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Arvind Kejriwal : चौथे समन के बाद भी नहीं पेश हुए केजरीवाल तो ईडी बढ़ा देगी मुश्किलें, समझिए पूरा मामला…

Arvind Kejriwal
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अहमदाबाद (डिजिटल डेस्क) । Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले दो महीने में चार बार तलब किया है। केजरीवाल ने हर बार ईडी के सामने पेश होने से इंकार कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने समन को अवैध भी करार दिया था। ईडी ने अब केजरीवाल को चौथा समन भेज 18 जनवरी को पेश होने के लिए कहा है तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल इस बार ईडी के सामने पेश होंगे या फिर इस बार भी वह समन को नजरअंदाज कर देंगे। इसके साथ ही क्या पांचवा ईडी समन आएगा? केजरीवाल के पास चौथे समन से बचने की कोई संभावना बचेगी या नहीं? आइये समझने की कोशिश करते हैं कि अगर चौथे समन के बाद भी अरविंद केजरीवाल पेश नहीं हुए तो ED के सामने क्या विकल्प हैं?

केजरीवाल ने लगाए थे गंभीर आरोप

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को 3 जनवरी को ईडी के सामने पेश होना था लेकिन केजरीवाल ने ईडी के इस तीसरे समन को नजरअंदाज किया और ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए। आम आदमी पार्टी के मुताबिक केजरीवाल ईडी के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है लेकिन ऐजेंसी का नोटिस गैरकानूनी है। इसके साथ ही आप पार्टी ने आरोप लगाए कि ईडी केवल केजरीवाल को गिरफ्तार करना चाहती है ताकि वह चुनाव प्रचार न कर सकें।

अब आगे क्या हो सकता है..

ईडी ने केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को चौथा समन भेजकर18 जनवरी को पेश होने के लिए कहा है अगर ऐसे में केजरीवाल ईडी के सामने पेश नहीं होते है और चौथे समन को भी नजरअंदाज कर देते है तो ईडी केजरीवाल के खिलाफ कोर्ट जा सकती है और उनके खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट भी जारी करा सकती है। जिससे केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती है।ॉ

यहां समझिए पूरा नियम

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) नियमों के प्रावधानों के अनुसार कोई व्यक्ति केवल तीन बार ही ईडी के समन को इनकार कर सकता है। अगर वह चौथी बार भी समन को नजरअंदाज करता है तो ईडी के पास अदालत से गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) मांगने की शक्ति और विकल्प है। वारंट जारी होने के बार व्यक्ति को कोर्ट के सामने मजबूरन पेश होना पड़ेगा। यदि वह इसका भी विरोध करता है और कोर्ट के सामने पेश नहीं होता है तो उसे गिरफ्तार करके कोर्ट के सामने पेश किया जा सकता है।

न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद

बता दें कि आप प्रमुख केजरीवाल ने राज्यसभा चुनाव और गणतंत्र दिवस की तैयारियों का हवाला देते हुए 3 जनवरी को आए ईडी के तीसरे समन को नजरअंदाज किया था और ईडी के सामने पेश होने से इंकार कर दिया था। केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने समन पर आपत्तियों का हवाला देते हुए ईडी पर न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद की भूमिका निभाने का आरोप लगाया था और कार्रवाई पर भी सवाल उठाए थे। ईडी ने नया नोटिस जारी करके केजरीवाल की इस दलील को फिर से खारिज कर दिया है कि उन्हें जारी किए गए समन ‘कानून सम्मत नहीं थे’ और इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए।

ऱिश्वत लेने का लगा है आरोप

माना जा रहा है कि ईडी इस मामले में एक नया पूरक आरोप पत्र दायर करेगी और आप को आबकारी नीति के माध्यम से उत्पन्न कथित रिश्वत के ‘लाभार्थी’ के रूप में आरोपित कर सकती है। आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने संबंधी दिल्ली सरकार की 2021-22 की आबकारी नीति में घोर खामियां थीं और इसके जरिए कुछ डीलर का पक्ष लिया गया जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी। आप पार्टी लगातार इन आरोपों को सिरे से खारिज करती आ रही है। बता दें कि बाद में इन नीति को रद्द कर दिया गया था और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) जांच की सिफारिश की जिसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया था।

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