आरोप पार्टी की ओर से मुस्लिम समुदाय को लेकर किए गए फैसलों पर था, जो अब्दुल रहमान के लिए अस्वीकार्य थे।

आखिरकार टिकट कटने के बाद इस्तीफा

आम आदमी पार्टी ने अपनी पहली उम्मीदवारों की लिस्ट एक दिन पहले ही जारी की थी। इसमें सीलमपुर से विधायक अब्दुल रहमान का नाम नहीं था। उनके टिकट को काटकर उनकी जगह चौधरी जुबैर अहमद को पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया था। अब्दुल रहमान ने इस फैसले के बाद अपनी नाराजगी जाहिर की थी और पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान किया। उनका कहना था कि पार्टी ने सत्ता के लिए मुस्लिमों के अधिकारों की अनदेखी की और यह उनकी पार्टी से नाराजगी का मुख्य कारण बना।

दिल्ली चुनाव में AAP का माइंड गेम: उम्मीदवारों की लिस्ट चुनाव से पहले क्यों जारी की, समझिए केजरीवाल की चाल

अब्दुल रहमान ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि केजरीवाल हमेशा सत्ता की राजनीति से जुड़े रहते हैं और जनता के मुद्दों से भागते हैं। अब्दुल रहमान ने लिखा, “अरविंद केजरीवाल ने हमेशा अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए जनता के मुद्दों से मुंह मोड़ा है। इसीलिए मैं पार्टी छोड़ रहा हूं, लेकिन हक और इंसाफ की लड़ाई जारी रखूंगा।” उनका यह बयान पार्टी के भीतर के फैसलों और केजरीवाल के नेतृत्व के खिलाफ गहरी नाराजगी को दर्शाता है।

पार्टी से नाराजगी एक महीने से थी जारी

अब्दुल रहमान की नाराजगी कोई नई बात नहीं है। वह पिछले एक महीने से पार्टी से असंतुष्ट चल रहे थे। उनकी नाराजगी उस दिन से शुरू हुई थी जब जुबैर अहमद ने आम आदमी पार्टी जॉइन की थी। इसको लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि अब्दुल रहमान पार्टी छोड़कर कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं। दरअसल, 29 अक्टूबर को अब्दुल रहमान ने पार्टी की अल्पसंख्यक इकाई के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था, और इसके बाद ही यह माना जा रहा था कि उनका आम आदमी पार्टी से मोहभंग हो चुका है। उन्होंने सोशल मीडिया पर यह पोस्ट भी लिखा था कि विचारों में बढ़ते फासलों की वजह से उन्होंने यह कदम उठाया।

मुसलमानों के मुद्दे पर पार्टी से असहमत

अब्दुल रहमान ने यह भी कहा कि पार्टी ने मुसलमानों के मुद्दों को हमेशा नजरअंदाज किया। उनका कहना था कि पार्टी के नेताओं ने मुस्लिम समुदाय की असल जरूरतों और मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया और सत्ता के खेल में ही उलझे रहे। उन्होंने पार्टी के अंदर हो रही जातिवाद और धर्म के आधार पर राजनीति के खिलाफ भी आवाज उठाई। उनका यह आरोप आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा संदेश है, खासकर जब पार्टी दिल्ली में आगामी चुनावों की तैयारी कर रही है।

नीतीश कुमार की महिला संवाद यात्रा पर लालू का आपत्तिजनक टिप्पणी, कहा- ‘आंखें सेंकने जा रहे हैं…’

अब्दुल रहमान के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठने लगा है कि अब वह किस पार्टी का रुख करेंगे। उनके इस्तीफे से साफ है कि वह पार्टी की नीतियों से असहमत हैं और अब वे अपनी राजनीतिक यात्रा में नया रास्ता अपनाएंगे। हालांकि, उनके इस्तीफे के बाद उनकी अगली राजनीतिक दिशा क्या होगी, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि उन्होंने पहले ही पार्टी के अंदर हो रही नीतिगत असहमति का इशारा किया था।

आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका

अब्दुल रहमान का इस्तीफा आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पार्टी के लिए यह वक्त चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर अगर अन्य नेता और कार्यकर्ता भी पार्टी के अंदर की नीतियों से असंतुष्ट होकर बाहर निकलते हैं। आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है, और पार्टी के लिए यह नुकसान एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।