उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ ने पूरे देश का ध्यान खींचा था, और इस घटना के बाद से राजनीति भी गरमा गई है। अब समाजवादी पार्टी (SP) की सांसद जया बच्चन ने इस हादसे को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जया बच्चन ने कहा कि महाकुंभ में भगदड़ के बाद श्रद्धालुओं की लाशों को सीधे नदी में फेंक दिया गया, जिससे संगम का पानी प्रदूषित हो गया। उन्होंने इस पूरे मामले में यूपी सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं।
जया बच्चन ने क्या कहा?
सपा सांसद जया बच्चन ने संसद भवन परिसर में मीडिया से बात करते हुए कहा, “वहां (महाकुंभ में) भगदड़ के बाद शवों को नदी में फेंक दिया गया, जिससे पानी प्रदूषित हुआ।” उनका कहना था कि इस घटना ने कुंभ के पानी को न केवल गंदा किया, बल्कि ये प्रदूषण अब लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। जया ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई सफाई नहीं दी जा रही और न ही सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठा रही है। जया बच्चन ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “यहां लोग जलशक्ति के बारे में भाषण दे रहे हैं, लेकिन असल में यही पानी लोगों के जीवन के लिए खतरा बन चुका है। शवों को सीधे नदी में फेंकने से पानी का प्रदूषण बढ़ा है, और इसका असर सीधे उन लाखों श्रद्धालुओं पर पड़ेगा जो यहां स्नान करने आते हैं।”
महाकुंभ भगदड़ और मृतकों की संख्या
28 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज महाकुंभ के दौरान संगम नोज के पास एक बड़ी भगदड़ मच गई थी। हजारों लोग स्नान के लिए आए थे और इसी दौरान अफरा-तफरी मच गई, जिसमें कम से कम 30 लोगों की जान चली गई। उत्तर प्रदेश पुलिस ने इसकी पुष्टि की थी, लेकिन विपक्षी पार्टियां इस मामले में यूपी सरकार पर सवाल उठा रही हैं कि क्या यह संख्या सही है या फिर मृतकों की संख्या छुपाई जा रही है। यह हादसा तब हुआ जब एक विशाल संख्या में श्रद्धालु कुंभ मेला क्षेत्र में स्नान के लिए एकत्र हुए थे। इस भगदड़ में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे और कई की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद विपक्ष ने यूपी सरकार और प्रशासन को घेरते हुए इसे सुरक्षा में चूक और व्यवस्था की नाकामी का परिणाम बताया।
पानी का प्रदूषण और सरकार की चुप्पी
जया बच्चन ने इस मामले को लेकर यूपी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। उनके मुताबिक, शवों को सीधे नदी में फेंके जाने से पानी का प्रदूषण हुआ, और यह मामला गंभीर है। उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई ठोस सफाई नहीं दी जा रही है और न ही इस मुद्दे को लेकर कोई गंभीर चर्चा हो रही है। इसके अलावा, शवों का पोस्टमार्टम तक नहीं कराया गया, जिसे लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। “यह केवल एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि एक बड़ी मानवीय त्रासदी है। सरकार को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए,” जया बच्चन ने कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले से पूरी तरह से ध्यान हटा रही है और किसी तरह की जांच नहीं हो रही।
क्या हो रहा है महाकुंभ में?
महाकुंभ के आयोजन के दौरान लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं। मेला प्रशासन ने दावा किया है कि अब तक 35 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं और मेला क्षेत्र में चारों दिशाओं से लोग आ रहे हैं। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कई सुरक्षा इंतजाम किए हैं। फिर भी इस तरह की भगदड़ जैसी घटनाओं से प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं।
विपक्ष का हमलावर रुख
महाकुंभ की भगदड़ के बाद विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर यूपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह इस हादसे के मृतकों के आंकड़े छुपा रही है और इस पूरी घटना को नजरअंदाज कर रही है। “यूपी सरकार ने मृतकों की सही संख्या को छुपाया है और अब इस मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है। सरकार को इस घटना की गंभीरता को समझना चाहिए,” विपक्षी नेताओं का कहना है।
बीजेपी का बचाव
वहीं, बीजेपी ने इस मुद्दे पर अपनी सफाई दी है और आरोपों को नकारते हुए कहा है कि सरकार ने हादसे के बाद तुरंत मदद की थी और सभी मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की थी। बीजेपी का कहना है कि विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है और इस दुखद घटना पर सस्ती सियासत कर रहा है।
महाकुंभ और उसकी सुरक्षा
महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं, खासकर जब इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु एक जगह इकट्ठा होते हैं। प्रशासन ने मेला क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए थे, लेकिन इस हादसे ने साबित कर दिया कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षा इंतजाम करना बेहद चुनौतीपूर्ण है।
प्रयागराज महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है, और इस दौरान लाखों लोग स्नान करने के लिए आते हैं। यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का मेला है, लेकिन इससे जुड़ी सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर सरकार और प्रशासन को और अधिक गंभीर कदम उठाने की जरूरत है।
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